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'बिहार में मध्यावधि चुनाव होकर रहेगा', BJP-JDU के बीच जारी 'सत्ता संघर्ष' पर चिराग का बड़ा दावा

हर बार की तरह एक बार फिर एलजेपीआर अध्यक्ष चिराग पासवान (LJPR President Chirag Paswan) नीतीश कुमार पर हमलावर नजर आए. सरकार की नीतियों से लेकर एनडीए में विरोधाभास और सात निश्चय योजना तक पर उन्होंने सवाल उठाए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने फिर कहा कि बिहार मध्यावधि चुनाव की ओर बढ़ रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

चिराग पासवान
चिराग पासवान
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Published : May 28, 2022, 7:27 AM IST

Updated : May 28, 2022, 7:40 AM IST

जमुईः अपने संसदीय क्षेत्र बिहार के जमुई पहुंचे एलजेपीआर अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan On Nitish Government) ने एक बार फिर दोहराया कि बिहार मध्यावधि चुनाव की ओर जाएगा. यहां जो गठबंधन की सरकार है, उसके घटक दलों को एक-दूसरे पर विश्वास ही नहीं है, बहुत जल्द ये गठबंधन टूटेगा. उन्होंने ये भी कहा कि आज की तारीख में बड़े बदलाव की जरूरत है. 2020 में चुनाव परिणाम आने के बाद ही हमने कह दिया था कि दो ढाई साल के अंदर ही सरकार गिर जाऐगी. आज लगभग डेढ़ साल हो गए हैं, क्या स्थिति है सभी देख रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः LJPR अध्यक्ष चिराग पासवान बोले- 'अपराधियों को संरक्षण देती है बिहार सरकार'

'मैं राज्य सरकार का हिस्सा नहीं हूं, इनकी नीतियों का विरोध करने के कारण ही आज में राज्य सरकार का हिस्सा नहीं हूं. मुझे चिंता इस बात की ज्यादा होती है की सरकार को बनाने और बचाने की लड़ाई में बिहार पिसता जा रहा है. आज के ज्वलंत विषयों पर चर्चा होना ज्यादा जरूरी है. एक लंबे समय से विरोधाभास देख रहे हैं. मौजूदा एनडीए सरकार के दोनों घटक दलों में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल युनाइटेड में एक दूसरे की नीतियों को लेकर ही विरोधाभास चल रहा है और मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी को लेकर चिंतित हैं. बेरोजगारी और महंगाई की कोई बात नहीं करता'- चिराग पासवान, अध्यक्ष, एलजेपीआर

ये भी पढ़ें: 'मैं तो गाड़ी में भी हनुमान चालीसा पढ़ लेता हूं मुझे माइक की जरूरत नहीं पड़ती'

ठोस स्वास्थ्य नीति और शिक्षा नीति की जरूरत: चिराग ने ये भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खराब नीतियों की वजह से आज बिहार में कोई विकास नहीं है. बिहार को एक ठोस स्वास्थ्य नीति और शिक्षा नीति की जरूरत है. केवल नली गली बनने से काम नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि मैं अगर मुख्यमंत्री के सामने नतमस्तक हो जाता तो मैं केंद्र में मंत्री होता. बिहार सरकार में मेरे मंत्री होते. जो मेरे 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' को समर्थन देगा. उसी से मेरा गठबंधन होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005 में कहा था कि मेरा सपना है जितने भी लोग रोजगार की तलाश में बिहार से बाहर गए हैं वापस आएं. पिछले 17 साल से तो हमलोग यही सुनते आ रहे हैं. जो मुख्यमंत्री पिछले 17-18 सालों में अपना सपना पूरा नहीं कर पाऐ वो बिहार के सपने को क्या पूरा करेंगे.

ये भी पढ़ेंः चिराग का नीतीश पर कटाक्ष- 'हेलीकॉप्टर के पंखे की हवा से टूट गया होगा बांध, आग लगने पर देखने जाते हैं, हत्या में पूछने नहीं जाते'

'आज भी बिहार से पलायन होता है. सरकार के पास ऐसी कोई नीति ही नहीं है, जो यहां के बच्चों का विकास कर सके उसको आगे लेकर जा सके. एक सीमा या सोनू की मदद करने से क्या सबकुछ ठीक हो जाऐगा. सवाल तो ये है की एक सीमा की मदद अगर इतनी जल्दबाजी में हो सकती है तो क्या बिहार के बाकी बच्चों की मदद जल्दबाजी में नहीं हो सकती. हो सकती है, लेकिन हमारे प्रदेश में दिक्कत इस बात की है कि जब तक चीजें वायरल नहीं होती मीडिया का दबाव नहीं होता तब तक चीजें होती नहीं हैं. आज भी राज्य सरकार के पास ऐसी कोई नीति नहीं है कि 80 प्रतिशत से अधिक किसी की दिव्यांगता हो तो उसे ट्राईसाइकिल या कोई अन्य सहूलियत मिल सके'- चिराग पासवान, अध्यक्ष, एलजेपीआर

सरकार की नीतियों का विरोध: वहीं, चिराग पासवान ने ये भी कहा कि जब अच्छी पत्रकारिता होती है, तब क्षेत्र विकास की राह पर आगे बढ़ता है. सरकारों जन प्रतिनिधियों का भी ये दायित्व होता है कि अपने स्तर से प्रयास करें कहीं न कहीं संघीय ढांचा के कारण राज्य सरकार और केंद्र सरकार उलझ कर रह जाती है. इन्हीं बातों की खिलाफत मैं हमेशा अपने राज्य सरकार की करता हूं. मैं एक सांसद हूं. मेरी भी अपनी सीमाएं हैं. मैंने बार-बार इस बात को उठाया है कि राज्य सरकार के पास कोई ठोस नीतियां ही नहीं है. आज तमाम नीतियों में बदलाव की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लंबे समय से मैं इस लड़ाई को लड़ रहा हूं, आप लोगों के सहयोग की जरूरत है.

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जमुईः अपने संसदीय क्षेत्र बिहार के जमुई पहुंचे एलजेपीआर अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan On Nitish Government) ने एक बार फिर दोहराया कि बिहार मध्यावधि चुनाव की ओर जाएगा. यहां जो गठबंधन की सरकार है, उसके घटक दलों को एक-दूसरे पर विश्वास ही नहीं है, बहुत जल्द ये गठबंधन टूटेगा. उन्होंने ये भी कहा कि आज की तारीख में बड़े बदलाव की जरूरत है. 2020 में चुनाव परिणाम आने के बाद ही हमने कह दिया था कि दो ढाई साल के अंदर ही सरकार गिर जाऐगी. आज लगभग डेढ़ साल हो गए हैं, क्या स्थिति है सभी देख रहे हैं.

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'मैं राज्य सरकार का हिस्सा नहीं हूं, इनकी नीतियों का विरोध करने के कारण ही आज में राज्य सरकार का हिस्सा नहीं हूं. मुझे चिंता इस बात की ज्यादा होती है की सरकार को बनाने और बचाने की लड़ाई में बिहार पिसता जा रहा है. आज के ज्वलंत विषयों पर चर्चा होना ज्यादा जरूरी है. एक लंबे समय से विरोधाभास देख रहे हैं. मौजूदा एनडीए सरकार के दोनों घटक दलों में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल युनाइटेड में एक दूसरे की नीतियों को लेकर ही विरोधाभास चल रहा है और मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी को लेकर चिंतित हैं. बेरोजगारी और महंगाई की कोई बात नहीं करता'- चिराग पासवान, अध्यक्ष, एलजेपीआर

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ठोस स्वास्थ्य नीति और शिक्षा नीति की जरूरत: चिराग ने ये भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खराब नीतियों की वजह से आज बिहार में कोई विकास नहीं है. बिहार को एक ठोस स्वास्थ्य नीति और शिक्षा नीति की जरूरत है. केवल नली गली बनने से काम नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि मैं अगर मुख्यमंत्री के सामने नतमस्तक हो जाता तो मैं केंद्र में मंत्री होता. बिहार सरकार में मेरे मंत्री होते. जो मेरे 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' को समर्थन देगा. उसी से मेरा गठबंधन होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005 में कहा था कि मेरा सपना है जितने भी लोग रोजगार की तलाश में बिहार से बाहर गए हैं वापस आएं. पिछले 17 साल से तो हमलोग यही सुनते आ रहे हैं. जो मुख्यमंत्री पिछले 17-18 सालों में अपना सपना पूरा नहीं कर पाऐ वो बिहार के सपने को क्या पूरा करेंगे.

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'आज भी बिहार से पलायन होता है. सरकार के पास ऐसी कोई नीति ही नहीं है, जो यहां के बच्चों का विकास कर सके उसको आगे लेकर जा सके. एक सीमा या सोनू की मदद करने से क्या सबकुछ ठीक हो जाऐगा. सवाल तो ये है की एक सीमा की मदद अगर इतनी जल्दबाजी में हो सकती है तो क्या बिहार के बाकी बच्चों की मदद जल्दबाजी में नहीं हो सकती. हो सकती है, लेकिन हमारे प्रदेश में दिक्कत इस बात की है कि जब तक चीजें वायरल नहीं होती मीडिया का दबाव नहीं होता तब तक चीजें होती नहीं हैं. आज भी राज्य सरकार के पास ऐसी कोई नीति नहीं है कि 80 प्रतिशत से अधिक किसी की दिव्यांगता हो तो उसे ट्राईसाइकिल या कोई अन्य सहूलियत मिल सके'- चिराग पासवान, अध्यक्ष, एलजेपीआर

सरकार की नीतियों का विरोध: वहीं, चिराग पासवान ने ये भी कहा कि जब अच्छी पत्रकारिता होती है, तब क्षेत्र विकास की राह पर आगे बढ़ता है. सरकारों जन प्रतिनिधियों का भी ये दायित्व होता है कि अपने स्तर से प्रयास करें कहीं न कहीं संघीय ढांचा के कारण राज्य सरकार और केंद्र सरकार उलझ कर रह जाती है. इन्हीं बातों की खिलाफत मैं हमेशा अपने राज्य सरकार की करता हूं. मैं एक सांसद हूं. मेरी भी अपनी सीमाएं हैं. मैंने बार-बार इस बात को उठाया है कि राज्य सरकार के पास कोई ठोस नीतियां ही नहीं है. आज तमाम नीतियों में बदलाव की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लंबे समय से मैं इस लड़ाई को लड़ रहा हूं, आप लोगों के सहयोग की जरूरत है.

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Last Updated : May 28, 2022, 7:40 AM IST
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