भागलपुर नगर निगम गंगा को कर रहा दूषित, बहाया जा रहा कूड़ा

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Published : Sep 30, 2021, 8:20 AM IST

Ganga River

नमामि गंगे परियोजना को पलीता लगाने में भागलपुर नगर निगम कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. शहर से निकलने वाला कूड़ा-कचरा नदी में गिराया जा रहा है. गंगा नदी में गंदा पानी प्रभावित होने के कारण तटवर्ती इलाके का पानी पीने लायक नहीं रह गया है. पढ़ें पूरी खबर...

भागलपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Programme) को पलीता लगाने में नगर निगम (Bhagalpur Municipal Corporation) कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. वह शहर से निकलने वाला कूड़ा-कचरा नदी में गिरा रहा है. मुसहरी घाट पर कूड़ा डंप होने से टीला बन गया है. एनजीटी (National Green Tribunal) के निर्देश पर निगम ने प्रतिमा विसर्जन के लिए मुसहरी घाट पर कृत्रिम तालाब बनाया है. इसके समीप भी निगम कूड़ा गिरा कर नदी को दूषित कर रहा है.

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कूड़ा गंगा की धार में प्रवाहित हो रहा है, जिससे गंगा में गंदगी फैल रही है. नदी किनारे गिराया गया कूड़ा बारिश और जलस्तर बढ़ने पर नदी में मिल जाता है. भागलपुर में गंगा को नगर निगम के कूड़े ने कितना नुकसान पहुंचाया है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1990 तक गंगा शहर के किनारे बहती थी. 2001 में विक्रमशिला सेतु का उद्घाटन हुआ था. तब तक नवगछिया की तरफ से यात्रियों को लेकर नाव आती थी. नाव शहर के किनारे घाटों तक पहुंचती थी. सेतु से जबसे आवागमन शुरू हुआ नाव परिचालन बंद हो गया. गंगा भी नवगछिया की तरफ लगभग ढाई किलोमीटर दूर चली गई.

देखें रिपोर्ट

इस दौरान नालों से बहने वाला गंदा पानी और कचरा गंगा में पहुंचता रहा. इसका असर यह हुआ कि गंगा पानी बरारी पुल घाट पर स्नान करने लायक नहीं रह गयी. वर्तमान में जलस्तर बढ़ने के चलते गंगा शहर के किनारे तक पहुंच गई है. भागलपुर में गंगा नदी में गंदा पानी प्रभावित होने के कारण तटवर्ती इलाके का पानी पीने लायक नहीं रह गया है. पानी में आर्सेनिक की मात्रा 10-50 पीपीबी (पार्ट पर बिलियन) से अधिक पाई जा रही है. किसी-किसी इलाके में 400 पीपीबी तक आर्सेनिक पाया जा रहा है. इसका खुलासा जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने किया है.

प्राथमिक जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि भागलपुर जिले के गंगा तटीय इलाके राजपुर इंग्लिश, शंकरपुर, मिर्जापुर, घोषपुर और सुल्तानगंज में पानी में आर्सेनिक की मात्रा 25-100 पीपीबी तक पाई गई है. यह पानी पूरी तरह से दूषित है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया भागलपुर के पानी की शुद्धता की जांच कर रही है. इसके तहत भागलपुर जिले के गंगा के तटीय और ऊपरी इलाके के पानी का 450 सैंपल लिया गया. यह सैंपल सरकारी चापाकल, नल जल योजना और निजी बोरिंग से लिया गया है. इसमें तटीय इलाके के 25 फीसदी सैंपलों में आर्सेनिक पाया गया. 2022 तक भागलपुर जिले के 900 स्क्वायर किलोमीटर एरिया तक पानी की जांच होगी. इसमें 460 स्क्वायर किलोमीटर तक सैंपल लिया जा चुका है. केंद्रीय लैब में इसकी जांच चल रही है, जिसकी रिपोर्ट 2022 के सितंबर में आएगी. इस जांच में पता चल जाएगा कि पानी में आर्सेनिक की मात्रा कहां कितनी है.

भारतीय वन्यजीव संस्थान स्पेयरहेड के गंगा प्रहरी दीपक कुमार ने कहा, 'दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि नगर निगम का सारा कचरा गंगा में प्रभावित किया जा रहा है. नाला का पानी और सूखा कचरा गंगा में जा रहा है. गंगा किनारे कूड़ा डंप किया जा रहा है जो बढ़ते जलस्तर के कारण गंगा में मिल जाता है. गंगा की सहायक नदी चंपा में कचरा डाला जाता है जो गंगा में आकर मिल जाता है. शहर के दक्षिणी और उत्तरी क्षेत्र का गंदा पानी सीधे गंगा में बह रहा है.'

दीपक कुमार ने कहा, 'भागलपुर में गंदे पानी के ट्रीटमेंट का प्लांट 20 साल पहले लगा था. वह प्लांट अब बंद पड़ा है. ट्रीटमेंट प्लांट के लिए हथिया नाला बना था. हथिया नाला भी बेकार पड़ा है. नाला का पानी सीधे गंगा में जा रहा है. जब तक भागलपुर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं बनेगा तब तक गंगा में सीधे गंदा पानी जाता रहेगा. निगम जब तक कूड़ा डंप करना बंद नहीं करेगा, गंगा दूषित होने से नहीं बच सकती.'

"गंगा में खास इकोसिस्टम विकसित है. यही वजह है कि हर 2 किलोमीटर में गंगा अपने पानी को स्वच्छ करती है. विदेशी पक्षियों की डेढ़ सौ से 200 प्रजातियां गंगा के आसपास भ्रमण पर आती हैं जो आकर्षक का केंद्र होता है. अभी भी गंगा में डॉल्फिन अठखेलियां करते दिखाई दे रही है. कछुए की कई प्रजातियां भी हैं. सुल्तानगंज से बटेश्वर स्थान तक विक्रमशिला गंगये डॉल्फिन सेंचुरी घोषित है. इसलिए गंगा में गंदा पानी प्रभावित नहीं करना चाहिए."- दीपक कुमार, गंगा प्रहरी, भारतीय वन्यजीव संस्थान स्पेयरहेड, भागलपुर

भागलपुर के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने कहा, 'गंगा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत भारत सरकार ने गंगा के आसपास सभी शहरों के लिए स्वच्छ गंगा के तहत स्कीम चलाई है. जो शहर गंगा के किनारे बसे हैं वहां एसटीपी (Sewage Treatment Plant) का निर्माण किया जा रहा है. नवगछिया, कहलगांव और सुल्तानगंज में एसटीपी और ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण अंतिम चरण में है. भागलपुर को लेकर भी टेंडर हो गया है, जल्द ही टेंडर फाइनल होने के बाद एजेंसी का चयन होगा और निर्माण कार्य शुरू होगा.'

"एसटीपी का निर्माण जब शहर में हो जाएगा तो सारे नाले को जोड़कर बड़े नाला का निर्माण होगा. इससे गंदे पानी को ट्रीटमेंट प्लांट लाया जाएगा और फिर वहां पर पानी को स्वच्छ कर गंगा में प्रभावित किया जाएगा. गंगा को स्वच्छ रखने के लिए सारे प्रयास भारत सरकार के स्तर से किए जा रहे हैं. बहुत जल्द ही काम पूरा हो जाएगा."- सुब्रत कुमार सेन, जिलाधिकारी, भागलपुर

नगर निगम के प्रभारी नगर आयुक्त प्रफुल्ल चंद्र यादव ने कहा कि गंगा किनारे अगर कूड़ा गिराया गया है तो उसका उठाव होगा. रसायन शास्त्र के प्रोफेसर विवेकानंद मिश्र ने बताया कि कूड़े कचरे से कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और वोलेटाइल जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं. इससे मानव शरीर को नुकसान होता है. त्वचा संबंधित बीमारी भी हो सकती है.

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