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उम्मीद थी कि नीतीश कुमार पहले खुद देखेंगे 'द कश्मीर फाइल्स', फिर बिहार में रिलीज होने देंगे- शिवानंद

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Published : Mar 16, 2022, 10:59 PM IST

आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी (RJD Vice President Shivanand Tiwari) ने कहा कि 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) एक एजेंडे के तहत बनाई गई है ताकि मुसलमानों की के विरुद्ध हिंदुओं के मन में नफरत की आग को ज्यादा से ज्यादा तेज किया जा सके. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि सीएम नीतीश कुमार पहले खुद फिल्म को देखेंगे, उसके बाद ही बिहार में रिलीज होने देंगे.

शिवानंद तिवारी ने नीतीश कुमार पर हमला बोला
शिवानंद तिवारी ने नीतीश कुमार पर हमला बोला

पटना: एक तरफ जहां फिल्म द कश्मीर फाइल्स बिहार में टैक्स फ्री (Film The Kashmir Files Will Be Tax Free In Bihar) होने जा रही है, वहीं दूसरी तरफ इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है. आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी (RJD Vice President Shivanand Tiwari) ने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कश्मीर पर बनी इस विवादित फिल्म को बिहार में प्रदर्शित करने से पहले खुद देखेंगे. मैंने सोशल मीडिया के माध्यम से उनसे यह अनुरोध भी किया था लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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एजेंडा के तहत फिल्म का निर्माण: शिवानंद तिवारी ने कहा कि इस फिल्म का निर्माण एक खास एजेंडा के तहत किया गया है. यह सत्य है कि 90 में दशक में कश्मीरी पंडितों को वहां से भगाने के मकसद से आतंकवादियों ने उनके विरुद्ध हिंसक अभियान चलाया था. पंडितों की रक्षा करने की जवाबदेही वहां की सरकार की थी. उस समय कश्मीर में अब्दुल्ला की सरकार थी. वहां के गवर्नर बीजेपी के दुलरूवा जगमोहन थे. तब केंद्र में बीजेपी समर्थित वीपी सिंह की सरकार थी. आरजेडी नेता ने कहा कि उस समय कश्मीर में जो कुछ हुआ, वह राज्य और केंद्र दोनों सरकारों की आपराधिक विफलता थी. इस फिल्म के जरिए सरकारों की विफलता छुपा दी गई है. देश की जनता को यह बताया जा रहा है कि वहां के मुसलमानों ने पंडितों का नरसंहार किया था.

पलायन के आंकड़ों का नकली पहाड़: आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि पंडितों की हत्या दुर्भाग्य पूर्ण है, लेकिन मौत की संख्या और पलायन के आंकड़ों का नकली पहाड़ खड़ा किया गया है. जबकि मार्च 2010 में जम्मू कश्मीर की सरकार ने वहां की विधानसभा में भी बताया था कि उस समय करीब डेढ़ लाख पंडितों ने वहां से पलायन किया था और 219 पंडितों की हत्या हुई थी. संख्या का पहाड़ इसलिए खड़ा किया गया है ताकि मुसलमानों की के विरुद्ध हिंदुओं के मन में नफरत की आग को ज्यादा से ज्यादा तेज किया जा सके.

1947 में मुसलमानों का नरसंहार: शिवानंद तिवारी ने कहा कि यह फिल्म इतिहास की 30 बरस पुरानी कहानी अपने राजनीतिक एजेंडा के तहत पेश कर रही है लेकिन अगर और अतीत में जाएंगे और सन 47 की बात करेंगे तो जम्मू की आबादी में मुसलमानों का बहुमत था. उनके खिलाफ जिस प्रकार का नरसंहार चलाया गया, वैसा नजीर इतिहास में शायद ही मिले. गांधी जो उस घटना के बाद पहली मर्तबा कश्मीर गए थे, उन्होंने कहा था कि दो लाख लोगों की गिनती नहीं मिल रही है. लगभग पांच लाख मुसलमानों का पलायन जम्मू से हुआ था. इस प्रकार वहां मुस्लमान अल्पमत में आ गए थे.

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देश में आग लगाने की साजिश: आरजेडी उपाध्यक्ष ने कहा कि सवाल यह है कि इतिहास का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा रहा है. आग लगाने के लिए या जलती आग को बुझाने के लिए. मोदी सरकार देश में आग लगाने के लिए इस फिल्म का इस्तेमाल कर रही है. खेद है कि इस आग की आंच को तेज करने के लिए मेरे मित्र नीतीश कुमार ने भी एक लुकाड़ी अपने हाथ में थाम लिया है.

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