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कांटी थर्मल पावर प्लांट की दो इकाइयों को बंद करने की घोषणा से सहमे मजदूर, सता रही आजीविका की चिंता

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Published : Oct 11, 2021, 1:23 PM IST

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मुजफ्फरपुर कांटी थर्मल पावर प्लांट की दो इकाइयों को बंद करने का फैसला लिया गया है. जिसके बाद से मजदूरों के सामने आजीविका का संकट गहराने लगा है. मजदूरों का कहना है कि हम लोगों को नौकरी से हटाने की तैयारी चल रही है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित कांटी थर्मल पावर प्लांट (Kanti Thermal Power Plant) से इस वर्ष रिकॉर्डतोड़ या यूं कहें कि क्षमता से अधिक 610.41 मेगावाट बिजली उत्पादन हुआ. जिसे लेकर सरकार के माध्यम से प्लांट को सम्मानित भी किया गया था. लेकिन इस उपलब्धि के बाद अचानक सरकार और एनटीपीसी (NTPC) के माध्यम से कांटी थर्मल के दो इकाइयों को बंद करने का फैसला लिया गया है. इस 110 मेगावाट बिजली उत्पादन करने वाली दो इकाइयों के बंद करने के फैसले ने सबको चौंका दिया है. जिसके कारण मजदूरों पर संकट गहराने लगा है.

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सरकार और एनटीपीसी के इस हैरान करने वाले फैसले से अब जिले के मजदूर संगठनों के बीच बैचैनी बढ़ गई है. बिजली कामगार यूनियन के अध्यक्ष अनय राज की माने, तो सरकार के इस तुगलकी फैसले से करीब दो हजार से अधिक मजदूर प्रभावित होंगे. अनय का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में एनटीपीसी प्रबन्धन की भूमिका ठीक नहीं है. जब कांटी थर्मल इकाई से क्षमता से अधिक बिजली उत्पादन हो रहा है, ऐसे में अचानक प्लांट की दो इकाइयों को बंद करने का कोई मतलब नहीं है. इस मामले को लेकर मजूदर चुप नहीं बैठेंगे.

देखें रिपोर्ट.

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वहीं, सरकार और एनटीपीसी प्रबंधन के इतने बड़े नीतिगत फैसले से प्लांट में काम करने वाले मजदूर भी हैरान है. स्थानीय मजदूरों की माने, तो इस प्लांट के दो इकाइयो में से एक को कोयले की कमी बताकर बंद कर दिया गया है. जबकि दूसरे प्लांट को आंशिक रूप से चालू रखा गया है. वहीं, प्लांट में काम कर रहे मजदूरों को गेट पास देने का काम भी बंद कर दिया गया है. ऐसे में अगर दो इकाइयों के पूर्णतः बंद होने से दो हजार से अधिक स्थाई और अस्थाई मजदूरों की आजीविका एक झटके में खत्म हो जाएगी.

गौरतलब है कि नवीनगर जैसे मेगा थर्मल के निर्माण के बाद से सरकार ने बिहार में चल रहे छोटे पावर स्टेशन को बंद करने का फैसला लिया है. सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर मुजफ्फरपुर और बरौनी स्थित बिजली संयंत्र पर होगा. ऐसे में बिहार के ये दोनों छोटे बिजली संयंत्र भविष्य में पूर्णतः बंद करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

फिलहाल एनटीपीसी के अनुसार दोनों थर्मल पावर प्लांट बेहद ही ज्यादा पुराने हो चुके हैं और इनमें इस्तेमाल की जा रही तकनीक भी पुरानी हो चुकी है. जिससे बिजली उत्पादन की बढ़ रही लागत मुसीबत बन रही है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस प्लांट में काम करे दो हजार से अधिक कामगारों के भविष्य का क्या होगा?

'प्रबंधन के माध्यम से कुछ बताया नहीं जा रहा है. हम मजदूरों का गेट पास देने का काम भी बंद कर दिया गया है. हमलोगों के साथ प्रत्येक दिन टाल-मटौल किया जा रहा है. हम सभी मजदूरों को अब यही लग रहा है कि नौकरी से हटाने की तैयारी चल रही है.' -विजय साहनी,
मजदूर, कांटी थर्मल प्लांट

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