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सत्ता को हिला देने वाले 'लोकनायक' की जयंती, 72 की उम्र में खायी लाठियां, संपूर्ण क्रांंति का दिया नारा

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Published : Oct 11, 2021, 10:41 AM IST

देश की आजादी का जिक्र करते ही सबसे पहले महात्मा गांधी का नाम जेहन में आता है. उसी तरह से एक और क्रांतिकारी नेता हुए जय प्रकाश नारायण, जिन्होंने आजादी की लड़ाई के अलावा एक और लड़ाई लड़ी. यह लड़ाई थी देश पर थोपे गए आपातकाल को हटाने की और इसमें वो कामयाब भी हुए. लोकनायक की जयंती पर पढ़ें खास रिपोर्ट..

लोकनायक' की जयंती
लोकनायक' की जयंती

पटनाः लोकनायक जयप्रकाश नारायण (Jai Prakash Narayan) की आज 119वीं जयंती है. आज पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल के खात्मे और फिर से लोकतंत्र बहाल करने वाले नायक के रूप में लोकनायक जयप्रकाश नारायण को याद किया जा रहा है. जेपी की जयंती पर आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें..

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जयप्रकाश नारायण का जन्म बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसे एक छोटे से गांव सिताबदियारा में हुआ था. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हासिल की थी इसके बाद सातवीं क्लास में उनका दाखिला पटना में कराया गया था. बचपन से ही मेधावी जयप्रकाश को मैट्रिक की परीक्षा के बाद पटना कॉलेज के लिए स्कॉलरशिप मिली थी. जेपी पढ़ने के दौरान से ही गांधीवादी विचारों से प्रभावित थे और स्वदेशी सामानों का इस्तेमाल करते थे. वह हाथ से सिला कुर्ता और धोती पहनते थे.

पटना के गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण
पटना के गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण

जयप्रकाश नारायण ऐसे शख्स के रूप में उभरे, जिन्होंने पूरे देश में आंदोलन की लौ जलाई. जेपी के विचार दर्शन और व्यक्तित्व ने पूरे जनमानस को प्रभावित किया. लोकनायक शब्द को जेपी ने चरितार्थ भी किया और संपूर्ण क्रांति का नारा भी दिया. 5 जून 1974 को विशाल सभा में पहली बार जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था.

उस समय जेपी इंदिरा की तानाशाही और कांग्रेस में बढ़ते भ्रष्टाचार के चलते लोगों की मुश्किलों से वाकिफ थे. इसके चलते वो संघर्ष के लिए तैयार हो गए 72 साल की उम्र में पटना के गांधी मैदान में लाठियां खा रहे थे. लालू, नीतीश, पासवान, सुशील मोदी जैसे छात्र नेता बिहार में उनके साथ हो लिए, सम्पूर्ण क्रांति का नारा दिया गया.

संपूर्ण क्रांति की चिंगारी पूरे बिहार से फेल कर देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी और जनमानस जेपी के पीछे चलने को मजबूर हो गये. अपने भाषण में जयप्रकाश नारायण ने कहा- भ्रष्टाचार मिटाए, बेरोजगारी दूर किए, शिक्षा में क्रांति लाए बगैर व्यवस्था परिवर्तित नहीं की जा सकती.

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जब जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया, उस समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी. जयप्रकाश की निगाह में इंदिरा गांधी की सरकार भ्रष्ट होती जा रही थी. 1975 में निचली अदालत में इंदिरा गांधी पर चुनाव में भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो गया. जयप्रकाश ने उनके इस्तीफे की मांग कर दी. जेपी का कहना था इंदिरा सरकार को गिरना ही होगा. आनन-फानन में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी. उन दिनों राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था- 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'

विनोबा भावे के साथ जेपी
विनोबा भावे के साथ जेपी

जनवरी 1977 आपातकाल काल हटा लिया गया और लोकनायक के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के चलते पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी. आंदोलन का प्रभाव न केवल देश में, बल्कि दुनिया के तमाम छोटे-बड़े देशों पर पड़ा. सन 1977 में ऐसा माहौल था, जब जनता आगे थी और नेता पीछे थे. ये जेपी का ही करिश्माई नेतृत्व का प्रभाव था.

"है जयप्रकाश वह नाम जिसे, इतिहास समादर देता है,
बढ़कर जिसके पदचिह्नों को उर पर अंकित कर लेता है."
- रामधारी सिंह दिनकर

इसके बाद स्वतंत्रता सेनानी और देश को दूसरी स्वतंत्रता दिलाने वाले नायक जयप्रकाश नारायण बीमारी के चलते 8 अक्टूबर 1979 को इस दुनिया से चल बसे. जेपी ने जनमानस पर अपना एक अमिट छाप छोड़ी है. वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आज भी उनके समाजवाद का दिया नारा गूंज रहा है.

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