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Gaya News: नई उम्र के किसान अपना रहे पुराने दौर की खेती, PM मोदी की योजना को दे रहे बल

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Published : Jun 14, 2023, 11:58 AM IST

गया में किसान कर रहे मड़वा की खेती
गया में किसान कर रहे मड़वा की खेती

बिहार के गया में कभी पुराने दौर में उपजाए जाने वाली मिलेट फसलों का दौर अब फिर से शुरू होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष के रूप में लक्षित किया है, तो इसका असर भी दिखने लगा है. किसान उत्साहित होकर मिलेट फसलों को बढ़ावा दे रहे हैं और इसे उपजाने की कवायद शुरू हो गई.

गया में किसान कर रहे मड़वा की खेती

गयाः बिहार के गया में इस साल मोटे अनाज की फसलें यानी मिलेट क्रॉप को करीब 2 हजार एकड़ में लगाए जाने की योजना तैयार कर ली गई है. फिलहाल मोटे अनाज की फसल मड़वा की खेती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. बीज की निकाई होने शुरू हो गई हैं. वहीं कई इलाकों में रोपनी भी शुरू हो गई है. कम पानी के बीच मड़वा की खेती संभव हो जाती है. ऐसे में किसान उत्साहित होकर मिलेट में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

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2 हजार एकड़ में मिलेट फसल की खेतीः कभी पुराने दौर में मोटे फसलों की खेती होती थी, लेकिन अब यह लुप्तप्राय हो चुकी है. लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद अब मिलेट फसलों का दौर वापस लौटता नजर आ रहा है. गया जिले में 2 हजार एकड़ में मिलेट फसल वर्ष 2023 में लगाई जाएगी. फिलहाल मिलेट फसल के रूप में मड़वा की खेती शुरू की गई है. किसान अपने खेतों में बीज निकाई करने में जुटे देखे जा सकते हैं. किसानों का कहना है कि 480 एकड़ में मड़वा की खेती की जाएगी.

30 एकड़ में मड़वा की खेती शुरूः गया जिले के मानपुर में करीब 30 एकड़ में मड़वा की खेती होगी. वहीं, इसके अलावा जिले के अन्य प्रखंडों में भी सैकड़ों एकड़ में खेती की जानी है. जिले में कुल मिलाकर 500 एकड़ में मड़वा की खेती कराने का लक्ष्य कृषि विभाग के द्वारा रखा गया है और इसके लिए उसमें मड़वा के बीज का वितरण कर दिया गया है. गया जिले में कुछ स्थानों पर मड़वा बीज का निकाई किया जा रहा है, वहीं कुछ स्थानों पर इसकी खेती भी शुरू कर दी गई है.

सेहत के लिए फायदेमंद है मड़वाः मड़वा की खेती में जुटे किसान नवलेश कुमार सिंह बताते हैं कि जिसे हम लोग रागी कहते हैं, यह पुराना अनाज है. मोटे अनाज को शिफ्ट करना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे श्री अन्न योजना के नाम से लांच किया है. नए उम्र के किसान पुरानी खेती को अपना रहे हैं. नवलेश ने बताया कि बीज गिराए गए हैं और उसकी निकाई कर रहे हैं. इधर के लोग मड़वा की खेती नहीं करते हैं, लेकिन अब शुरुआत हुई है. सेहत के हिसाब से भी बहुत फायदेमंद है और पूरी संभावना कि इसकी डिमांड आने वाले दिनों में काफी होगी और हम जैसे किसानों की आर्थिक स्थिति दुरुस्त होगी.

"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अन्न श्री योजना के तहत हम लोग आगे आए हैं. पूरे जिले में 500 एकड़ में मड़वा की खेती की जाएगी. इधर के लोग मड़वा की खेती नहीं करते हैं, लेकिन अब शुरुआत हुई है. सेहत के हिसाब से भी बहुत फायदेमंद है. आने वाले दिनों में इसकी मांग काफी बढ़ेगी. किसानों को बहुत फायदा होगा"- नवलेश कुमार सिंह, किसान

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किसानों को बांटे गए 80 किलोग्राम बीज: इस संबंध में मानपुर प्रखंड के प्रखंड कृषि पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि मड़वा का बीज भारत सरकार के द्वारा किसानों के बीच वितरण के लिए दिया गया है. हम लोग इसका प्रचार प्रसार कर किसानों के बीच बांट रहे हैं. किसानों में भी काफी उत्साह है. वह इसकी खेती कर रहे हैं. मड़वा के उपयोग से स्वास्थ्य काफी अच्छा रहेगा. इसमें आयरन कैल्शियम है. वहीं महिलाओं के लिए भी यही पोष्टिदायक तत्व इसमें मौजूद हैं.

"फिलहाल 30 एकड़ में खेती के लिए 80 किलोग्राम बीज किसानों को बीज वितरण किए गए हैं. जीविका के भी माध्यम से इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है और बीज का वितरण किया जा रहा है. पूरे जिले में 500 एकड़ में मड़वा की खेती का टारगेट है"- अमरेंद्र कुमार सिन्हा, प्रखंड कृषि पदाधिकारी

व्यापक पैमाने पर होगी मोटे अनाज की खेतीः जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि इंटरनेशनल मिलेट वर्ष के परिपेक्ष्य में मड़वा की खेती व्यापक पैमाने पर कराई जा रही है. मड़वा में कैल्शियम समेत अन्य पोषक तत्व रहते हैं. इसकी खेती बहुत पहले होती थी, अब लोग भूल चुके हैं. लेकिन किसानों ने इसे अपनाना शुरू किया है. जिउतिया पर्व में भी इसका उपयोग होता है और इसकी महता इस पर्व के माध्यम से सामने आती है. जिसमें मड़वा का मुख्य उपयोग पूजन में होता है.

"गया में अनियमित मानसून के बीच मड़वा की खेती परफेक्ट है. किसान भी काफी उत्साहित हैं और इसकी खेती करीब 500 एकड़ में कराई जा रही है. वहीं मिलेट वर्ष में करीब 2 हजार एकड़ में मोटे अनाज की खेती के का लक्ष्य रखा गया है. बड़ी बात यह है कि चीना जैसी पुरानी फसल भी अब उपजाई जाएगी. चीना में फाइबर समेत सभी पोषक तत्व लगभग मौजूद हैं. मधुमेह रोगियों के लिए यह रामबाण है"- सुदामा महतो, जिला कृषि पदाधिकारी

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