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..तो क्या उपचुनाव के नतीजों के बाद किंगमेकर की भूमिका में होंगे मांझी और सहनी!

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Published : Oct 31, 2021, 7:32 AM IST

पटना
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बिहार में दो सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के साथ ही प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों का भविष्य भी ईवीएम में कैद हो चुका है. उपचुनाव के नतीजे बिहार की राजनीति के लिए मील का पत्थर साबित होने वाले हैं. गठबंधन की सियासत एक बार फिर अंगड़ाई ले सकती है, ऐसे में छोटे दलों की भूमिका बढ़ जाएगी. पढ़ें इनसाइड स्टोरी..

पटना: बिहार में दो सीटों के लिए उपचुनाव (By Election) के लिए मतदान संपन्न हो चुका है. सत्ताधारी दल जदयू (JDU) और राजद (RJD) नेताओं ने उपचुनाव में अभूतपूर्व मेहनत की है. पंचायत स्तर पर जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. दोनों दलों के समक्ष ताकत बढ़ाने की चुनौती है.

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दरअसल, जदयू कोटे के दो विधायकों की कोरोना से निधन के बाद ये दोनों सीटें खाली हुई थी. नीतीश कुमार का चेहरा और जदयू की साख बची रहे इसके लिए दोनों सीटों को बचाना जदयू के समक्ष चुनौती है. दोनों सीटों को बचाने के लिए जदयू ने तमाम विधायकों, मंत्रियों और सांसदों को लगा रखा था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी दोनों सीटों पर पैनी नजर थी. बीजेपी के नजरिए से चुनाव के नतीजे मायने रखते हैं. अगर दोनों सीटें एनडीए के पक्ष में नहीं आती है, तो संदेश यह जाएगा के आम लोग डबल इंजन की सरकार से नाखुश हैं और महंगाई से जनता त्रस्त है.

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चुनाव के नतीजे महागठबंधन का भविष्य भी तय करेगी. दोनों विधानसभा सीटों पर राजद या कांग्रेस में से जो कोई मजबूत होकर उभरेगा. महागठबंधन में उसकी भूमिका बढ़ेगी. अगर राजद को जीत मिलती है और कांग्रेस को अपेक्षाकृत कम वोट हासिल होते हैं, तो वैसी स्थिति में कांग्रेस को महागठबंधन में बिहार के अंदर राजद की शर्तों पर रहना होगा. अगर कांग्रेस सम्मानजनक वोट हासिल कर लेती है, तो ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्टी की सौदेबाजी की क्षमता बढ़ेगी.

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''उपचुनाव के नतीजे बिहार में राजनीतिक उलटफेर कर सकते हैं. कांग्रेस, राजद और जदयू का राजनीतिक भविष्य तय होना है. अगर नतीजे जदयू के पक्ष में गए तो ऐसी स्थिति में एक बार फिर नीतीश कुमार के चेहरे की दुहाई दी जाएगी, लेकिन अगर महागठबंधन के पक्ष में नतीजे गए तो एक बार फिर नए सिरे से सरकार बदलने की कवायद शुरू होगी.''- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

उपचुनाव के नतीजे तीन संभावनाओं की ओर इशारा करते हैं. पहला यह कि 2 सीट जदयू बचा ले जाए, दूसरी ये कि दोनों सीटें राजद जीत ले और तीसरा ये कि एक-एक सीट राजद और जदयू के खाते में चली जाए. कांग्रेस अगर एक भी सीट जीत लेती है तो वह चमत्कार से कम नहीं माना जाएगा.

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सबकी नजर चुनाव के नतीजों पर इसलिए भी है कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव लंबे चौड़े दावे कर रहे हैं. दोनों सीटें अगर राजद के खाते में चली जाती है, तो वैसे ही स्थिति में एक बार फिर बिहार में नई सरकार के गठन को हवा दी जा सकती है और वैसी स्थिति में जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी किंग मेकर या गेम चेंजर की भूमिका में होंगे. मुकेश साहनी ने स्पष्ट किया है कि लालू प्रसाद यादव से मुलाकात करने में उन्हें कोई परहेज नहीं है.

''उपचुनाव के नतीजों से सरकार की सेहत पर तो फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल जरूर उठेंगे. नतीजे यह भी तय करेंगे कि महागठबंधन में कांग्रेस की भूमिका क्या होगी.''- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

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अभी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास 126 सीटें हैं, जो कि जादुई आंकड़े से 4 अधिक है. महागठबंधन के पास संख्या 115 विधायक है, अगर दो सीटें महागठबंधन जीत लेती है, वैसी स्थिति में महागठबंधन 117 पर पहुंच जाएगी और सिर्फ 5 विधायकों के समर्थन से सरकार भी बन सकती है. ऐसे हालात तभी उत्पन्न होंगे जब मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी महागठबंधन खेमे में शामिल होंगे.

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