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बीजेपी MLA ने बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी पर सरकार को घेरा, कहा- 2 साल से 4638 पदों पर चल रही बहाली

बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को लेकर बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा ने अपनी सरकार को घेरा. विधानसभा में उन्होंने कहा कि राज्य के 13 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 7000 से अधिक पद खाली हैं. 4638 पदों पर बहाली की प्रक्रिया 2 साल से चल रही है. शिक्षकों की कमी से पढ़ाई बाधित हो रही है

BJP MLA Nitish Mishra
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Published : Mar 30, 2022, 6:52 AM IST

पटना: बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा (BJP MLA Nitish Mishra) ने बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों (vacant posts of teachers in Bihar universities) के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को विधानसभा में घेरा. उन्होंने कहा कि राज्य के 13 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल 12893 पद सृजित हैं. इनमें से 7000 से अधिक पद खाली हैं. कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय सेवा आयोग (university service commission) ने नियुक्ति प्रक्रिया 2020 में प्रारंभ की थी. आवेदन की प्रक्रिया समाप्त हुए साल भर से अधिक हो गए हैं लेकिन अभी तक बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. कुल 52 विषयों में 4638 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है. इनमें से केवल 82 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दिये 6 रिमाइंडर: उन्होंने कहा कि शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) ने पिछले 2 साल में 6 रिमाइंडर दिया. वह भी विफल हो चुका है. विश्वविद्यालय सेवा आयोग के कार्य में शिथिलता व शिक्षकों की कमी से छात्रों का शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है. नीतीश मिश्रा ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से जवाब मांगा. इस पर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है. पिछले 2 सालों में कोरोना की वजह से नियुक्ति की प्रक्रिया बाधित रही. मंत्री ने सदन में बताया कि 16 विषयों में चयन का काम पूरा हो गया है. बाकी के साढ़े चार हजार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है. अन्य विषयों में नियुक्ति के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया इस साल के अंत तक पूरी कर ली जायेगी.

ये भी पढ़ें: AIMIM विधायक के बयान पर स्पीकर नाराज, सदन की कार्यवाही से हटाने का दिया निर्देश

2007 से 2013 में कोई नियुक्ति नहीं: नीतीश मिश्रा ने सवाल किया कि सरकार एक समय बताए. विश्विद्यालय सेवा आयोग का तीन साल का कार्यकाल भी खत्म हो गया, शायद उसे बढ़ाया भी गया है. 2007 से 2013 में कोई नियुक्ति नहीं हुई. 2017 से पांच साल बाद भी साढ़े चार हजार से अधिक पद रिक्त हैं. 2 वर्ष में वैकेंसी और बढ़ गयी होगी. भाजपा विधायक ने कहा कि बिहार में पहले से 13 विश्वविद्यालय थे. नये भी बने हैं. शिक्षकों की कमी से पढ़ाई बाधित हो रही है. सरकार कोई व्यवस्था करे कि साढ़े हजार शिक्षकों की नियुक्ति शीघ्र हो. साथ ही अतिथि शिक्षकों की समस्या पर भी विचार करे.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: 'द कश्मीर फाइल्स' पर सियासत: BJP का विपक्ष पर हमला, कहा- 'फिल्म का विरोध करने वालों का चरित्र हुआ उजागर'

मंत्री ने दिया आश्वासन, प्रक्रिया में आयी है तेजी : इस पर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि सरकार ने विश्वविद्यालय सेवा आयोग के माध्यम से नियुक्ति करने का निर्णय लिया है. 2020 के शुरूआती दौरे में ही कोरोना का प्रभाव हो गया. हमलोग कोरोना को नजरअंदाज कर काम करने के आदी हो गये हैं. लिहाजा प्रक्रिया में तेजी आई है. मंत्री ने भाजपा विधायक के ध्यानाकर्षण पर कहा कि राज्य में 1664 अतिथि शिक्षक नियुक्त हैं. नियुक्ति के समय ही शर्त थी कि स्थाई नियुक्ति होने पर उसकी सेवा खत्म हो जायेगी. विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति का मामला पहले भी सदन में उठ चुका है. अलग-अलग विश्वविद्यालयों का मामला भी सदस्य उठाते रहे हैं. नियुक्ति प्रक्रिया में लेटलतीफी के कारण छात्रों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. कई विश्वविद्यालयों में कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं. उसके कारण भी परेशानी हो रही है.

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पटना: बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा (BJP MLA Nitish Mishra) ने बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों (vacant posts of teachers in Bihar universities) के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को विधानसभा में घेरा. उन्होंने कहा कि राज्य के 13 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल 12893 पद सृजित हैं. इनमें से 7000 से अधिक पद खाली हैं. कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय सेवा आयोग (university service commission) ने नियुक्ति प्रक्रिया 2020 में प्रारंभ की थी. आवेदन की प्रक्रिया समाप्त हुए साल भर से अधिक हो गए हैं लेकिन अभी तक बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. कुल 52 विषयों में 4638 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है. इनमें से केवल 82 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दिये 6 रिमाइंडर: उन्होंने कहा कि शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) ने पिछले 2 साल में 6 रिमाइंडर दिया. वह भी विफल हो चुका है. विश्वविद्यालय सेवा आयोग के कार्य में शिथिलता व शिक्षकों की कमी से छात्रों का शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है. नीतीश मिश्रा ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से जवाब मांगा. इस पर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है. पिछले 2 सालों में कोरोना की वजह से नियुक्ति की प्रक्रिया बाधित रही. मंत्री ने सदन में बताया कि 16 विषयों में चयन का काम पूरा हो गया है. बाकी के साढ़े चार हजार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है. अन्य विषयों में नियुक्ति के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया इस साल के अंत तक पूरी कर ली जायेगी.

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2007 से 2013 में कोई नियुक्ति नहीं: नीतीश मिश्रा ने सवाल किया कि सरकार एक समय बताए. विश्विद्यालय सेवा आयोग का तीन साल का कार्यकाल भी खत्म हो गया, शायद उसे बढ़ाया भी गया है. 2007 से 2013 में कोई नियुक्ति नहीं हुई. 2017 से पांच साल बाद भी साढ़े चार हजार से अधिक पद रिक्त हैं. 2 वर्ष में वैकेंसी और बढ़ गयी होगी. भाजपा विधायक ने कहा कि बिहार में पहले से 13 विश्वविद्यालय थे. नये भी बने हैं. शिक्षकों की कमी से पढ़ाई बाधित हो रही है. सरकार कोई व्यवस्था करे कि साढ़े हजार शिक्षकों की नियुक्ति शीघ्र हो. साथ ही अतिथि शिक्षकों की समस्या पर भी विचार करे.

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मंत्री ने दिया आश्वासन, प्रक्रिया में आयी है तेजी : इस पर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि सरकार ने विश्वविद्यालय सेवा आयोग के माध्यम से नियुक्ति करने का निर्णय लिया है. 2020 के शुरूआती दौरे में ही कोरोना का प्रभाव हो गया. हमलोग कोरोना को नजरअंदाज कर काम करने के आदी हो गये हैं. लिहाजा प्रक्रिया में तेजी आई है. मंत्री ने भाजपा विधायक के ध्यानाकर्षण पर कहा कि राज्य में 1664 अतिथि शिक्षक नियुक्त हैं. नियुक्ति के समय ही शर्त थी कि स्थाई नियुक्ति होने पर उसकी सेवा खत्म हो जायेगी. विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति का मामला पहले भी सदन में उठ चुका है. अलग-अलग विश्वविद्यालयों का मामला भी सदस्य उठाते रहे हैं. नियुक्ति प्रक्रिया में लेटलतीफी के कारण छात्रों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. कई विश्वविद्यालयों में कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं. उसके कारण भी परेशानी हो रही है.

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