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नवादा में हर बार बदलते हैं चेहरे, इस बार भूमिहार बनाम यादव की 'जंग'

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Published : Mar 30, 2019, 6:12 PM IST

मगध का ह्रदय कहे जाने वाले नवादा में पहले चरण के तहत चुनाव होना है. इस सीट पर प्रबल दावेदारों के चेहरों के बीच यहां का इतिहास भी मायने रख रहा है. वहीं, जीत समीकरण के साथ जातीय समीकरण क्या कुछ कहता है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

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नवादा: लोकसभा चुनावों में 11 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के तहत मगध का ह्रदय कही जाने वाली नवादा संसदीय सीट पर भी चुनाव होना है. क्षेत्र का इतिहास रहा है कि यहां हर बार एक नया उम्मीदवार विजयी होता है. इस बार भी ये सीट इतिहास दोहराने की कगार पर खड़ी है.

वर्चस्व की लड़ाई
इस बार इस सीट पर वर्चस्व की लड़ाई होनी है. जहां एक ओर एनडीए गठबंधन नेसीट शेयरिंग के तहत इसे लोजपा के नाम किया है. तो वहीं, महागठबंधन से यहां आरजेडी अपना प्रत्याशी उतार रही है. आरजेडी ने पिछले लोकसभा में दूसरे नंबर पर रहे राजवल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को उम्मीदवार बनाया है. जबकि लोजपा से चंदन कुमार ने नामांकन भर दिया है.

नवादा संसदीय सीट पर स्पेशल रिपोर्ट

जेडीयू ने नहीं की परवाह
ये सीट भूमिहार और यादव उम्मीदवारों की प्रबल सीट मानी जाती है. राजवल्लभ यादव दुष्कर्म मामले में सजा काट रहे हैं, आरजेडी ने राजवल्लभ पर लगे आरोपों की परवाह न करते हुए और सिर्फ जातिगत आधार को ही टिकट वितरण का आधार रख उनकी पत्नी विभा देवी को टिकट दिया है.

लोजपा के चंदन
वहीं, दूसरी तरफ लोजपा की तरफ से चंदन कुमार को उम्मीदवार बनाया गया है. चंदन कुमार बाहुबली सूरजभान सिंह के छोटे भाई हैं. लोजपा ने सूरजभान की पत्नी वीणा देवी के जगह भाई चंदन को टिकट दी है.

गिरिराज तो रिप्लेस कर दिये गए
बात अगर 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की करें तो इस सीट से बीजेपी के गिरिराज सिंह जीते थे. उन्हें 3 लाख 90 हजार 248 वोट मिले थे और उन्होंने राजद के राजवल्लभ प्रसाद यादव को हराया था. इस चुनाव में भूमिहार वोट बैंक ने अपना दबदबा कायम किया था. लेकिन इस बार उन्हें यहां से रिप्लेस कर दिया गया है.

'चतुर्मुखी विकास करूंगा'
इस बार एनडीए के उम्मीदवार चंदन कुमार से इस बाबत, जब सवाल पूछा गया कि राजवल्लभ की पत्नी जो मुख्य प्रतिद्वंदी मानी जा रही है वो उन्हें किस तरह टक्कर देंगी. तो उन्होंने साफ कह दिया कि विभा देवी दूर-दूर तक है ही नहीं. चंदन कुमार ने जीत का दावा करते हुए कहा कि नवादा को चतुर्मुखी विकास की जरुरत है. युवाओं को रोजगार मिले इसके लिए कार्य किए जाएंगे.

कोई नहीं है टक्कर में...
वहीं, आरजेडी उम्मीदवार विभा देवी ने साफ कर दिया कि उनकी टक्कर में कोई नहीं है. मैं जनता के प्यार से खड़ी हुई है. विकास के मुद्दे को लेकर विभा देवी ने कहा कि पिछले सांसद ने कोई काम नहीं किया मैं विकास के सभी काम पूरा करूंगी.

क्या है मतदाताओं की संख्या
खैर दोनों उम्मीदवार अपने आपको प्रबल मान रहे हैं, वहीं, इस सीट पर कुल 18, लाख 92, हजार 017 मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाता- 9 लाख 83,065, महिला मतदाता- 9 लाख 8 हजार 871 हैं. यहां जातिगत समीकरण की बात की जाए तो भूमिहार वोटरों की है बहुलता ज्यादा है तो दूसरे स्थान पर यादव वोटर हैं.

विधानसभा सीटों का समीकरण
नवादा संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं-

  1. हिसुआ
  2. वारसलीगंज
  3. गोबिंदपुर
  4. नवादा
  5. बरबीघा
  6. रजौली

इनमें से तीन सीटों पर हिसुआ पर बीजेपी, वारसलीगंज पर बीजेपी, गोविंदपुर में कांग्रेस, नवादा में राजद, बरबीघा में कांग्रेस और रजौली में राजद का कब्जा है. वहीं, बता दें कि नवादा सीट से राजद के राजवल्लभ को सजा मिलते ही इसकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी.

वर्तमान सांसद की राजनीतिक यात्रा
अब बात करें वर्तमान सांसद की, तो गिरिराज सिंह 2002-2014 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे हैं. इसके बाद 2008 से2010 सहकारी मंत्री, फिर 2010 से 2013 तक बिहार सरकार में पशु और मत्स्य संसाधन विकास मंत्री रहे हैं. वहीं गिरिराज 2014 में 2 माह के लिए श्रम स्थायी समिति के सदस्य रहे. इसके बाद 16वीं लोकसभा के लिए चुने गए. नवादा से विजयी होने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया.

नवादा की प्रमुख समस्याएं और इस बार के चुनावी मुद्दे
वहीं, नेता चाहे कितने भी दावे कर लें लेकिन नवादा में विकास कई गांवों से अछूता रह गया है.

  • नवादा भी नक्सल प्रभावित क्षेत्र है.
  • यहां किसानों को लिए सिंचाई की बेहतर व्यवस्था और वारसलीगंज की बंद चीनी मिल प्रमुख मद्दा है.
  • इसके साथ ही अपर सकरी जलाशय परियोजना
  • ककोलत जलप्रपात सौंदर्यीकरण
  • हिसुआ और वारिसलीगंज को अनुमंडल का दर्जा
  • जिले में पीजी स्तर तक पढ़ाई की व्यवस्था
  • जिले में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना प्रमुख मुद्दे हैं.

सिर्फ पीएम के चेहरे को देखकर वोट
आप खुद ही सुन लीजिए विकास के तमाम दावे करने वालों को सीधे तौर पर युवक ने बता दिया कि विकास सिर्फ शहर तक ही सीमित है. गांव में कुछ नहीं हुआ. वहीं, नवादा के लोगों ने ये भी कहा कि वो सिर्फ मोदी को ही वोट देंगे. बहरहाल, जो भी हो एक बार फिर लोकतंत्र का त्योहार नजदीक है. ऐसे में कौन सा नेता मगध के दिल को जीत पाता है. ये तो आने वाली तारीख 23 मई बता ही देगी.

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