ETV Bharat / state

Bihar Politics: फिर चर्चा में आनंद मोहन, जेल से रिहाई के बहाने वोट बैंक पर निशाना

author img

By

Published : Feb 16, 2023, 9:33 PM IST

1990 के दशक में आनंद मोहन (Former Bahubali MP Anand Mohan) बिहार की राजनीति में काफी चर्चित रहे थे. वो लालू यादव के विरोध के प्रतीक बन चुके थे. अगड़ी जाति के वोट बैंक में उनकी अच्छी खासी पैठ बन चुकी थी. गांधी मैदान में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ इकट्ठा कर आनंद मोहन ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था. एक बार फिर आनंद मोहन चर्चा में हैं. दरअसल, उनकी बेटी की शादी में बड़ी संख्या में नेताओं और समर्थकों का जमावड़ा लगा था. इस भीड़ को देखकर विश्लेषकों में सुगबुगाहट है.

आनंद मोहन
आनंद मोहन

आनंद मोहन की राजनीति.

पटनाः बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद की शादी 15 फरवरी को संपन्न हो गई. दोनों को आशीर्वाद देने के लिए सूबे के बड़े बड़े नेता पहुंचे. जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव के अलावा शाहनवाज हुसैन, राजीव प्रताप रूडी, विजय चौधरी, अशोक चौधरी समेत सभी दलों के कई नेता शामिल थे. सुरभि आनंद की शादी पर लगभग 15 से 20 हजार की संख्या में लोगों और नेताओं की मौजूदगी से राजनीतिक पार्टियों की भृकुटियां तन गयीं. राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा होने लगी कि राजनीतिक दल आनंद मोहन (Politics of Anand Mohan) पर डोरे डालने पर लगे हैं.

इसे भी पढ़ेंः Former MP Anand Mohan: आनंद मोहन की इकलौती बेटी की शादी होगी बेहद खास, शामिल होंगी नामचीन हस्तियां

राजनीतिक दलों को वोट बैंक की चिंताः दरअसल मिशन 2024 बिहार के राजनीतिक दलों के लिए बड़ी चुनौती है. बिहार में 6 से 7 फीसद के आसपास राजपूत वोटर हैं. राजपूत वोटरों को रिझाने के लिए तमाम राजनीतिक दल जद्दोजहद कर रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के लिए आनंद मोहन इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि क्योंकि कोसी क्षेत्र में पप्पू यादव से मुकाबला करना है. अगर राजपूत वोट बैंक को पार्टी ने साध लिया तो राहें आसान हो सकती हैं. बिहार के दूसरे जिलों में भी राजद राजपूत वोट बैंक में डेंट करने की कोशिश में है.

आनंद मोहन
आनंद मोहन

अगड़ी जाति के वोटरों पर निशानाः जनता दल यूनाइटेड को भी अगड़ी जाति का वोट मिलता रहा है. पार्टी के अंदर कई अगड़ी जाति के नेता भी हैं. जदयू की भी मंशा है कि आनंद मोहन के पक्ष में आवाज बुलंद कर वोट बैंक को सशक्त किया जाए. भाजपा के लिए भी आनंद मोहन महत्वपूर्ण हैं. वह इसलिए कि आनंद मोहन जिस जाति से आते हैं, वह भाजपा का कोर वोटर है. भाजपा किसी भी सूरत में नहीं चाहेगी कि राजपूत वोट बैंक में कोई डेंट हो. ऐसे में भाजपा भी आनंद मोहन के पक्ष में खड़ी दिख रही है.

इसे भी पढ़ेंः Former MP Anand Mohan: जानिए पैरोल पर जेल से बाहर आए आनंद मोहन को क्यों है रिहाई की उम्मीद!

रिहाई को लेकर सियासतः बाहुबली आनंद मोहन गोपालगंज के पूर्व डीएम जी कृष्णाया हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं. 14 साल से ज्यादा का वक्त जेल में काट चुके हैं. जेल के अंदर आनंद मोहन के व्यवहार और आचरण को लेकर लोगों में सहानुभूति का भाव है. उनकी रिहाई को लेकर आवाज उठ रही है. वामदलों को छोड़कर ज्यादातर महागठबंधन के घटक दल आनंद मोहन की रिहाई को लेकर मुखर हैं. आनंद मोहन फिलहाल पैरोल पर जेल से बाहर हैं. पुत्री की शादी समारोह में हिस्सा लेने आनंद मोहन कोर्ट से इजाजत मिली है. फिलहाल आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सियासत शुरू हो गई है.

नेताओं की दलीलेंः राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि आनंद मोहन एक समाज सेवी हैं और उनका लंबा राजनीतिक कैरियर रहा है वह सजा भी पूरी कर चुके हैं. उनके ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए रिहाई की मांग उठ रही है. हम लोग भी चाहते हैं कि मानवता के आधार पर आनंद मोहन को रिहा किया जाए. जदयू प्रवक्ता डॉ सुनील का मानना है कि आनंद मोहन की रिहाई होनी चाहिए. कुछ तकनीकी समस्या है जिस पर मंथन चल रहा है, उम्मीद की जा सकती है कि आनंद मोहन जल्द रिहा होंगे. भाजपा के प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सब तरफ से आवाज उठ रही है. नीतीश कुमार भी आश्वासन दे चुके हैं. हम लोग भी चाहते हैं कि अब उन्हें राहत दे दी जाए, क्योंकि राजीव गांधी हत्याकांड में जो लोग सजा काट रहे थे उन्हें भी राहत दे दी गई.

इसे भी पढ़ेंः Anand Mohan: आनंद मोहन की मां गीता देवी का छलका दर्द, कहा- 'नीतीश मेरे बड़े बेटे, आनंद मोहन को कराएं रिहा'

सहानुभूति बटोरने की कोशिशः वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि आनंद मोहन लोकसभा चुनाव को लेकर प्रासांगिक हो गए हैं. अतीत में राजनीतिक दलों ने आनंद मोहन के वजूद और ताकत को देखा है. हर दल कोशिश में है कि वह जिस जाति से आते हैं उस जाति की सहानुभूति उनके साथ सेट हो जाए. ताकि लोकसभा चुनाव में कुछ फायदा मिल सके. नीतीश कुमार पूरे मामले को किस तरीके से लेते हैं, यह देखने वाली बात होगी.

आनंद मोहन का राजनीतिक करियरः आनंद मोहन 90 के दशक के चर्चित नेता रहे हैं. 1990 में बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर विजयी हुए थी. लालू प्रसाद से ठन जाने के बाद उन्होंने 1993 में बिहार पीपुल्स पार्टी की स्थापना की. 1994 के वैशाली लोकसभा उपचुनाव में उनकी पत्नी लवली आनंद ने जीत दर्ज की थी. उसके बाद आनंद का ग्राफ और उछला. 1995 में समता पार्टी भी मैदान में उतरी. इस वक्त एक वर्ग आनंद मोहन में भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रहा था. आनंद मोहन 1996 और 98 में शिवहर से दो बार सांसद रहे. आंनद मोहन की बिहार पीपुल्स पार्टी अब अस्तिव में नहीं है. 90 के दशक में आनंद मोहन लालू प्रसाद यादव के विरोध की राजनीति कर रहे थे. लेकिन आज की तारीख में उनके पुत्र चेतन आनंद राजद से विधायक हैं. उनकी पत्नी लवली आनंद भी राजद में ही हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.