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CAG रिपोर्ट में खुलासा: सिर्फ गाल बजाते हैं बिहार के अधिकारी, बाढ़ और कटाव की 46 परियोजनाएं अधूरी

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Published : Jul 6, 2022, 7:09 PM IST

Updated : Jul 6, 2022, 7:40 PM IST

सीएजी (CAG Report 2020-21) ने अपने हालिया ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया है कि 2021 तक जिन 157 योजनाओं को पूरा होना था सभी आधी अधूरी है. वहीं सरकार (Nitish Government) की वित्तीय अनियमितता का खुलासा भी रिपोर्ट में किया गया. पढ़ें पूरी खबर..

Bihar CAG Report
Bihar CAG Report

पटना: भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की ओर से 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष के लिए बिहार विधानसभा के मानसून सत्र ( Bihar Legislature Monsoon Session ) में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Deputy CM Tarkishor Prasad) ने सदन में रिपोर्ट पेश (CAG report in Bihar Assembly) किया. जो रिपोर्ट पेश की गई है उसमें सरकार के वित्तीय अनियमितता का खुलासा किया गया है. साथ ही योजनाओं को लेकर भी खुलासा किया है कि बिहार में 157 योजना जो मार्च 2021 तक पूरा होनी थी अभी भी आधी अधूरी है.

पढ़ें- CAG रिपोर्ट पर बोली RJD- '92687 करोड़ खर्च का हिसाब नहीं दे पायी नीतीश सरकार'

CAG रिपोर्ट में खुलासा: सीएजी ने रिपोर्ट (Bihar CAG Report) में यह भी खुलासा किया है कि मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत सबको स्वच्छ जल पहुंचाने की 57 योजनाएं भी आधी अधूरी हैं. सीएजी ने जिन 157 योजनाओं को लेकर खुलासा किया है उसमें कई योजना 100 करोड़ से अधिक की है. इसमें सबसे अधिक लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की 57 योजना है और जल संसाधन विभाग की 46 योजना अधर में है.

बाढ़ और कटाव से संबंधित योजनाएं भी अधूरी: यह स्थिति तब है जब एक तरफ उत्तर बिहार के लाखों लोग हर साल बाढ़ से प्रभावित हो रहे हैं. उसके बावजूद जल संसाधन विभाग की साढ़े तीन दर्जन से अधिक योजनाएं पूरी नहीं हो पाई. सभी योजनाओं को मार्च 2021 में ही पूरा हो जाना था. दूसरी तरफ सरकार अपने महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल का जल चला रही है. मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत बिहार के सभी लोगों को स्वच्छ जल पहुंचाने पर काम करने का दावा करते हैं लेकिन उससे संबंधित साढ़े चार दर्जन से अधिक योजनाएं अधूरी हैं, जिसे 2021 मार्च तक ही पूरा होना था.

ये हैं वो योजनाएं जो नहीं हो सकी पूरी: सीएजी ने बिहार सरकार की उन योजनाओं का रिपोर्ट में जिक्र भी किया है जो 100 करोड़ से अधिक की है और पूरी नहीं हुई है. जैसे कि बागमती नदी पर हायाघाट कारा धन तटबंध को 42 किलोमीटर और लंबाई में बढ़ाना था. इसे मजबूत भी करना था. इस योजना पर 389.35 करोड़ की राशि खर्च होनी थी लेकिन केवल 135.56 करोड़ की राशि ही खर्च हो पाई. आधे से भी कम इस योजना पर काम हुआ है और जो काम हुआ है उसमें भुगतान भी लंबित है. इसको लेकर भी CAG ने सरकार को आइना दिखाया है.

दूसरी महत्वपूर्ण योजना है कटिहार में गंगा नदी के किनारे हो रहे कटाव को रोकने से संबंधित. दरअसल केवला गांव से बाघमारा गांव तक 5200 मीटर की लंबाई में गंगा नदी के बाएं किनारे का संरक्षण कार्य करना था लेकिन 100 करोड़ से अधिक की इस योजना में ही केवल 75 करोड़ की राशि ही खर्च हो पाई. इस योजना को भी मार्च 2021 तक पूरा हो जाना था लेकिन नहीं हुआ. जिसके कारण योजना के पूर्ण होने में विलंब तो हो ही रहा है साथ ही दोनों योजना की लागत भी बढ़ेगी.

किशनगंज की तीन योजनाओं का रिपोर्ट में जिक्र: इसी तरह लोगों को गुणवत्तापूर्ण पेयजल पहुंचाने की योजना भी आधी अधूरी है जिसको लेकर सीएजी ने खुलासा किया है. इसमें किशनगंज की 3 योजनाओं का सीएजी ने जिक्र किया है. किशनगंज में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत 176.60 करोड़ की लागत से चल रही परियोजना में केवल 81.45 करोड़ ही खर्च हो पाया है. यानी आधा कार्य भी अभी तक नहीं हुआ है.

सात निश्चिय योजना का हाल भी बुरा: किशनगंज में ही दूसरी जलापूर्ति योजना 146.89 करोड़ से चल रही है और इसका काम तो और धीमी गति से हो रहा है. इसमें केवल 57.06 करोड़ की राशि ही खर्च हो पाई है. किशनगंज में ही मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत आयरन प्रभावित लघु जल आपूर्ति योजना पर काम चल रहा है जिसे 2021 मार्च में पूरा होना था. इस पर 110 .51 करोड़ की राशि खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन अभी तक केवल 45.61 करोड़ की राशि ही खर्च हो पाई है.

देरी से बढ़ेगा लागत मूल्य: सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि ऐसी योजनाओं का अपेक्षित लाभ बड़े पैमाने पर जनता तक नहीं पहुंचाया जा सका क्योंकि यह अधूरे रह गए. इसके अलावा इससे परियोजना की लागत में वृद्धि हुई. इन सभी परियोजनाओं को बिना किसी देरी पूरा करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है ताकि इसकी लागत में और वृद्धि ना हो सके.

क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार: सीएजी की रिपोर्ट को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का कहना है कि पहले भी सीएजी वित्तीय अनियमितता से लेकर बजट राशि खर्च नहीं किए जाने पर सरकार की कमियों को उजागर करता रहा है. सुशासन की सरकार होने का दावा करते हैं. बजट आकार भी बढ़ा है लेकिन सरकार का चेक एंड बैलेंस और ऑडिट का काम काफी कमजोर हुआ है.

"सरकार बजट के पैसे तय समय पर खर्च नहीं कर पा रही है. सीएजी ने जिन चीजों का खुलासा किया है उससे साफ है कि इससे काफी विलंब होगा. योजनाओं के पूर्ण होने में समय लगने के साथ ही उसके कॉस्ट में भी बढ़ोत्तरी होगी."- अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार

बोले ग्रामीण कार्य मंत्री- 'रिपोर्ट को गंभीरता से लेता है संबंधित विभाग': बिहार सरकार की ओर से सीएजी की रिपोर्ट को सदन में रखा जाता है. लोक लेखा समिति को भेजने के बाद फिर आगे कार्रवाई की बात कही जाती है. लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार ने कभी भी गंभीरता से रिपोर्ट को नहीं लिया है. ऐसे बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री जयंत राज का कहना है कि किसी भी संस्था का रिपोर्ट आता है तो संबंधित विभाग के मंत्री अधिकारी उसे देखते हैं. उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई करते हैं.

"कोई भी संस्था रिपोर्ट देती है तो संबंधित विभाग जरूर देखता है. विभाग के मंत्री और अधिकारी मामले को देखते हैं. हम रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हैं."- जयंत राज, ग्रामीण कार्य मंत्री, बिहार


2021 तक केवल 1653 करोड़ की राशि ही खर्च: सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में जल संसाधन विभाग पीएचईडी विभाग के साथ भवन निर्माण विभाग की भी कई योजनाओं का जिक्र किया है. नमूने के तौर पर इन योजनाओं के बारे में खुलासा किया गया है. 157 योजना पर 3670.50 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान था लेकिन मार्च 2021 तक केवल 1653 करोड़ की राशि ही खर्च हो पाई. अपूर्ण योजनाओं को लेकर सीएजी ने आपत्ति भी दर्ज की है कि कई योजनाओं की सही जानकारी भी संबंधित विभाग ने नहीं दिया है.

92687 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित होने पर उठ रहे हैं सवालः वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में 29827 करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा दर्ज किया गया है. पिछले वर्ष की तुलना में यह 15103 करोड़ रुपया बढ़ गया है. वित्तीय वर्ष 2004-05 के बाद 2020-21 के दौरान दूसरी बार 11325 करोड़ के राजस्व घाटे का सामना करना पड़ा है. वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च 2021 तक 92687.31 करोड़ उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित थे. कैग ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि अधिक मात्रा में उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित रहना राशि के दुरुपयोग एवं धोखाधड़ी के जोखिम को बढ़ाता है. सीधे शब्दों में कहें तो कैग ने भारी गड़बड़ी की तरफ इशारा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अग्रिम राशि का समायोजन नहीं होना धोखाधड़ी हो सकता है.

Last Updated :Jul 6, 2022, 7:40 PM IST
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