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दरभंगा: कवि केदारनाथ सिंह पर केंद्रित 'साखी' पुस्तक का LNMU में विमोचन

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Published : Oct 21, 2019, 8:52 AM IST

ललित नारायण मिथिला विवि के हिंदी विभाग में चर्चित साहित्यिक पत्रिका 'साखी' पर केंद्रित अंक का विमोचन किया गया. वहीं, कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विवि सृजन का केंद्र होता है. यहां के शिक्षक और शोधार्थी कविताओं और कथाओं की रचना करते हैं.

Darbhaga

दरभंगा: जिले के ललित नारायण मिथिला विवि के हिंदी विभाग में वाराणसी की चर्चित साहित्यिक पत्रिका 'साखी' के कवि केदारनाथ सिंह पर केंद्रित अंक का विमोचन किया गया. विमोचन ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह, बनारस हिंदू विवि से आये पत्रिका के वर्तमान संपादक सदानंद शाही और अवधेश प्रधान समेत मंचासीन अतिथियों ने किया.

'कुछ रचनाएं हो जाती हैं अमर'
इस अवसर पर कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विवि सृजन का केंद्र होता है. यहां के शिक्षक और शोधार्थी कविताओं और कथाओं की रचना करते हैं. हम भौतिक देह छोड़ कर चले जाते हैं लेकिन कुछ रचनाएं अमर हो जाती हैं. उन्होंने कहा कि केदारनाथ सिंह ने भी ऐसी ही रचना की थी जिसकी वजह से वे आज भी अमर हैं.

एलएनएमयू में हुआ पुस्तक विमोचन

'1990 के दशक में हुई थी 'साखी' की शुरुआत'
वहीं, 'साखी' के संपादक सदानंद शाही ने कहा कि केदारनाथ सिंह ने 1990 के दशक में 'साखी' की शुरुआत की थी. उन्होंने इसके मोटो के रूप में कबीर का एक दोहा चुना. साथ ही उन्होंने कहा था कि साहित्य और उसके बाहर एक ऐसी दुनिया बन चुकी है. जिसमें लोग आपस में जाति-धर्म के नाम पर बंटे हैं. ऐसे में कबीर का सुझाया समरस समाज का निर्माण ही साहित्य का उद्देश्य होना चाहिए. कार्यक्रम में विवि हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह और मानविकी संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो. प्रभाकर पाठक समेत कई गणमान्य लोग और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे.

Intro:दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विवि के हिंदी विभाग में वाराणसी की चर्चित साहित्यिक पत्रिका 'साखी' के कवि केदारनाथ सिंह पर केंद्रित अंक का विमोचन किया गया। 'विमोचन ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह, बनारस हिंदू विवि से आये पत्रिका के वर्तमान संपादक सदानंद शाही और अवधेश प्रधान समेत मंचासीन अतिथियों ने किया।


Body:इस अवसर पर कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विवि सृजन का केंद्र होता है। यहां के शिक्षक और शोधार्थी कविताओं और कथाओं की रचना करते हैं। हम भौतिक देह छोड़ कर चले जाते हैं लेकिन कुछ रचनाएं अमर हो जाती हैं। केदारनाथ सिंह ने भी ऐसी ही रचना की थी जिसकी वजह से वे अमर हैं।


Conclusion:वहीं 'साखी' के संपादक सदानंद शाही ने कहा कि केदारनाथ सिंह ने 1990 के दशक में 'साखी' की शुरुआत की थी। उन्होंने इसके मोटो के रूप में कबीर का एक दोहा चुना। उन्होंने कहा था कि साहित्य और उसके बाहर एक ऐसी दुनिया बन चुकी है जिसमें लोग आपस मे जाति-धर्म के नाम पर बंटे हैं। ऐसे में कबीर का सुझाया समरस समाज निर्माण ही साहित्य का उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दोहे को हम 'साखी' के हर अंक में छापते हैं।

कार्यक्रम में विवि हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह और मानविकी संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो. प्रभाकर पाठक समेत कई गणमान्य लोग और छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

बाइट 1- प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह, कुलपति, एलएनएमयू.
बाइट 2- प्रो. सदानंद शाही, संपादक, साखी पत्रिका

विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
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