उड़ान भरने के लिए छटपटा रहे 'कराटे किड्स', चैंपियंस को बिहार सरकार से मदद की आस

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Published : Dec 16, 2021, 6:02 PM IST

बिहार में 'कराटे' पर विशेष रिपोर्ट.

पटना में इन दिनों युवक और युवतियों में कराटे के प्रति दिलचस्पी काफी बढ़ी है. ये खिलाड़ी देश और प्रदेश का नाम दुनियाभर में रोशन करना चाहते हैं. लेकिन, आर्थिक स्थिति और संसाधनों का अभाव इनकी तरक्की के बीच में रोड़ा बना हुआ है. अब पटना के कराटे खिलाड़ी (Karate Players of Patna) सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

पटना: आमतौर पर खेलो को कैरियर से जोड़ करके देखा जाता है. मगर कराटे जैसे खेलों में यह बात दूसरी प्राथमिकता में आ जाती है. वर्तमान में राजधानी पटना के युवक और युवतियां कराटे सीखने में काफी दिलचस्पी दिखा रही हैं. कराटे सीखने वालों की पहली प्राथमिकता आत्मरक्षा और फिटनेस है. समाज में छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अभिभावक भी लड़कियों को कराटे सिखाने के प्रति काफी ज्यादा जागरूक दिख रहे हैं. लड़कियां खुद आगे निकल कर आ रही है और पटना के कराटे ट्रेनर से कराटे सीख रही हैं.

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कराटे सीख रहे युवक और युवतियों का कहना है कि कराटे सीखने से आत्म सुरक्षा की जा सकती है. सभी लोगों को आत्म सुरक्षा के लिए कराटे सीखना चाहिए. साथ ही साथ कोरोना को ध्यान में रखते हुए फिट रहने के लिए भी यह बेहद जरूरी है. इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल है कि बिहार के युवक और युवतियां हर क्षेत्र में आगे हैं, लेकिन सही प्लेटफॉर्म नहीं मिलने के कारण बिहार में कराटे का भविष्य (Future of Karate in Bihar) का सपना भी टूट जाता है.

बिहार में 'कराटे' पर विशेष रिपोर्ट.

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कई कराटे खिलाड़ी जो नेशनल और इंटरनेशनल खेल चुके हैं, उन्होंने साफ बताया की सेल्फ डिफेंस के लिए कराटे सीखते हैं. कराटे सीखने से फिटनेस भी रहती है. लेकिन, इन खिलाड़ियों का कहना है कि सरकार के तरफ से थोड़ा सपोर्ट मिल जाए तो हम लोग काफी अच्छा प्रदर्शन करके बिहार ही नहीं बल्कि देश का भी नाम रोशन करेंगे. बिहार में खास करके इन खिलाड़ियों पर राज्य सरकार ध्यान नहीं दे रही है, जिसका नतीजा है कि यह बच्चे अपने बलबूते पर ट्रेनिंग प्राप्त कर प्रदर्शन कर रहे हैं और नेशनल इंटरनेशनल खेल में भाग लेते हैं.

''बच्चे बढ़-चढ़कर कराटे सीखने के लिए हिस्सा ले रहे हैं. बच्चों को सही ढंग से प्लेटफार्म या ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है, जिससे कि बच्चे नेशनल और इंटरनेशनल में अपनी प्रतिभा को दिखा सकें. कराटे सीखने और सिखाने के लिए मिट्टी होनी चाहिए, लेकिन मजबूरन इन बच्चों को सड़क पर कंक्रीट पर कराटे सिखाना पड़ रहा है.''- अमित रंजन, कराटे ट्रेनर

कराटे एसोसिएशन ऑफ बिहार (Karate Association of Bihar) के जनरल सेक्रेटरी भोला कुमार थापा के नेतृत्व में इन बच्चों को कराटे की ट्रेनिंग दी जा रही है. इन बच्चों को जनवरी 2022 में होने वाले इंटरनेशनल चैंपियनशिप के लिए तैयार किया जा रहा है. ताकि यह बच्चे कराटे में अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिखाकर अपने विरोधी खिलाड़ी को पराजित कर बिहार का नाम रोशन कर सकें.

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ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान अंशु कुमारी ने बताया कि हमने 2021 में नेशनल कराटे चैंपियनशिप खेला था. अंशु नेशनल ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप में भी खेल चुकी हैं. कोरोना काल के समय इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप का आयोजन ऑनलाइन ही किया गया था और वह अव्वल भी रही हैं.

उसी टीम के सौरव कुमार ने बताया कि वह भी नेशनल और इंटरनेशनल खेल चुके हैं और अब 2022 की तैयारी में अपना पसीना बहा रहे हैं. उनका कहना है कि कराटे सीखना बेहद जरूरी है. कराटे में भले ही थोड़ी सी मेहनत जरूर होती है, लेकिन सेल्फ डिफेंस के लिए बेहद जरूरी है. कोरोना काल के समय काफी लोग संक्रमण की चपेट में आए थे, लेकिन हमारी प्रैक्टिस रोजाना जारी रही, यही कारण है कि हम कोरोना वायरस से भी बचे रहे.

पटना की रहने वाली अंबिका राणा का कहना है कि लड़कियों को खास करके कराटे सीखने चाहिए, क्योंकि अमूमन सड़कों पर लड़कियों को छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है, ऐसी परिस्थिति में अगर कोई हम से पंगा लेता है तो अपने डिफेंस से बच सकते हैं. इसी का नतीजा है कि दिन-प्रतिदिन पटना के नौजवानों में कराटे सीखने के लिए काफी दिलचस्पी बढ़ी है. लड़के और लड़कियों के अभिभावक भी कराटे के गुर सिखाने के लिए अपने बच्चों को हौसला दे रहे हैं और ट्रेनर से कराटे सिखवा भी रहे हैं.

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