सिलेबस पूरा कराए बगैर ली जा रही इंटरमीडिएट की परीक्षा, रिजल्ट को लेकर आशंकित छात्र

author img

By

Published : Feb 6, 2021, 9:30 PM IST

Updated : Feb 8, 2021, 7:29 PM IST

पटना

बिहार में इंटरमीडिएट की परीक्षा ली जा रही है. लेकिन छात्र परीक्षा परिणाम को लेकर आशंकित हैं. क्योंकि कोरोना के कारण पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित रही. जिससे सिलेबल पूरा नहीं हो सका. ऐसे में छात्र भविष्य को लेकर चितिंत हैं.

पटना: प्रदेश में इंटरमीडिएट की परीक्षाएं चल रही हैं. मैट्रिक की परीक्षा भी 17 फरवरी से शुरू होने जा रही है. इंटरमीडिएट के परीक्षार्थियों का कहना है कि इस बार कोरोना के कारण सिलेबस अधूरा रह गया. इसके बावजूद परीक्षा ली जा रही है. ऐसे में रिजल्ट प्रभावित होना तय है.

स्कूल खुलते ही शुरू हो गई परीक्षा
बिहार बोर्ड मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं फरवरी में ही आयोजित करा रहा है. जबकि सीबीएसई और देश की अन्य शिक्षा बोर्ड अप्रैल-मई के बीच परीक्षा आयोजित कराने की तैयारी में है. कोरोना के कारण इस साल विद्यालयों में क्लासेस एक भी दिन नहीं चले. जिससे सिलेबस पूरी नहीं हो सकी. लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन के माध्यम से पढ़ाई शुरू तो कराई गई, लेकिन कई छात्र इससे लाभान्वित नहीं हो सके और कइयों को इसकी पढ़ाई समझ नहीं आई. जनवरी में स्कूल खोले गए तो 10वीं और 12वीं के प्रैक्टिकल एग्जाम आयोजित कराए गए और फरवरी में इंटरमीडिएट परीक्षा शुरू हो गई.

पटना के वीरचंद पटेल पथ स्थित मिलर हाई स्कूल से इंटरमीडिएट की परीक्षा देकर निकलते छात्रों ने बताया 'परीक्षा अच्छी नहीं जा रही है. कोरोना के कारण पढ़ाई-लिखाई पूरी तरह प्रभावित रही. स्कूल एक भी दिन नहीं चले. जिससे सिलेबस पूरा नहीं हो सका. बिना तैयारी के परीक्षा देनी पड़ रही है. ऑब्जेक्टिव प्रश्न थोड़े बहुत सॉल्व हो रहे हैं. लेकिन, सब्जेक्टिव क्वेश्चन काफी परेशान कर रहे हैं.'

raw
परीक्षा केंद्र के बाहर छात्र

'ढिंढोरा पिटना चाहता बिहार बोर्ड'
'जिस प्रकार से सीबीएसई सहित देश के अन्य शिक्षा बोर्ड सिलेबस में कटौती के साथ लॉकडाउन खुलने के बाद पढ़ाई के लिए भी कुछ महीनों का समय दिया गया. उसी तरह बिहार बोर्ड को भी पहल करना चाहिए था. इससे परीक्षा का परिणाम बेतहर आता. बिहार बोर्ड सिर्फ ढिंढोरा पिटवाने के लिए फरवरी में परीक्षा आयोजित करा रही है जबकि उसे साफ पता है कि स्कूलों में पढ़ाई बिल्कुल भी नहीं हुई है.' - पंकज कुमार, छात्र

'यदि सिलेबस कुछ प्रतिशत कम हो जाते और स्कूल खुलने के बाद पढ़ाई के लिए 4 महीने समय मिल जाते तो निश्चित तौर पर परीक्षा अच्छा जाता. अभी तो हालात यह है कि पास भी होंगे या नहीं, यह निश्चित नहीं है. दिसंबर अंत तक स्कूल, कॉलेज और कोचिंग पूरी तरह बंद रहे. कोई चोरी छिपे कोचिंग चला भी रहा था तो पुलिस कोरोना गाइडलाइन का हवाला देकर उसे बंद करा दे रही थी. ऐसे में पढ़ाई बिल्कुल भी नहीं हो सकी. जनवरी में स्कूल-कोचिंग खुले तो इंटरमीडिएट की प्रैक्टिकल परीक्षा आयोजित कराई गई. ऐसे में तैयारी करने का समय बिल्कुल भी नहीं मिला.' - अभिषेक कुमार, छात्र

सिलेबस नहीं हुआ पूरा
'पढ़ाई नहीं होने के कारण सिलेबस पूरा नहीं हो सका है. यदी इंटरमीडिएट की परीक्षा में पास हो भी गया तो आगे एयर फोर्स और नेवी जैसे इंटरमीडिएट बेस्ड एग्जामिनेशन में क्वालीफाई नहीं हो सकूंगा. क्योंकि बिना तैयारी के परीक्षा देनी पड़ रही है.' - नीतेश कुमार, छात्र

ये भी पढ़ेंः महाराजगंज सांसद के खाते से 89 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा

सरकार का शिक्षा के प्रति बिल्कुल भी ध्यान नहीं है. कोरोना के कारण इस साल बच्चों की पढ़ाई बिल्कुल नहीं हुई. बावजूद इसके बोर्ड इतना पहले परीक्षा आयोजित करा रही है. कोर्स पूरा नहीं हुआ और परीक्षा शुरू हो गई है. ऐसे में बच्चों का भविष्य संकट में आ गया है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा परीक्षा की घोषणा करने के बाद बच्चों को ना चाहते हुए भी परीक्षा में शामिल होना पड़ रहा है. ऐसे में रिजल्ट बेहतर नहीं आएंगे. यदि रिजल्ट बेहतर नहीं आए तो बच्चे अगले साल फिर से परीक्षा के लिए फॉर्म भरेंगे.' - श्रद्धानंद मिश्रा, अभिभावक

'छात्रों को आगे पढ़ाई करने में होगी परेशानी'
लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद हो गए थे. इस वजह से बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है और उनका सिलेबस भी पूरा नहीं हुआ है. सभी के पास स्मॉर्ट फोन नहीं होने की वजह से ऑनलाइन क्लासेज का भी लाभ सभी बच्चों को नहीं मिल सका. भले ही इंटरमीडिएट और मैट्रिक की परीक्षा प्रदेश में समय पर आयोजित हो रही हो, मगर परिणाम बेहतर नहीं आएंगे. जो बच्चे पास करेंगे उन्हें आगे की पढ़ाई में परेशानी होगी.' - धर्मेंद्र कुमार, गेस्ट शिक्षक, हाई स्कूल

Last Updated :Feb 8, 2021, 7:29 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.