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Lockdown: 2.10 लाख चंदा कर चेन्नई से बस लेकर बिहार पहुंचे 30 मजदूर

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Published : May 21, 2020, 3:46 PM IST

Updated : May 21, 2020, 6:22 PM IST

चेन्नई में फंसे कैमूर के मजदूरों ने बताया कि हम 30 लोग थे. सभी ने 7-7 हजार कर के दिया. तब जाकर बस का भाड़ा 2 लाख 10 हजार जमा हुआ. जिसे बस वाले को देकर हम घर पहुंचे.

कैमूर से कौशल की रिपोर्ट
कैमूर से कौशल की रिपोर्ट

कैमूर: लाख सरकारी दावों के बावजूद प्रवासी जैसे-तैसे या कर्ज लेकर खुद अपने घरों तक का सफर पूरा करने को मजबूर हैं. प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन की ओर से लगातार दावे किए जा रहे हैं कि दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों की हर सम्भव मदद की जा रही है. लेकिन ये सरकारी दावे पूरी तरह से सही नहीं हैं.

चेन्नई में फंसे कैमूर के जब 30 प्रवासी मजदूरों को सरकारी मदद नहीं मिल पाई तो आखिरकार मजदूरों ने खुद किराए का इंतजाम कर एक बस को 2 लाख 10 हजार रुपये में बुक पर भभुआ पहुंचे.

कैमूर से कौशल की रिपोर्ट

काम बंद होने से भुखमरी की नौबत
जिले के अधौरा प्रखंड के रहने वाले ये मजदूर लॉकडाउन के दौरान चेन्नई में फंसे हुए थे. काम बंद हो जाने के कारण उनके सामने भुखमरी की नौबत आ गई. उनका कहना है कि खाना खाने का भी कोई इंतजाम नहीं था. पैसे भी खत्म हो गया थे. फिर किसी तरह घर से पैसा मंगाया. कुछ लोगों ने किसी ने कर्ज लेकर पैसे इकट्ठे किए और 2 लाख 10 हजार रुपये में बस बुक कर कैमूर पहुंचे.

कैमूर
चेन्नई से भभुआ पहुंचे प्रवासी मजदूर

कारगर साबित नहीं हो रही सरकारी मदद
मजदूरों ने बताया कि हम 30 लोग थे. सभी ने 7-7 हजार कर के दिया. तब जाकर बस का भाड़ा 2 लाख 10 हजार जमा हुआ. जिसे बस वाले को देकर हम घर पहुंचे. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रवासियों की मदद करने के सरकारी दावों में उतना दम नहीं है जितना कहा जा रहा है. नहीं तो इनके सामने ऐसी नौबत नहीं आती. अहम बात यह है कि इनके जैसी हालत हजारों प्रवासी मजदूरों की है. ऐसे में सरकारी मदद का क्या मतलब जब उसका लााभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पाए.

Last Updated :May 21, 2020, 6:22 PM IST
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