मुंगेर में 10 हजार से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित, नहीं कम हो रही मुसीबतें

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Published : Aug 14, 2021, 11:58 AM IST

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मुंगेर (Munger) में बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत शिविर का संचालन किया जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी लोगों की परेशानियां कम नहीं हुई हैं. बाढ़ पीड़ितों के सामने इलाज से लेकर सोने तक की समस्या बनी हुई है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

मुंगेर: बिहार में हो रही बारिश से (Rain in Bihar) जनजीवन अस्त-व्यस्त है. बिहार के विभिन्न इलाकों में हो रही बारिश से मुंगेर में गंगा नदी खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर (Ganga river above danger mark) बह रही है. जिसके कारण लगभग 10 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित है. बाढ़ पीड़ितों के लिए ऊंचे स्थानों पर राहत शिविर का संचालन (Relief Camp) कराया जा रहा है. जहां उन्हें दो टाइम का खाना दिया जा रहा है.

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बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत शिविर में कई तरह की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश जारी किया गया है, जिसमें खाने में चावल, दाल, सब्जी, स्वच्छ पेयजल, डॉक्टर और नर्स की तैनाती, सोने के लिए दरी और पशुओं के लिए चारा समेत रात में जनरेटर की व्यवस्था सम्मिलित है. लेकिन सभी बाढ़ राहत शिविर में किसी न किसी रूप में परेशानी सामने आ रही है. बता दें जिले में कुल 13 बाढ़ राहत शिविर केंद्र संचालित किए जा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट.

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सदर प्रखंड अंतर्गत टीका रामपुर एवं कुतलुपुर पंचायत के बाढ़ पीड़ितों के लिए सीताकुंड उच्च विद्यालय (Sitakund High School) में बाढ़ राहत केंद्र बनाया गया है. इस शिविर में लगभग 300 से अधिक लोग रह रहे हैं. लेकिन इसमें पूरी व्यवस्था नहीं है. इस केंद्र पर कई तरह की अनियमितता देखने को मिल रही है.

'मेरे बच्चे को बुखार है. लेकिन न तो यहां डॉक्टर है और न ही नर्स. मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि निजी क्लीनिक में इलाज करा सकें. यहां के प्रतिनियुक्त अधिकारी कहते हैं कि डॉक्टर चले गए हैं. शाम चार बजे ही डॉक्टर चले जाते हैं. इमरजेंसी के लिए कोई सुविधा नहीं है.' -मीना देवी, बाढ़ पीड़ित

'पशुओं के लिए चारा की कमी है. कुछ जानवर अभी भी दियारा में फंसे हुए हैं. प्रशासन माध्यम से नाव की व्यवस्था नहीं कराई जा रही है. लगातार दो दिनों से फरियाद कर रहा हूं. जब किसी ने नहीं सुना तो 3000 रुपये में एक नाव बुक किया हूं. जिससे मवेशियों को सुरक्षित वापस लाया जा सके.' -किशन कुमार, बाढ़ पीड़ित

इसके साथ ही बाढ़ पीड़ित सुगिया देवी समेत अन्य लोगों ने कहा कि वे लोग बगैर बिछावन के ही जमीन पर सोती हैं. प्रशासन को चाहिए कि दरी, चादर की व्यवस्था कर दें. जिससे खाली जमीन पर न सोना पड़े. रात में ओढ़ने के लिए चादर भी नहीं दिया गया है, जिससे मच्छर बहुत परेशान करता है. सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को सोने में होती है.

'इस शिविर में दो समय का पका हुआ भोजन दिया जा रहा है. रोज लगभग 300 बाढ़ पीड़ितों के लिए खाना बनाया जाता है. पानी के लिए बोरिंग की व्यवस्था है. साथ ही डॉक्टर की भी प्रतिनियुक्ति की गई है. विभाग से पशु चारा की मांग की गई है. उम्मीद है कि जल्द ही चारा उपलब्ध करा दिया जाएगा.' -विमल कुमार, बाढ़ राहत केंद्र प्रभारी

बता दें कि मुंगेर में गंगा के खतरे का निशान 39.33 मीटर है. लेकिन गंगा अब खतरे के निशान को पार कर 39.60 मीटर पर पहुंच गई है. घर में पानी घुसने से लोग सुरक्षित स्थान पर तेजी से पलायन कर रहे हैं. पानी में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए जिला राहत बचाव दल के अलावा एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम युद्ध स्तर पर लगी है. बरियारपुर प्रखंड के सभी पंचायत, सदर प्रखंड की 6 पंचायत और जमालपुर प्रखंड की 3 पंचायत बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. इन पंचायतों में लगभग 1000 से अधिक मकानों में बाढ़ का पानी घुस गया है. यहां से लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है.

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