Bihar Board Exam 2022: परीक्षा के पहले तनाव में दिख रहे परीक्षार्थी, बोले- अब तो आगे रिजल्ट ही बताएगा

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Published : Jan 13, 2022, 8:49 AM IST

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बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षाएं (2022) 1 फरवरी से शुरू हो रही हैं. वहीं प्रैक्टिकल परीक्षा 10 जनवरी से ही शुरू हो चुकी है (Bihar Board Practical Exam 2022). लेकिन परीक्षार्थियों की तैयारी न होने के कारण वे काफी चिंतित हैं. ऐसे में छात्र-छात्राओं का कहना है कि जब कोर्स ही कंप्लीट नहीं है, तो परीक्षा कैसे देंगे. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

मुंगेर: साल 2022 की शुरुआत के साथ ही परीक्षाओं (Bihar Board Exam 2022) का दौर भी शुरू हो चुका है. बीते 2 सालों से बोर्ड परीक्षा का आयोजन नहीं करवा पाने के कारण इस बार सभी बोर्ड ने पहले से दुरुस्त तैयारी शुरू कर दी थी. बिहार बोर्ड 12वीं की प्रैक्टिकल परीक्षा 10 जनवरी 2022 से शुरू हो चुकी है जो कि 20 जनवरी 2022 तक चलेंगी. वहीं एक फरवरी से इंटरमीडिएट की लिखित परीक्षाएं भी शुरू हो रही हैं. बिहार में इंटरमीडिएट (Intermediate Exam In Bihar) के लगभग 13.5 लाख स्टूडेंट्स परीक्षा देंगे. ऐसे इन लाखों स्टूडेंट्स की तकलीफ और गुस्सा इसी बात कि है कि उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हुई और परीक्षा की तिथि घोषित कर दी गयी है.

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कोरोना के कारण राज्य में बीते दो सालों से स्कूल की पढ़ाई बेपटरी हो गयी है. सरकारी स्कूलों की बात करें, तो यहां की पढ़ाई पूरी तरह ठप ही कह सकते हैं. वहीं बच्चों को इस बार न तो ऑनलाइन पढ़ायी करने की सुविधा मिल पायी और न ही ऑफलाइन. किसी तरह से ट्यूशन और कोचिंग का सहारा लेकर छात्र अपनी कोर्स को पूरा करने में लगे हुए थे. अचानक उम्मीदवारों ने दस्तक दे दी और फिर कोरोना के कारण कोचिंग ट्यूशन समेत सभी शिक्षण संस्थान बंद हो गया.

देखें रिपोर्ट.

छात्र-छात्राओं की आधी अधूरी तैयारी के बीच बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने दसवीं और बारहवीं की परीक्षा की तिथि घोषित कर दी है. ऐसे में इंटरमीडिएट की परीक्षा देने की तैयारी कर रहे परीक्षार्थी ये सवाल पूछ रहे हैं कि परीक्षा कैसे दें, जब पढ़ाई हुई ही नहीं. इंटर की वार्षिक परीक्षा एक फरवरी से 14 फरवरी तक होगी, जबकि मैट्रिक की वार्षिक परीक्षा 17 फरवरी से 24 फरवरी तक होनी है. वहीं12वीं की प्रैक्टिकल परीक्षाएं 10 जनवरी से शुरू हो चुकी है, जो 20 जनवरी तक होगी.

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मैट्रिक की प्रैक्टिकल परीक्षाएं 20 से 22 जनवरी तक होगी. कोरोना की वजह से छात्रों की पढ़ाई में बहुत अड़चनें सामने आई है. ऐसे में छात्र काफी परेशान हैं कि उन्हें अच्छे अंक नहीं मिलेंगे. परीक्षा को लेकर शिक्षक तथा अभिभावक का मानना है कि परीक्षा है, तो देना ही होगा. लेकिन बच्चों को एकाग्रचित्त होकर तैयारी करने की जरूरत है. वहीं शिक्षकों का मानना है कि बच्चे योग और मेडिटेशन को अपनाकर आत्मविश्वास के साथ पढ़ाई करेंगे, तो बेहतर परिणाम मिलेंगे.

'कोरोना एवं पंचायत चुनाव को लेकर कॉलेज में अधिकतर समय छुट्टी ही रही. निजी कोचिंग के सहारे घर में पढ़ाई किसी तरह पूरा किए है. आधे अधूरे तैयारी के बीच परीक्षा देने की मजबूरी है. हमलोग न ऑनलाइन क्लास कर पाए और न ही ढंग से ऑफलाइन क्लासय परीक्षा में अंक कैसे मिलेंगे वो परीक्षा देने के बाद ही पता चल पाएगा.' -रेशमी, छात्रा

वहीं छात्रा पूजा ने कहा कि सिलेबस कोचिंग में पूरा हुआ है. ऑनलाइन भी कुछ वेबसाइट पर जाकर पढ़ाई किए हैं. लेकिन तैयारी अच्छी नहीं है, बहुत परेशान हूं कि अच्छे अंक आएंगे कि नहीं. वहीं शिक्षक भास्कर प्रियदर्शी का कहना है कि बच्चे परीक्षा को लेकर तनाव में नहीं रहे. परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रश्न 50 अंक के होंगे इसलिए हर एक विषय का सारांश अवश्य पढ़ें. जिससे अच्छे अंक मिल सकेंगे.

'बच्चों को मोबाइल का कम उपयोग करना है. केवल ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ही मोबाइल का उपयोग करना चाहिए. योग और मेडिटेशन को अपनाते हुए तैयारी करनी चाहिए. जिससे परीक्षा के लिए तनाव कम होगा. बच्चे तनावग्रस्त न रहे. सुबह पढ़ने से बेहतर परिणाम आएंगे. सुबह का वातावरण शांत और एकाग्र वाला होता है.' -सरिता कुमारी, अभिभावक

'बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की वेबसाइट पर परीक्षा संबंधित तैयारी के बारे में कई टिप्स दिए गए है, उसे देंख लें. परीक्षा को लेकर तनाव नहीं लें. सुबह परीक्षा के लिए पढ़ाई करें. योग को महत्व दें. परीक्षार्थी अगर इन बातों पर ध्यान देंगे, तो उनके परीक्षा में बेहतर अंक आएंगे.' - राजीव कुमार, शिक्षक, बैजनाथ उच्च विद्यालय

बता दें कि बिहार में इस बार 13 लाख 46 हजार 334 परीक्षार्थी इंटर की परीक्षा देंगे. घोषित सिलेबस के मुताबिक इंटरमीडिएट के स्टूडेंट को 2 साल में 360 दिन पढ़ाया जाना है. यानी एक साल में 180 दिन. ऐसे में जो आंकड़े स्कूल के शिक्षकों से बातचीत के जरिए निकाल पाया है उसके मुताबिक बिहार 2 साल के सत्र में इंटर के स्टूडेंट केवल एक सत्र की पढ़ाई कर पाए. इसके बावजूद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और बिहार शिक्षा विभाग की तरफ से न तो छात्रों की मुश्किलें को कम करने के लिए परीक्षा का सिलेबस छोटा किया गया है और न इसमें कोई राहत देने की बात सामने आई है.

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