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Ustad Bismillah Khan: गुम हो गई शहनाई के जादुगर की धुन, बक्सर में कला महाविद्यालय बनाने की पहल अधूरी

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Published : Mar 21, 2023, 11:24 AM IST

बिहार के बक्सर में शहनाई के जादूगर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के मौत के 17 सालों के बाद अब उपेक्षित कर दिया गया. वहां उस जगह पर कोई भी प्रतीक चिह्न नहीं बनाया गया. साथ ही दबंगों ने उनके पुश्तैनी जमीन पर भी कब्जा कर लिया. पढ़ें पूरी खबर...

उस्ताद बिस्मिल्लाह खां हुए उपेक्षित
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां हुए उपेक्षित

जिलाधिकारी अमन समीर

बक्सर: बिहार के बक्सर में शहनाई के जादूगर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां (Bharat Ratna Ustad Bismillah Kha) को अपने गृह जिले में ही उपेक्षित कर दिया गया. जिले के प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण उनके निधन के 17 साल बाद भी उनके यादों को संजोने के लिए कोई पहल नहीं की गई. अब आगे आने वाली पीढ़ियां उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को किताबों के पन्नों में ही पढ़ और देख सकेगी. यहीं कारण है कि उनके जयंती के नाम पर केवल कोरम पूरा कर दिया जाता है.

"स्थानीय विधायक अजीत कुमार सिंह के पहल पर डुमरांव में टेम्परेरी कला महाविद्यालय खोलने के लिए विभाग के सचिव का पत्र आया था. जिसके आलोक में जगह चिन्हित कर प्रस्ताव भेजा गया है. इस महाविद्यालय के लिए डुमरांव प्रखंड में 5 एकड़ भूमि की तलाश की जा रही है".- अमन समीर, डीएम

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विधायक ने भवन बनाने का प्रस्ताव पर बात उठाई: वर्तमान भाकपा विधायक अजित कुमार सिंह ने कई बार उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम पर संगीत अकादमी और कला महाविद्यालय बनाने की मांग उठाई. उसके बाद सरकार ने अब तक 5 एकड़ भूमि की तलाश नहीं कर पाई है. जिला प्रशासन राज हाई स्कूल के बंद पड़े एक भवन ने टेम्परोरी व्यवस्था करने का सुझाव इस साल विभाग को जरूर भेजा है. जबकि सच्चाई यही है कि उनकी पुस्तैनी जमीन पर भी अतिक्रमण मुक्त कराने में प्रशासन नाकाम रही है.


21 मार्च 1916 को हुआ जन्म: भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का जन्म आज ही के दिन 21 मार्च 1916 को डुमरांव स्थित ठठेरी बाजार में हुआ था. इनके पिता का नाम बचई मियां था. जिन्होंने शहनाई वादन की बदौलत पूरे विश्व के पटल पर डुमरांव का नाम रोशन किया. वैसे वक्त के साथ ही भारत रत्न से सम्मनित इस अनमोल रत्न को अब अपने घर में गुम हो गया.



पूरे जिले में नहीं है कोई प्रतीक चिन्ह: वहीं डुमरांव की गलियों से देश के चारों दिशाओं में अपने शहनाई की धुन से लोगों को भाव-विभोर करने वाले भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां अपने ही जन्म भूमि पर उपेक्षित हो गए. जबकि उनका 21 अगस्त 2006 में निधन होने के 17 साल बाद उनके यादों को संजोकर रखने के लिए अब तक ना तो जिला प्रशासन के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के द्वारा कोई कदम उठाया गया. आज पूरे जिले में ना तो उनके नाम पर कहीं कोई भवन है और ना ही संग्रहालय, स्कूल, कॉलेज या संगीत अकादमी.


विधायक ने कई बार सदन में उठाई मांग: 2020 में स्थानीय भाकपा माले विधायक अजित कुमार सिंह ने सदन से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक व्यक्तिगत मुलाकात कर शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम पर कला महाविद्यालय या संगीत अकादमी बनाने की मांग की. लेकिन आज भी प्रशासन की उदासीनता के कारण 5 एकड़ भूमि की तलाश करने में लगी है. हालांकि जिलाधिकारी अमन समीर ने कला महाविद्यालय के लिए राज हाई स्कूल के बंद पड़े एक भवन में खोलने का सुझाव विभाग को इस साल भेजा है.



किताबों के पन्नों में देखेगी पीढ़ी: छह साल पहले केंद्र सरकार की पहल पर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का जन्म शताब्दी समारोह डुमरांव में मनाया गया था. तभी कृषि महाविद्यालय के सभागार से घोषणा की गई. लेकिन, इस अनमोल धरोहर के यादों को बचाकर रखने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया.


जुमला साबित हुआ मंत्री का वादा: 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले साल 2018 में केंद्रीय राज्य मंत्री सह स्थानीय सांसद अश्विनी कुमार चौबे ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के यादों को संजोकर रखने के लिए कई घोषणाएं की थी. तत्कालीन चुनावी लाभ लेने के लिए डुमरांव स्टेशन के टिकट घर की दीवार पर शहनाई बजाते हुए चित्र बनवाया गया. जबकि चुनाव जीत जाने के बाद वादों पर कोई अमल नहीं किया गया.



पुस्तैनी जमीन पर दबंगो का कब्जा: जिस अनुमंडल में उस्ताद बिस्मिल्लाह खां ने जन्म लिया है. बताया जात है कि उस अनुमंडल के कई बड़े साहबों को पैतृक आवास का रास्ता भी सहीं तरीके से नहीं मालूम है. वहीं प्रशासनिक अधिकारियों के इस उदासीनता के कारण स्थानीय दबंगो ने धीरे-धीरे उनकी पुस्तैनी आवास की जमीन पर कब्जा कर लिया है. जिसके विरुद्ध सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई बार अधिकारियों से लिखित शिकायत भी की. जबकि इस ओर किसी का ध्यान नहीं. वहीं अंचल अधिकारी केवल अपने वरीय अधिकारियों को गुमराह करते रहे हैं.

उपेक्षित हुए उस्ताद बिस्मिल्लाह खां: स्थानीय लोगों ने बताया कि आज भी हम सब देश के किसी भी कोने में बड़े गर्व से कहते हैं कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खां मेरे ही शहर के निवासी थे. जिसके बाद लोग बड़े ही सम्मान की नजर से देखते हैं. जबकि आज अपने ही घर में उस्ताद बिस्मिल्लाह खां उपेक्षित हो गए. लंबे समय से उनके पुस्तैनी जमीन पर संगीत अकादमी खोलने की मांग प्रशासन एवं जनप्रतिनधियों से की जा रही. इसके बावजूद अब तक सरकार ने ध्यान नहीं दिया. आज भी अधिकारियों का कहना है कि 5 एकड़ भूमि की तलाश की जा रही है. सभी लोग जानते है कि डुमरांव राजाओं महाराजाओं का रियासत रहा है. जब जमीन खरीदना ही है, तब इस शहर में जमीन की कोई कमी नहीं है. लेकिन केवल चुनाव के समय इस तरह की बातें होती है.

विभागीय सचिव को भेजा पत्र: जिलाधिकारी अमन समीर ने बताया कि स्थानीय विधायक अजीत कुमार सिंह के पहल पर डुमरांव में टेम्परोरी कला महाविद्यालय खोलने के लिए विभाग के सचिव का पत्र आया था. जिसके आलोक में जगह चिन्हित कर प्रस्ताव भेजा गया है. इस महाविद्यालय के लिए डुमरांव प्रखंड में 5 एकड़ भूमि की तलाश की जा रही है. कोशिश है कि उस्ताद का जन्मस्थान डुमरांव शहर में कला महाविद्यालय के लिए जमीन मिल जाए.

पुस्तैनी जमीन को बेच चुके है उस्ताद के परिवार: वहीं जब शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के पुश्तैनी जमीन पर दबंगों द्वारा कब्जा का सवाल किया गया. तभी जिलाधिकारी ने बताया कि अंचलाधिकारी के द्वारा यह रिपोर्ट दिया गया है कि उस्ताद के परिवार वालों ने पुश्तैनी जमीन को बेच दिया है. वहीं लोग उस जमीन पर रह रहे हैं. एक बार फिर जब यह सवाल उठना शुरू हुआ है तब इस मामले को फिर से दिखवाऊंगा.

गौरतलब है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान हर बार कई वादे जनप्रतिनधियों के द्वारा किए जाते हैं. जबकि चुनाव खत्म होने के साथ ही वादे खत्म हो जाते हैं. इसी कारण धीरे-धीरे अब भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां किताबों के पन्नों में ही सिमटते जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक ना तो उनकी पुस्तैनी जमीन बची. न ही सरकार ने अब तक उनके यादों को संजोकर रखने के लिए उनके नाम पर कोई भवन बनवाया.

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