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गोपालगंज: परिवार नियोजन को लेकर सरकारी रवैया उदासीन, लक्ष्य से काफी पीछे है स्वास्थ्य विभाग

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Published : Dec 2, 2019, 9:26 PM IST

जिले की आबादी दोगुनी रफ्तार से बढ़ते हुए 26 लाख पार कर चुकी है. आंकड़ों की मानें तो जनसंख्या नियंत्रण को लेकर किए जा रहे सारे सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं.

गोपालगंज
बंध्याकरण कार्यक्रम

गोपालगंज: जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने के लिए सरकार कई तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रही है. जिसमें सबसे प्रमुख परिवार नियोजन है. जिले में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चलाए जा रहे कार्यक्रमों की स्थिति ठीक नहीं है. ये कार्यक्रम निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे हैं.

बंध्याकरण कार्यक्रम लक्ष्य से काफी पीछे
गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के बावजूद पिछले कई वर्षों से जिले में बंध्याकरण लक्ष्य से काफी पीछे रह जाता है. चालू वित्तीय वर्ष में भी अब तक की स्थिति देखने से प्रतीत होता है कि इस साल भी बंध्याकरण कार्यक्रम लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगा. स्वास्थ्य विभाग की मानें तो सभी पीएचसी प्रभारियों को बंध्याकरण कार्यक्रम सफल बनाने का निर्देश दिया गया है. वहीं, जिले की आबादी दोगुनी रफ्तार से बढ़ते हुए 26 लाख पार कर चुकी है. आंकड़ों की मानें तो जनसंख्या नियंत्रण को लेकर किए जा रहे सारे सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

'स्पेशल आरआई की होगी शुरुआत'
वहीं, मामले में सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह ने कहा कि परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा करने के लिए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्पेशल आरआई (विशेष टीकाकरण अभियान) की शुरुआत होने वाली है. स्पेशल आरआई कार्यक्रम में परिवार नियोजन को भी शामिल किया गया है. साथ ही पुरुष नसबंदी पर उन्होंने बताया कि पुरुष नसबंदी के लिए हमें समाज में जागरुकता फैलाने की आवश्यकता है.

Intro:जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने के लिए सरकार द्वारा कई तरह के कार्यक्रम आयोजित की जा रही है। जिसमें परिवार नियोजन कार्यक्रम भी एक है। जिले में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चलाए जा रहे कार्यक्रम की स्थिति भी ठीक नहीं है। वैसे तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत कई तरह के कार्यक्रम भी चलाए जाते रहे है। खासकर जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चलाए जा रहे कार्यक्रम के बावजूद जिले में लक्ष्य काफी पीछे है।


Body:हर वर्ष लक्ष्य निर्धारित कर उसे पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को विभागीय निर्देश भी मिलता है। पिछले कई वर्षों से जिले में बंध्याकरण लक्ष्य से काफी पीछे रह जाता है।चालू वित्तीय वर्ष में भी अब तक की स्थिति को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि इस साल भी बंध्याकरण कार्यक्रम लक्ष्य काफी पीछे रह जाएगा। हालांकि स्वास्थ्य महकमा की मानें तो सभी पीएचसी प्रभारी को अधिक से अधिक बंध्याकरण करने का निर्देश दिया गया है। अगर बात करे जिले के आबादी की तो जिले में इसकी रफ्तार बढ़ रही है जो 26 लाख पार कर चुकी है बावजूद जनसंख्या नियंत्रण लेकर किये गए प्रयास प्रयास ही रह जा रही है। हलांकि बीते वित्तीय वर्ष में परिवार नियोजन ऑपरेशन में महिला काफी रुचि दिखाई थी। वही पुरुष उदासीन रहे। की उदासीनता के कारण परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका ।पिछले दो दशक के आंकड़ों को देखें तो यह स्पष्ट हो जाएगा की लगातार प्रयास के बाद भी किसी भी साल जिले में परिवार नियोजन के लक्ष्य को प्राप्त कर पाने में स्वास्थ्य विभाग सफल नहीं हो सका जिले में जनसंख्या नियोजन के लिए विभागीय स्तर पर प्रयास किए गए इसके तहत पूरे जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रत्येक साल अभियान चलाया गया बावजूद इसके किसी भी साल परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ ऐसे में जनसंख्या में बढ़ोतरी जारी है । वर्तमान मे भी परिवार नियोजन लक्ष्य बढ़ा दिया गया है रिकॉर्ड संख्या में महिला ने ऑपरेशन भी कराया लेकिन पुरुषों ने परिवार नियोजन के प्रति रुचि नहीं दिखाई हालांकि पिछले वर्ष परिवार नियोजन के उपायों में लोगों ने कुछ दिलचस्पी दिखाई लेकिन इसके बाद भी लक्ष्य पूरा नहीं हो सका जिसके कारण पिछले एक दशक से जिले की आबादी करीब 6लाख बढ़ गई है। वर्ष 2001 में हुए जनगणना को देखा जाए तो जिले की कुल आबादी 20लाख 18 हजार200 थी। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी वर्तमान समय में 26 लाख को पार कर गई है। प्रत्येक वर्ष जनसंख्या में बढ़ोतरी के आंकड़े गौर करें तो औसतन प्रत्येक साल 58 से 60 हजार की आबादी बढ़ रही है। 2 अक्टूबर 1973 में गोपालगंज को जिला का दर्जा प्राप्त हुआ। इसके बाद से जिले की आबादी प्रत्येक साल बढ़ती चली गई स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें तो पिछले 20 साल में किसी भी वर्ष जिले में परिवार नियोजन ऑपरेशन करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। वर्तमान वर्ष में भी परिवार नियोजन के तहत ऑपरेशन का वार्षिक लक्ष्य 16372 निर्धारित किया गया है
जबकि मासिक लक्ष्य 1364 निर्धारित की गई है। लेकिन वर्तमान में सिर्फ 306 लक्ष्य ही प्राप्त हो सके। लेकिन इस आंकड़े में पुरुषों की नसबंदी के आंकड़े नगण्य है। परिवार नियोजन ऑपरेशन महिलाओं ने तो कुछ सजगता तो दिखाई है लेकिन पुरुष वर्ग इसके प्रति उदासीन बने हुए हैं। आंकड़े गवाह हैं कि बीते वित्तीय वर्ष में केवल 19 पुरुषों ने नसबंदी कराई है। इस स्थिति के लिए पुरुष वर्ग में परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने में सजगता की कमी बड़ा कारण बताया जाता है। सिविल सर्जन ने भी इस बात को माना है कि महिलाओ के अपेक्षा पुरुष वर्ग परिवार नियोजन के प्रति उदासीन व सजग नही हैं। महिलाओ की तरह अगर पुरुष भी इस दिशा में प्रयास करें तो अपेक्षित सफ़लता प्राप्त हो सकेगी। जनसंख्या पर नियंत्रण कार्य में जिले में कई स्वयंसेवी संस्था लगी हुई है। प्रचार के नाम पर इन संस्थाओं ने सरकार से अनुदान भी प्राप्त किया है। लेकिन इनके प्रयास का कोई भी असर जनसंख्या वृद्धि को रोकने में नहीं दिख रहा है। हद तो यह है कि परिवार नियोजन के साधन अपनाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रचार प्रसार में भी पीछे दिख रहा है। पिछले 1 वर्ष की अवधि में प्रचार प्रसार मद में स्वास्थ्य विभाग ने कागज पर चाहे जो भी राशि खर्च किया हो लेकिन धरातल पर एक भी कार्यक्रम आयोजित होता नहीं दिखा। आलम यह रहा कि इस अवधि में किसी भी स्थान पर नहीं बैनर और पोस्टर नही लगे और नाही विभाग ने नुक्कड़ नाटकों का आयोजन कर लोगों को सजग करने में सफल रहा। इस संदर्भ में जब सिविल सर्जन नंद किशोर सिंह से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा करने के लिए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्पेशल आर आई (विशेष टीकाकरण अभियान)करने जा रहे है जिसमे परिवार नियोजन को भी शामिल किया जा रहा है। पुरुषों की नशबंदी के मामले पर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा की पुरुषो संख्या कम होती है फिर भी इसके लिए हम लोग प्रयास कर रहे है कि इसे कैसे प्रमोट किया जाए।







Conclusion:na
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