नवादा में सुप्रसिद्ध सीतामढ़ी मेला का आगाज, माता सीता की निर्वासन स्थली के रूप में जानते हैं लोग

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Published : Dec 19, 2021, 10:54 PM IST

नवादा के सुप्रसिद्ध सीतामढ़ी मेला का आगाज,

नवादा में सुप्रसिद्ध सीतामढ़ी मेला का रविवार को आगाज हो गया है. स्थानीय मुखिया ने मेले का विधिवत उद्घाटन किया. मेले में कई झूले समेत स्टॉल लगाये गये हैं. पढ़ें पूरी खबर..

नवादा: बिहार के नवादा (Nawada News) जिले में मगध प्रमंडल क्षेत्र का अत्यंत प्रचलित प्रसिद्ध सीतामढ़ी मेला ( Sitamarhi Mela In Nawada ) रविवार से शुरू हो गया. कई दशकों से अगहन पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले मेले का उद्घाटन स्थानीय नवनिर्वाचित मुखिया राकेश कुमार के द्वारा किया गया. जिले के मेसकौर प्रखंड के सीतामढ़ी गांव में माता सीता की गुफा है. अगहन पूर्णिमा के अवसर पर हर साल यहां मेला लगता है.

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मुखिया ने अपने संबोधन में कहा कि सीतामढ़ी वर्षों पुराना धार्मिक स्थल है. सरकार इन्हें पर्यटक स्थल के रूप में घोषित करे, ताकि मां सीता के पवित्र मंदिर मेले के अलावे अन्य दिन भी गुलजार हो सके. यहां हर तरह की सुविधा मुहैया करवाए. मेले में मोटरसाइकिल लगाने के लिए पार्किंग, सीसीटीवी कैमरा, मेडिकल टीम की व्यवस्था की गई है.

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बता दें कि माता सीता की निर्वासन स्थली सीतामढ़ी में आने वाले हजारों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. इसके उपरांत विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने के बाद मां सीता का आशीर्वाद लेते हैं. गोद भरी करने की कामना के साथ पहुंचने वाली माताएं मन्नत पूरी होने पर यहां पहुंचती हैं और माता का अभार जताती है. सीतामढ़ी गांव के आसपस उपलब्ध साक्ष्य, पौराणिक मान्यताएं एवं भौगोलिक स्थिति इस बात को प्रमाणित करती है कि यही सीतामढ़ी स्थल में माता सीता की निर्वासन स्थली रही है. 12 वर्ष के लिए वनवास के निकले माता सीता महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में ही सीतामढ़ी में वनवासी जीवन व्यतीत करने लगी थी.

जिले का सीतामढ़ी गांव एक ऐसा धर्म स्थल है जहां अलग-अलग जातियों के अलग-अलग मंदिर और धर्मशाला भी है. यहां लगभग दर्जनों जाति के दर्जनों मंदिर स्थित है. हालांकि किसी को भी मंदिर में आने को मनाही नहीं है. फिर भी विशेष मंदिर में विशेष जाति के लोग जमे रहते हैं. मेला में आस्था के साथ जातीय चौपाल भी शुरू हो जाती है. दर्जन भर से ज्यादा जातियों की अलग-अलग मंदिर और ठाकुरबाड़ी में संबंधित जाति के लोग ठहरे रहते हैं. यहां जातीय बैठकों का दौर जमकर चलता है. विभिन्न जाति और संगठनों के साथ पोस्टर बैनर अपनी अपनी उपस्थिति दर्शाते हैं.

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