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मुंगेर में बाढ़ ने 1976 का तोड़ा रिकॉर्ड, रामपुर पंचायत के गांव में मची तबाही

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Published : Aug 18, 2021, 7:18 AM IST

बाढ़
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मुंगेर (Munger) में गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी लगातार जारी है. बाढ़ का पानी गांवों में भी प्रवेश कर गया है. जिससे कई घर जलमग्न हो गए हैं.

मुंगेर: बिहार के मुंगेर जिले में बाढ़ का खतरा प्रबल हो गया है. दरअसल, गंगा का जलस्तर प्रतिदिन बढ़ रहा है. गंगा (Ganga River) खतरे के निशान से 60 सेंटीमीटर से अधिक ऊपर बह रही है. पिछले 4 दिनों से गंगा के जलस्तर में हो रही वृद्धि के कारण जिले में बाढ़ ने विकराल रूप धारण कर लिया है. घरों में पानी प्रवेश कर जाने से लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

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जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित टीका रामपुर पंचायत (Tika Rampur Panchayat) के सभी गांव पिछले 8 दिनों से बाढ़ का दंश झेल रहे हैं. आलम यह है कि 7,000 की आबादी में 3,500 लोग गांव से दूर अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए हैं. वहीं आधी आबादी अभी भी सरकारी मदद के इंतजार कर रही है.

देखें रिपोर्ट.

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सभी घरों में 5 फीट से अधिक ऊपर पानी आ गया है. लोग किसी तरह मचान बनाकर या घर के छप्पर पर शरण लिए हुए हैं. अभी तक पंचायत के किसी भी गांव में सरकारी राहत कार्य नहीं किया गया है. सरकारी मदद के इंतजार में ग्रामीण प्रशासन की ओर टकटकी निगाहे बनाए हुए हैं.

'पिछले 8 दिनों से गांव में पानी प्रवेश कर गया है. घरों में 5 फीट तक पानी है. घर में जो भी राशन था सब डूब चुका है. नौबत यह आ गई है कि सुखा चूड़ा और सत्तू खाकर काम चलाना पड़ रहा है.' -रूमा देवी, पीड़ित

'हमारी झोपड़ी एक सप्ताह तक पानी में डूबे रहने के कारण बह गई है. रिश्तेदार के यहां शरण लेकर रह रहे हैं. घर में खाने को कुछ नहीं बचा है. सरकारी मदद भी नहीं दिया जा रहा है. जिसके कारण हमलोगों को पानी में रहना पड़ रहा है.' -सुलेखा देवी, पीड़ित

बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों ने बताया कि घर में सिर्फ एक समय ही भोजन बन रहा है. बाढ़ के पानी से मवेशियों को भी परेशानी हो रही है. मवेशियों का चारा पानी में डूब गया है. जिसके कारण भूखा रहना पड़ रहा है. सरकार के माध्यम से पशु चारा भी उपलब्ध नहीं कराया गया है. इंसानों के साथ-साथ अब मवेशियों को भी गंभीर बीमारी होने की चिंता सता रही है.

गांव के बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया कि यहां प्रत्येक वर्ष बाढ़ आता है. लेकिन इस वर्ष के बाढ़ ने 1976 का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है. पूरा पंचायत पानी के आगोश में है. पिछले 8 दिनों से पानी के बीच ही जिंदगी काटनी पड़ रही है. इस समस्या को लेकर सीओ, एसडीओ और डीएम कहते हैं कि राहत सामग्री भेजी जा रही है. लेकिन 8 दिन बीतने के बाद भी कोई राहत सामग्री गांव नहीं पहुंचा है.

ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द पशुओं के लिए चारा, पॉलीथिन शीट, सूखा राशन आदि की व्यवस्था कराई जाए. इसके साथ ही गांव में दवाई और प्राथमिक अस्पताल की भी व्यवस्था कराई जानी चाहिए. गांव में अगर कोई बीमार पड़े तो उसे खटिया पर लेकर नाव पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ता है.

स्थानीय सिरजुवा के ग्रामीण अखिलेश कुमार ने कहा कि 2 दिन पूर्व मुंगेर विधायक प्रणव कुमार पंचायत के बाहर नौका बिहार कर चले गए. प्रशासन का कहना है कि राहत बचाव कार्य जारी है. सरकारी नाव भेजी जा रहा है लेकिन यहां तो कुछ नहीं आया. कहीं जाने के लिए ग्रामीणों को 3000-5000 रुपये खर्च कर नाव बुक करना पड़ता है.


बताते चलें कि गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी होने से जिले में रेल संपर्क भी भंग हो गया है. जमालपुर-भागलपुर रेल रुट के बरियारपुर के कल्याणपुर इलाके के पास रेलवे ट्रैक पर बाढ़ का पानी चढ़ गया है. जिसके बाद सुरक्षा के दृष्टिकोण से मालदा डिवीजन के डीआरएम यतेंद्र कुमार ने अगले आदेश तक के लिए इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया है.

बाढ़ का पानी जिले के शहरी इलाकों में भी प्रवेश कर गया है. नगर निगम के वार्ड नंबर 2, 4, 8, 43 और 45 के कई इलाकों में बाढ़ा का पानी प्रवेश कर गया है. लाल दरवाजा, मिर्ची तालाब, चौखंडी श्यामपुर में बाढ़ का पानी आ जाने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है. सड़कों पर पानी आ जाने से इन इलाके में आवागमन में परेशानी हो रही है. गंगा का जलस्तर बढ़ने से नए इलाकों में भी पानी प्रवेश करने लगा है.

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