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दरभंगा: संस्कृत विवि की हजारों दुर्लभ पांडुलिपियों का होगा संरक्षण, दीक्षांत समारोह में प्रकाशित होगा कैटलॉग

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Published : Sep 27, 2019, 4:04 AM IST

मिथिला संस्कृत स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान के साथ मिलकर विवि अपने आर्थिक स्रोत से दोनों संस्थानों की दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण करेगा. यहां विभिन्न दुर्लभ ग्रंथियां मौजूद है.

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दरभंगा: कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि की करीब साढ़े पांच हजार दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण किया जाएगा. इसके साथ ही मिथिला स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान की हजारों दुर्लभ पांडुलिपियों को भी संरक्षित किया जाएगा. नवंबर के अंतिम सप्ताह में होने वाले दीक्षांत समारोह में विवि अपनी दुर्लभ पांडुलिपियों का कैटलॉग प्रकाशित करेगा.

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दुर्लभ पांडुलिपि

कुछ समय पहले हुई थी कैटलॉग बनाने की शुरुआत-VC
संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि दुर्लभ पांडुलिपियों का कैटलॉग बनाने की शुरुआत कुछ समय पहले हुई थी. अब वह पूरी होने वाली है. दीक्षांत समारोह में उसे प्रकाशित कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मिथिला संस्कृत स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान के साथ मिलकर विवि अपने आर्थिक स्रोत से दोनों संस्थानों की दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण करेगा.

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि

विवि में मौजूद विभिन्न दुर्लभ ग्रंथ
बता दें कि संस्कृत विवि और मिथिला संस्कृत स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान में हजारों दुर्लभ पांडुलिपियां हैं. इनमें भोजपत्र और ताड़पत्र पर लिखी विद्यापति, वाचस्पति मिश्र और भरत मुनि के न्याय शास्त्र के दुर्लभ ग्रंथ भी शामिल हैं. कुछ साल पहले इन दोनों संस्थानों से कई दुर्लभ पांडुलिपियां चोरी हो गयी थीं. तब से इन्हें बंद करके रखा गया है. इसकी वजह से ये खराब हो रही हैं. अब विवि की पहल के बाद इनके संरक्षण की उम्मीद जगी है.

Intro:दरभंगा। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि की करीब साढ़े पांच हज़ार दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण होगा। इसके साथ ही मिथिला स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान की हज़ारों दुर्लभ पांडुलिपियों को भी संरक्षित किया जाएगा। नवंबर के अंतिम सप्ताह में होने वाले दीक्षांत समारोह में विवि अपनी दुर्लभ पांडुलिपियों का कैटलॉग भी प्रकाशित करेगा।


Body:संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि दुर्लभ पांडुलिपियों का कैटलॉग बनाने की शुरुआत कुछ समय पहले हुई थी, अब वह पूरी होने वाली है। दीक्षांत समारोह में उसे प्रकाशित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मिथिला संस्कृत स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान के साथ मिल कर विवि अपने आर्थिक स्रोत से दोनों संस्थानों की दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण करेगा।


Conclusion:बता दें कि संस्कृत विवि और मिथिला संस्कृत स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान में हज़ारों दुर्लभ पांडुलिपियां हैं। इनमें भोजपत्र और ताड़पत्र पर लिखी विद्यापति, वाचस्पति मिश्र और भरत मुनि के न्याय शास्त्र के दुर्लभ ग्रंथ भी शामिल हैं। कुछ साल पहले इन दोनों संस्थानों से कई दुर्लभ पांडुलिपियां चोरी हो गयीं थीं। तब से इन्हें बंद करके रखा गया है। इसकी वजह से ये खराब हो रही हैं। अब विवि की पहल के बाद इनके संरक्षण की उम्मीद जगी है।

बाइट 1- प्रो. सर्व नारायण झा, कुलपति, केएसडीएसयू

विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
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