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पिता को नहीं मिली एंबुलेंस तो बेटा ठेले पर लादकर पहुंचा अस्पताल, लेकिन तब तक..

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Published : Jul 8, 2022, 1:11 PM IST

negligence of health department in nalandanegligence of health department in nalanda
negligence of health department in nalandanegligence of health department in nalanda

बिहार का हेल्थ सिस्टम (Health Department of Bihar) एक बार फिर सवालों के घेरे में है. एंबुलेंस नहीं मिलने पर बेटा अपने जख्मी पिता को ठेले पर लादकर अस्पताल पहुंचा. हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी. लचर व्यवस्था के कारण एक और व्यक्ति की मौत हो गई. नालंदा के सोहसराय थाना क्षेत्र की इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है.

नालंदा: बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के भले ही लाख दावे किए जाएं लेकिन कोई सुधार धरातल पर फिलहाल नहीं दिख रहा है. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के गृह जिला नालंदा में एक्सीडेंट के शिकार हुए जख्मी लोगों को एंबुलेंस तक नसीब (Poor Health System in Nalanda) नहीं हो रही है. मामला सोहसराय थाना क्षेत्र (Sohsarai Police Station) कटहल टोला (Kathal Tola Nalanda) का है. पिता को ठेले पर लादकर इधर से उधर भटकते हुए इस शख्स का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल (Nalanda Viral Video) हो रहा है.

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ठेले पर बिहार का हेल्थ सिस्टम

घायल व्यक्ति को नहीं मिली एंबुलेंस: दरअसल सोहसराय थाना क्षेत्र कटहल टोला में नवनिर्मित मकान पर वाटर टैंक चढ़ाने के क्रम में मकान का छज्जा गिर गया, जिससे इस घटना में ठेला चालक समेत दो मजदूर जख्मी हो गए. घटना के संबंध में बताया जाता है कि कटहल टोला इलाके में ठेले में लोड करके नवनिर्मित मकान पर मजदूर टंकी चढ़ा रहा था. इसी दौरान टंकी छज्जा समेत मजदूरों पर गिर पड़ा और दोनों मजदूर घायल हो गए.

बेटा पिता को ठेले पर लादकर पहुंचा अस्पताल: दोनों जख्मी मजदूरों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन वहां से चिकित्सकों ने एक जख्मी मजदूर फकीरचंद को गंभीर हालत में रेफर कर दिया. हालांकि परिजनों व वार्ड पार्षद के द्वारा इसकी सूचना स्थानीय सोहसराय थाने को भी दी गई, ताकि जख्मी की मदद की जा सके, लेकिन स्थानीय थाने की पुलिस ने कोई मदद (Negligence of Health Department in Nalanda) नहीं की.

"मेरे पिता टंकी ठेला चलाते थे. टंकी चढ़ाने के दौरान उनपर टंकी और दीवार गिर गयी. हमने पुलिस को भी जानकारी दी लेकिन कोई मदद नहीं की गई. ठेले पर लेकर अस्पताल आए हैं."- रंजन कुमार, मृतक का बेटा

पुलिस ने नहीं की त्वरित कार्रवाई: त्वरित मदद नहीं मिलने के कारण जख्मी फकीरचंद के बेटे रंजन ने अपने पिता को ठेले पर लाद लिया और अस्पताल के लिए निकल पड़ा. करीब 2 किलोमीटर ठेला चलाकर रंजन सदर अस्पताल पहुंचा. हालांकि सदर अस्पताल के द्वारा जख्मी को अस्पताल से कुछ दूरी पर सरकारी एंबुलेंस मुहैया कराया गया था ताकि मामले को लेकर सवाल ना उठाया जाए.

सीएस का आधा अधूरा ज्ञान: अगर समय रहते फकीरचंद को एंबुलेंस की सेवा या फिर यूं कहें सरकारी सेवा मिल जाती तो शायद उसकी जान बच सकती थी. एक ओर राज्य सरकार गरीबों की मदद के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती है लेकिन योजनाएं धरातल पर नगन्य नजर आती है. वहीं इस मामले को लेकर सिविल सर्जन अविनाश कुमार सिंह का आधा अधूरा ज्ञान भी देखने को मिला. उन्होंने कहा कि अगर किसी प्रकार की भी इलाके में घटना घटती है तो घायल व्यक्ति को अस्पताल तक लाने के लिए 102 पर डायल करना चाहिए. जबकि बिहार में अब इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (Dial 112 Emergency Service Launched In Bihar) का नंबर बदल चुका है. सभी तरह की इमरजेंसी के लिए अब 112 डायल करना है. सीएम नीतीश कुमार ने खुद 6 जून को इसे हरी झंडी दिखाकर इसका शुभारंभ किया था.

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"एक्सीडेंस होने पर अस्पताल तक जख्मी को लाने के लिए फ्री एंबुलेंस की सेवा दी जाती है. लोगों में अभी भी जागरूकता की कमी देखी जा रही है. घटना की सूचना सोहसराय थाना को दी गई थी तो यह उनकी जवाबदेही थी कि उनके द्वारा 102 डायल करके जख्मी फकीरचंद को एंबुलेंस मुहैया करवाना चाहिए था."- अविनाश कुमार सिंह, सीएस, नालंदा

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नोट: ईटीवी भारत इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है.

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