नवादा में शुरू होने वाला है सीतामढ़ी मेला, सीता निर्वासन व लव-कुश जन्मस्थली उपेक्षा का शिकार

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Published : Dec 4, 2022, 7:29 PM IST

नवादा में शुरू होने वाला है सीतामढ़ी मेला

नवादा के सीतामढ़ी में अगहन पूर्णिमा को मेला लगता है. इस मेले का टेंडर 24 लाख रुपये में पास हुआ है. फिर भी यहां सुविधाओं की कमी (Lack of facilities in Sitamarhi Mela of Nawada) है. मान्यता के नुसार यह इलाका लवकुश की जन्म स्थली रही है और मां सीता ने यहीं वनवास काटा था. इस कारण यहां सदियों से मेला लगता है. पढ़ें पूरी खबर..

नवादा: बिहार के नवादा अंतर्गत मेसकौर प्रखंड क्षेत्र में रामायण कालीन सीतामढ़ी में अगहन पूर्णिमा यानी आठ दिसंबर से स्थानीय स्तर पर परंपरागत मेला शुरू हो (Sitamarhi mela from 8 December in Nawada ) रहा है. यह मेला एक सप्ताह तक चलता है. यहां मेला लगाने के लिए 24 लाख रुपये का सरकारी टेंडर हुआ है जो अबतक की सर्वाधिक राशि है. फिर भी यहां सुविधाओं के नाम पर तैयारी शून्य है. मान्यता के अनुसार यह इलाका लवकुश की जन्म स्थली रही है और मां सीता ने यहीं वनवास काटा था.

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नवादा में शुरू होने वाला है सीतामढ़ी मेला
नवादा में शुरू होने वाला है सीतामढ़ी मेला

50 हजार से भी ज्यादा श्रद्धालु आते हैं मेला मेंः सीतामढ़ी मेला में 50 हजार से अधिक लोग जुटते हैं. इसके बावजूद यहां मेला के नामपर किसी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. यहां सरकारी स्तर पर सड़क, पेयजल, शौचालय, बिजली, ठहरने जैसी कोई व्यवस्था नहीं है. वैसे तो, सीतामढ़ी के प्राचीन गुफा मंदिर के पास बहुत बड़ा परिसर है, लेकिन अव्यवस्थित है. इसका तेजी से अतिक्रमण हो रहा है. यहां पहुंचने वाली सड़क भी जर्जर है. पहले 2021 में 19.15 लाख का टेंडर हुआ था. इससे पूर्व 12 लाख रुपये में टेंडर हुआ था.

सीता की निर्वासन व लव- कुश की जन्मस्थली है सीतामढ़ीः सीतामढ़ी गुफा मंदिर के पुजारी सीताराम पाठक कहते हैं कि मेला क्षेत्र की जमीन भी अतिक्रमित की जा रही है, फिर भी सरकार और प्रशासन ध्यान नहीं दे रही है. मान्यता है कि उत्तर बिहार के सीतामढ़ी का पुनौरा धाम सीता की जन्मस्थली है. जबकि दक्षिण बिहार के नवादा जिले के मेसकौर प्रखंड में स्थित सीतामढ़ी सीता की निर्वासन व लव- कुश की जन्मस्थली है. मान्यता है कि अयोध्या से जब सीता को वनवास दिया गया था तो यही निर्जन स्थल था, जहां मां सीता ठहरी थी. बाल्मिकी रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली रही है.

एमपी, एमएलए वादे करते हैं, अमल नहीं: सीताराम पाठक कहते हैं कि सीतामढ़ी धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है. अधिकारी और नेता यहां आते रहते हैं. इसके विकास के लिए बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन इसपर अमल नहीं किया. कई सांसद और विधायक इसे पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने की बात करते रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई पहल नहीं हुआ.

सदियों से लगता है मेला, फिर भी विकास नहीं: सहवाजपुर सराय पंचायत के सरपंच राजेन्द्र राजवंशी कहते हैं कि यह मेला सदियों से लगता आ रहा है, लेकिन इस स्थल का विकास नहीं किया गया. मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी को कई दफा आवेदन किया गया. फिर भी कोई पहल नहीं हुई. इसके चलते यह स्थल उपेक्षित है. यहां यात्री सुविधाएं नहीं है. जबकि सरकार मेला के अवसर पर टेंडर करती है, लेकिन सुविधाएं नहीं देती है.

महिलाओं के लिए शौचालय तक नहीं: मेसकौर नवादा का पिछड़ा इलाका है. इसे उसी रूप में छोड़ दिया गया है. स्थानीय विसेश्वर प्रसाद कहते हैं कि सीतामढ़ी मेला को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की जाती रही है, लेकिन अबतक कोई पहल नहीं की गई.चौहान ठाकुरबाड़ी के सुभाष चौहान कहते हैं कि सीतामढ़ी का मेला आज से नहीं प्राचीन काल से लग रहा है. बड़ी तादाद में लोग जुटते हैं, लेकिन कोई इंतजाम नहीं है. बड़ी तादाद में महिलाएं मेला देखने आती हैं, लेकिन उनके लिए शौचालय तक की व्यवस्था नही है. महिलाएं खुले में शौच जाने को मजबूर होती हैं. वैसे यहां दो चापाकल है, लेकिन मेला के हिसाब से कम है.

"सीतामढ़ी धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है. अधिकारी और नेता यहां आते रहते हैं. इसके विकास के लिए बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन इसपर अमल नहीं किया. मेला क्षेत्र की जमीन भी अतिक्रमित की जा रही है, फिर भी सरकार और प्रशासन ध्यान नहीं दे रही है. मान्यता है कि उत्तर बिहार के सीतामढ़ी का पुनौरा धाम सीता की जन्मस्थली है" - सीताराम पाठक, पुजारी, सीतामढ़ी गुफा मंदिर

इस इलाके में एयरपोर्ट बनाने की हुई थी पहलः लोग बताते हैं कि नवादा के पहले जिलाधिकारी नरेंद्र पाल सिंह ने इस इलाके को एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने की पहल की थी. फिर उनके तबादला के बाद कोई पहल नहीं हो सकी. पूर्व जिलाधिकारी रामवृक्ष महतो की पहल पर सीतामढ़ी के रास्ते में एक गेट बनवाया गया था. इसमें मां सीता के निर्वासन से जुड़ी कहानी का जिक्र था. अब वह गेट भी अस्तित्व में नहीं है.

अधुरी रह गई सीतामढ़ी की विकास यात्राः रामवृक्ष महतो ने एक विवाह मंडप का भी निर्माण कराया था, लेकिन उनके तबादले के बाद निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया. मंडप अभी भी अधूरा खड़ा है. दरअसल, रामवृक्ष महतो के तबादले के बाद सीतामढ़ी के विकास की दिशा में किसी अधिकारी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई. पूर्व सांसद स्व. भोला सिंह के जरिए एक विवाह मंडप का निर्माण कराया गया है. मंडप का उपयोग रात्रि में लोग ठहरने के लिए करते हैं. इसके अलावा यात्रियों के लिए यहां ऐसी कोई सुविधाएं नहीं है.


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