Liquor Ban in Bihar: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद बिहार में छिड़ा सियासी संग्राम

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Published : Feb 26, 2022, 7:54 PM IST

Updated : Feb 26, 2022, 9:55 PM IST

Liquor Ban in Bihar

6 साल पहले बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून (Liquor Ban in Bihar) लागू किया गया था. शराबबंदी कानून को लेकर बिहार के राजनीतिक दलों में पहले से ही मतभेद है. विपक्षी दल और बीजेपी ने शराबबंदी कानून को लेकर सवाल खड़े किए हैं. अब सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद नीतीश सरकार पसोपेश में है. पढ़ें पूरी खबर..

पटना: साल 2016 में नीतीश सरकार ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया था. लंबा अरसा बीत जाने के बाद शराब बंदी कानून में कई खामियां उजागर हो रही हैं. तमाम राजनीतिक दल खामियों को लेकर मुखर हैं. मुख्य विपक्षी दल आरजेडी, सहयोगी दल बीजेपी और जीतन राम मांझी की पार्टी ने शराबबंदी कानून को लेकर पहले ही सवाल खड़े किए हैं और अब शराबबंदी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी (Supreme Court Statement on Liquor Ban) सामने आई है.

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शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से जहां पूरी पुलिस व्यवस्था चरमरा गई है. वहीं, न्यायिक व्यवस्था भी संकट के दौर से गुजर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल पूछा है कि कानून बनाते समय क्या सभी पहलुओं का अध्ययन दिया गया था. जज और कोर्ट की संख्या बढ़ाने को लेकर क्या ठोस कदम उठाए गए थे.

इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने बिहार के शराब बंदी कानून को लेकर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि बिहार में शराबबंदी कानून के केसों की संख्या की बाढ़ आ गई है. पटना हाईकोर्ट में जमानत की याचिका एक साल पर सुनवाई के लिए आती है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि बिहार में शराबबंदी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी देखी गई. अब बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर सियासत (Politics on liquor ban in Bihar) हो रही है.

ईटीवी भारत GFX
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''सर्वोच्च न्यायालय की जो टिप्पणी आई है, ये स्पष्ट करता है कि बिहार सरकार ने जो शराब नीति बनाई है, उसमें बहुत सी कमियां है. सबसे बड़ी बात है कि जो सजा देने की व्यवस्था है और जो कोर्ट की व्यवस्था है. उसके संबंध में कोई विचार विमर्श नहीं हुआ. सारे कोर्ट के जज खासकर पटना हाईकोर्ट के जज इन्हीं केसों को देखने में व्यस्त हैं. सबसे बड़ी विडंबना ये हैं कि बिहार में पुलिस सारी व्यवस्था को छोड़कर शराब को खोजने में ही जुटी हुई है. सरकार को खामियों को दूर करना चाहिए.''- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

''माननीय लोकसभा के स्पीकर बिहार विधानसभा सदस्यों के उन्मुखी कार्यक्रम में आए थे. उस कार्यक्रम में हमारे संसदीय कार्य मंत्री सह शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने विधायिका के कार्य पर हस्तक्षेप लोकतंत्र में ठीक करार नहीं दिया था. इस संदर्भ में व्यापक तौर पर उन्होंने मंतव्य राज्य सरकार की ओर से रखा था. आज न्यायपालिका जिस तरह से विधायिका के कार्यों में दखल दे रही है, यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. पूरी तरह से वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर बिहार सरकार के लॉ डिपार्टमेंट के साथ विमर्श और दोनों सदनों में चर्चा के बाद बिहार में शराबबंदी कानून लागू किया था. शराब बंदी कानून बिहार के हित में है. कई दूसरे राज्य इसका अनुसरण कर रहे हैं.''- अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता

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''मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समय-समय पर समीक्षा कर रहे हैं, इसका सुखद परिणाम भी सामने आ रहे हैं. बिहार में शराबबंदी से अपराध पर लगाम है. बच्चे, महिलाएं और व्यवसायी वर्ग के लोग अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. शराबबंदी कानून बिहार में सख्ती से लागू किया जा रहा है. मुझे कोर्ट की टिप्पणी पर कुछ नहीं कहना है.''- अरविंद सिंह, बीजेपी प्रवक्ता

''शराबबंदी कानून बिहार में पूरी तरह फेल साबित हुआ है. नीतीश कुमार ने बिहार में एक ऐसा माहौल बना दिया है जैसे राज्य में इससे बड़ा और कोई मुद्दा ही नहीं है. पूरी पुलिस इसी के पीछे घूम रही है. पुलिस विभाग को शराबबंदी में झोंक दिया गया है और विभाग के पास पर्याप्त संसाधन आज की तारीख में भी नहीं है. दूसरी तरफ न्यायिक व्यवस्था भी पूरे तौर पर चरमरा गई है.''- अमिताभ दास, वरिष्ठ आईपीएस

''शराबबंदी कानून लाने से पहले सरकार ने पूर्व में तैयारी नहीं की. पहले सर्वे कराया जाना चाहिए था उसके बाद संसाधनों को लेकर विमर्श किया जाना चाहिए था. लेकिन, सरकार ने जल्दबाजी में शराबबंदी कानून लागू किया, जिसके चलते कोर्ट को भी आज की तारीख में टिप्पणी करना पड़ रही है.''- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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बता दें कि बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

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Last Updated :Feb 26, 2022, 9:55 PM IST
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