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दरभंगा के DMCH का हाल, जर्जर अस्पताल में हो रहा कोरोना मरीजों का इलाज

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Published : May 15, 2021, 7:09 PM IST

Updated : May 15, 2021, 7:54 PM IST

दरभंगा में सारे नियमों और निर्देशों को ताक पर रखकर डीएमसीएच के जर्जर सर्जिकल भवन में मरीजों का इलाज हो रहा है. इस भवन की हाल इतनी जर्जर हो चुकी है कि ये कभी भी भरभराकर गिर सकता है. सरकार ने सालों पहले भवन को खाली करने का निर्देश दिया था. लेकिन आज भी इस बिल्डिंग में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ जारी है. देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट.

दरभंगा
दरभंगा

दरभंगा: उत्तर बिहार का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल कहे जाने वाले डीएमसीएच के जर्जर सर्जिकल भवन में मरीजों और उनके परिजनों की जान खतरे में डालकर इलाज किया जा रहा है. सर्जिकल भवन को सरकार ने कई साल पहले जर्जर घोषित कर इसमें से मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट करने का आदेश दिया था. भवन निर्माण विभाग ने कई दफा इसे खाली करवाने का निर्देश जारी किया है, मगर इसके बावजूद भी यहां पर मरीजों का इलाज होता है.

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भगवान भरोसे मरीज
डीएमसीएच अस्पताल अब तक कई भूकंपों को झेल चुका है और इस कारण से इसकी नींव पूरी तरह से खोखली हो चुकी है, फिर भी जान जोखिम में डालकर मरीज अपना इलाज करवाने यहां पहुंचते हैं. डीएमसीएच प्रशासन ने जर्जर सर्जिकल भवन के अधिकांश भाग से मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया, लेकिन इसके बावजूद इसी भवन में बने सीसीडब्ल्यू वार्ड में आज भी मरीजों का इलाज हो रहा है.

प्रशासन कर रहा हादसे का इंतजार
प्रशासन कर रहा हादसे का इंतजार

कभी भी ढह सकता है भवन
इसी जर्जर भवन के एक हिस्से में डीएमसीएच का ब्लड बैंक संचालित है. साथ ही इस भवन में कई जांच घर भी चलते हैं. जर्जर भवन होने की वजह से मरीज, उनके परिजन और इस भवन में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मी और चिकित्सक जान जोखिम में डालकर काम करते हैं.

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ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

''शुक्रवार की रात मैं अपने मरीज को लेकर यहां आया था. ये भवन इतना जर्जर है कि वे पूरी रात डरा सहमा रहा. इस भवन से जितनी जल्द हो सके मरीजों को हटा देना चाहिए. कब ये बिल्डिंग गिर जाए और मरीजों की जान पर बन आए कोई नहीं कह सकता है.''- ललित मंडल, मरीज के परिजन

मरीजों की जान से खिलवाड़
मरीजों की जान से खिलवाड़

एक ही वार्ड में सामान्य और कोरोना मरीज
डीएमसीएच में दरभंगा समेत आसपास के कई जिलों के मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं. कोरोना महामारी में इस अस्पताल में 100 से भी ज्यादा पॉजिटिव मरीजों का इलाज भी चल रहा है. डीएमसीएच के सर्जिकल भवन में चल रहे सीसीडब्ल्यू वार्ड में सामान्य मरीज के साथ ही कोरोना मरीज भी भर्ती हैं. इस वजह से सामान्य मरीजों में भी कोरोना का खतरा बना रहता है. कोरोना काल में जब अस्पताल और बेड का भारी संकट है तो ऐसे में गरीब मरीजों का एकमात्र बड़ा सहारा डीएमसीएच ही है.

जर्जर भवन में ब्लड बैंक संचालित
जर्जर भवन में ब्लड बैंक संचालित

मजबूरी में जर्जर भवन में करवा रहे इलाज
गरीब मरीज और उनके परिजन बेबसी में जान जोखिम में डालकर इस जर्जर सर्जिकल भवन में इलाज कराते हैं. पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने डीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. मणि भूषण शर्मा से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.

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मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कार्य भी अधूरा
डीएमसीएच के जर्जर सर्जिकल भवन की हालात को देखते हुए 2016 में केंद्र और बिहार सरकार के साझा सहमति से 160 करोड़ की लागत से मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन जिस अस्पताल को 2018 तक बनकर तैयार हो जाना चाहिए था उसका निर्माण कार्य ढाई साल के बाद भी अब तक पूरा नहीं हो सका है.

Last Updated :May 15, 2021, 7:54 PM IST
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