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ये लो.... अब पोस्टर से CM ही गायब, बिहार की राजनीति में श्रेय लेने की 'लूट'

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Published : Aug 8, 2021, 4:39 PM IST

बिहार में सत्तारुढ़ एनडीए (NDA) के घटक दलों के नेता बार-बार दावा करते हैं कि सरकार में ऑल इज वेल है. कहीं भी कोई समस्या नहीं है लेकिन जिस प्रकार से यहां श्रेय लेने की राजनीति शुरू हुई है...यह कुछ और ही इशारा कर रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

politics of taking credit in Bihar
politics of taking credit in Bihar

पटना: राजनीति में कोई भी राजनेता, चाहे वह किसी भी स्तर का हो, श्रेय लेने से पीछे नहीं रहता. जरुरत होती है बस मौके की. इधर, बिहार में तो यह काफी आगे बढ़ गयी है. सिर्फ राजनीतिक दलों के भीतर की बात कौन करे, सरकार में ही श्रेय लेने की होड़ लगी है. मौके को 'लूटा' जा रहा है. यहां तक की बिहार सरकार के पोर्टल और पोस्टरों से खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) की ही तस्वीर गायब हो जा रही है.

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सरकारी योजनाओं के प्रचार में संबंधित मंत्री अपनी पार्टी के बड़े नेताओं की तस्वीरें छाप रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री की फोटो नदारद रहती है. इसका हालिया उदाहरण बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग (Revenue and Land Reforms Department) का एक विज्ञापन है. इस विज्ञापन में जमीन संबंधी डाटा 'बिहारभूमि' वेबसाइट पर उपलब्ध होने की जानकारी दी गयी है. इस विज्ञापन में विभाग की ओर से दी जा रही अन्य कई सुविधाओं का उल्लेख है लेकिन इसमें एक बात खटकने वाली है.

इस विज्ञपान में विभागीय मंत्री राम सुरत कुमार (Minister Ram Surat Kumar) के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi), भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा (BJP National President JP Nadda), उपमुख्यमंत्री द्वय रेणु देवी (Deputy Chief Ministers Renu Devi) और तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad), पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद संजय जायसवाल (MP Sanjay Jaiswal) की तस्वीर तो है लेकिन राज्य सरकार के मुखिया नीतीश कुमार की फोटो ही गायब है.

राजनीतिक जानकार इसे एक प्रकार से श्रेय लेने की राजनीति मानते हैं. उनका कहना है कि सरकार का मुखिया होने के नाते मुख्यमंत्री की फोटो जरूर होनी चाहिए क्योंकि उनके नेतृत्व में सरकार चल रही है. भाजपा नेतृत्व की तस्वीर लगाना और मुख्यमंत्री का इसमें से गायब होना सीधे-सीधे सरकार में खिंचतान और श्रेय लेने की राजनीति की ओर इशारा करता है.

इसी प्रकार से श्रेय लेने और अपने 'प्रतिद्वंद्वी' को नजरअंदाज करने का खेल बिहार के राजनीतिक दलों में भी खूब खेला जा रहा है. इसका उदाहरण लगभग सभी दलों में देखने को मिलेगा. जेडीयू में आरसीपी सिंह (RCP Singh), ललन सिंह (Lalan Singh) और उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) वाला एपिसोड हो या राजद में तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के पोस्टर से तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के गायब होने मामला. प्रदेश भाजपा में गुटबाजी कोई नयी बात नहीं है. सभी जगह श्रेय लूटने की होड़ लगी है.

पोस्टर वॉर बिहार में कोई नई बात नहीं है. राजनीतिक दल पोस्टरों के जरिए एक-दूसरे पर हमला करते रहते हैं. लेकिन अब बिहार के राजनीतिक दलों, परिवारों और यहां तक की सरकार के भीतर ही पोस्टर वॉर छिड़ता हुआ दिख रहा है.

आज तेज प्रताप के छात्र संगठन की एकदिवसीय बैठक है. इसके लिए छात्र आरजेडी की तरफ से पटना में पोस्टर लगाए गए हैं. इन पोस्टरों में लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav), राबड़ी देवी (Rabri Devi) और तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के अलावा छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष आकाश यादव की तस्वीर है लेकिन तेजस्वी यादव इसमें कहीं भी दिखाई नहीं पड़ रहे हैं.

यह पोस्टर सिर्फ सड़कों पर ही नहीं बल्कि पटना स्थित पार्टी के दफ्तर पर भी लगाए गए हैं. पोस्टर से तेजस्वी यादव के गायब होने पर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. यह संभवतः पहला मौका है जब पार्टी दफ्तर में लगे किसी पोस्टर में तेजस्वी यादव को जगह नहीं मिली हो. बीते 11 जून को पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर लगाये गए पोस्टरों से तेज प्रताप यादव की तस्वीर गायब थी.

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