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गोपालगंज के राम कलावन चुने गए सेशेल्स के राष्ट्रपति, 2 साल पहले गांव आकर लगाया था मिट्टी का तिलक

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Published : Oct 28, 2020, 10:22 AM IST

रामकलावन का बरौली प्रखंड के परसौनी गांव से गहरा जुड़ाव है. यहां द्वीपीय देश सेशेल्स के राष्ट्रपति वैवेल राम कलावन के पूर्वजों का गांव है. रामकलावन ने राष्‍ट्राध्‍यक्ष बनने के बाद आने का वादा किया था. वहीं अब उनके राष्‍ट्रपति के रूप में आने का इंतजार है.

ram kalavan of gopalganj elected president of seychelles
राम कलावन को सेशेल्स का राष्ट्रपति चुना गया

गोपालगंज: जिले के बरौली प्रखण्ड के परसौनी गांव से वैवेल राम कलावन का गहरा रिश्ता है. इसी धरती पर नवनिर्वाचित हिंद महासागर के द्वीपीय देश सेशेल्स के राष्ट्रपति वैवेल राम कलावन के पूर्वजों का गांव है. वर्तमान समय में परसौनी गांव में खुशी की लहर है.

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राम कलावन को सेशेल्स का राष्ट्रपति चुना गया

परसौनी गांव से गहरा जुड़ाव
दअरसल वैवेल राम कलावन का बिहार में बरौली प्रखंड के परसौनी गांव से गहरा कनेक्शन है. साल 2018 में वे भारतवंशी (पीआइओ) सांसदों के पहले सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली गए थे. उस समय वह सेशेल्स की संसद नेशनल असेंबली के सदस्य थे. 10 जनवरी 2018 को परसौनी अपने पूर्वजों को ढ़ूंढ़ते हुए गांव आए थे. यहां आते ही गांव की माटी को नमन कर माथे पर तिलक लगाया था.

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राम कलावन का गांव

रामकलावन की आंखें हुईं नम
पुरखों के गांव परसौनी में कदम रहते ही राम कलावन की आंखें छलक आईं थी. तब उन्होंने कहा था कि यहां का प्‍यार कभी नहीं भूलेंगे. इसके साथ ही उन्‍होंने कहा था कि अगली बार वह राष्‍ट्राध्‍यक्ष बनकर आएंगे. अब रामकलावन सेशेल्‍स के राष्‍ट्रपति निर्वाचित हो गए हैं.

राष्‍ट्रपति के रूप में आने का इंतजार
गांव के लोग बताते हैं कि राम कलावन ने राष्‍ट्राध्‍यक्ष बनने के बाद आने का वादा किया था. अब उनके राष्‍ट्रपति के रूप में आने का इंतजार है. उन्‍होंने यह भी कहा था कि वे अपने तीनों बेटों को भी लेकर आएंगे, जिससे वे अपने पुरखों का गांव देख सकें और यहां की मिट्टी को चूम सकें. वे उस समय अपने पुरखों के परिवार रघुनाथ महतो से मिले थे, जो राम कलावन के चाचा के पुत्र हैं. फिलहाल राष्ट्रपति निर्वाचित होने की खबर सुनकर गांव के लोगों में खुशी और उत्साह है.

कलकत्ता से पहुंचे थे मॉरीशस
गांव के लोग वैवेल राम कलावन को गांव का बेटा मानते हैं. वे बताते है कि करीब 135 साल पहले उनके पूर्वज यहां से कलकत्ता होते हुए मारीशस पहुंचे थे. वहां वे गन्ने के खेत में काम करने लगे. कुछ समय बाद वह सेशेल्स चले गए थे. उस समय अंग्रेज यहां के लोगों को मजदूरी कराने के लिए ले जाते थे. उन्‍हें गिरमिटिया मजदूर कहा जाता था. इनमें बिहार के लोग भी बड़ी संख्‍या में होते थे. उन लोगों ने अपनी मेहनत से वहां अपना साम्राज्‍य भी स्‍थापित किया. रामकलावन के परदादा भी उन्‍हीं में थे, जो अपने वतन को छोड़कर वहां गए.

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