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नक्सलियों के खात्मे के लिए संपत्ति जब्त करने के मामले में बिहार सबसे आगे

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Published : Sep 24, 2022, 10:29 AM IST

बिहार में नक्सलियों पर कस रहा शिकंजा
बिहार में नक्सलियों पर कस रहा शिकंजा

बिहार पुलिस मुख्यालय के ADG Jitendra Singh Gangwar के मुताबिक नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई में बिहार सबसे आगे है. इसका असर भी देखने को मिला है. वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार और झारखंड में नक्सलियो के सफाया होने पर ट्वीट कर सुरक्षा बलों को बधाई दी और सीआरपीएफ के डीजी ने भी कहा था कि चक्रबंधा और भीमबांध को सुरक्षा बलों ने नक्सली मुक्त करा लिया गया है.

पटना: बिहार में नक्सलियों का करीब-करीब सफाया हो चुका है. बिहार के दो सबसे अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को पुलिस व सुरक्षा बलों ने मुक्त कराकर अपने नियंत्रण में ले लिया है. इस पर बीते दिनों सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह (CRPF DG Kuldeep Singh) का बयान आया था. उन्होंने कहा था कि बिहार और झारखंड के दो नक्सल प्रभावित वन क्षेत्रों को सुरक्षा बलों ने 'मुक्त कराकर अपने नियंत्रण' में ले लिया है. वहीं बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार की मानें तो नक्सल के प्रभाव को खत्म करने के लिए साल 2000 में बिहार पुलिस की एसटीएफ का गठन किया गया था. एसटीएफ की कार्रवाई के कारण ही कहीं ना कहीं बिहार में नक्सलियों का प्रभाव काफी कम हुआ है. खासकर बिहार पहला ऐसा राज्य बना है, जहां नक्सलियों की बनाई गई संपत्ति को भी जब्त करने की सबसे ज्यादा कार्रवाई की गई है. केंद्र को संपत्ति जब्त करने का सबसे ज्यादा प्रस्ताव बिहार से ही भेजा गया है.

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चक्रबंधा और भीमबांध को नक्सली मुक्त कराने के बाद भी बना है डरः सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह जानकारी दी कि बिहार के नक्सल प्रभावित चक्रबंधा और भीमबांध को मुक्त करा लिया गया है. सीआरपीएफ के लंबे संघर्ष, कार्रवाई और कुर्बानी के बाद झारखंड के बूढ़ा पहाड़ को भी नक्सलियों के नियंत्रण से मुक्त कराया गया है. इस संदर्भ में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा की बिहार काचक्रबंधा और भीमबांध को नक्सल मुक्त करा लिया गया है और वहां स्थानीय पुलिस कभी गश्ती कर सकती है. वहां सुरक्षाबलों के स्थायी कैंप स्थापित किये गए हैं. यह बिहारवासियों के लिए एक बड़े तोहफा से कम नहीं हैंवहीं बड़ा सवाल और संकट यह है कि, अभी भी बिहार के 10 जिले नक्सल से प्रभावित हैं. बिहार के हार्डकोर नक्सली प्रमोद मिश्रा, बलराज सिंह बेसरा, गोपाल पासवान, विरेन्द्र उर्फ सौरभ जो अभी भी फरार हैं. इनकी गिरफ्तारी के बिना यह कह पाना बिल्कुल ही सही नहीं होगा कि बिहार से पूर्ण रूप से नक्सल खत्म हो चुका है.

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का दायरा हुआ कमः बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने कहा कि, नक्सल के प्रभाव को खत्म करने के लिए साल 2000 में बिहार पुलिस की एसटीएफ का गठन किया गया था. इनकी कार्रवाई में विगत सालों में काफी नक्सलियों को गिरफ्तारी की गई है. कुछ नक्सलियों को मुठभेड़ में मारा गया है और बिहार पहला ऐसा राज्य बना है जहां नक्सलियों के द्वारा बनाई गई संपत्ति को भी जब्त करने की कार्रवाई की जा रही है. ताकि नक्सलियों का मनोबल तोड़ा जा सके और बिहार को पूर्ण रूप से नक्सल प्रभाव से खत्म किया जा सके. मुख्यालय एडीजी के अनुसार नए सिरे से वर्गीकरण के बाद बिहार में अब 10 जिले रोहतास, कैमूर, औरंगाबाद, गया, नवादा, लखीसराय, जमुई, बांका, मुंगेर और प. चंपारण ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र रह गए हैं. पहले 7 जिलों पटना, शिवहर, सीतामढ़ी, भोजपुर, बगहा, खगड़िया और बेगूसराय को नक्सल मुक्त घोषित किया गया था. चार साल पहले 16 जिले नक्सल प्रभावित थे.

नक्सली घटनाओं में काफी कमी आईः जितेंद्र सिंह गंगवार के मुताबिक साल 2000 में स्थित संगठन के बाद केंद्रीय सुरक्षा बल भी बिहार को मुहैया करवाया गया था. इनकी मदद से पहले की तुलना में काफी नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ है. पहले जहां नक्सलियों के द्वारा पुलिसकर्मियों कि मारे जाने की खबर आया करती थी, उसमें गिरावट आई है. आम लोगों को निशाना बनाने की घटनाओं में कमी आई है और ज्यादा से ज्यादा नक्सलियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित हुई है. पहले बिहार के कुछ जिले जैसे गया, औरंगाबाद, जमुई नक्सलियों के गढ़ माने जाते थे. अब उन इलाकों में नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ है. उन इलाकों में बिहार पुलिस ने अपना कैंप स्थापित किया है. इससे आम लोगों को जीने का सहारा मिला है.

बिहार में अभी पूर्ण रूप से नक्सलविहीन नहींः एडीजी मुख्यालय ने कहा कि इसके अलावा पूर्व नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में विकास के काम में जो रुके हुए थे, उसको पूरा किया जा रहा है. सड़के बनाई जा रही है. बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है. इसके साथ ही युवा नक्सल क्षेत्र में ना जाएं उनके रोकने के लिए जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है. कुल मिलाकर पहले की तुलना में बिहार में नक्सल का प्रभाव काफी कम हुआ है. हालांकि यह कह पाना बिल्कुल ही सही नहीं होगा बिहार में पूर्ण रूप से नक्सल का खात्मा हो चुका है.

इस साल 44 नक्सली हुए हैं गिरफ्तारः जितेंद्र सिंह गंगवार की मानें तो बिहार पुलिस से दो रणनीति पर काम कर रही है. पहला डेवलपमेंट का, जिन क्षेत्रों में नक्सल का प्रभाव था उन क्षेत्रों में कैसे गरीबी को दूर की जाए. वहां के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके, लोग रोजगार पा सके. इस पर काम किया जा रहा है. दूसरा पुलिस के एक्शन का, इसका नतीजा है कि इस साल में अब तक 44 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है. उनके पास से से पुलिस से लूटा गया हथियार बरामद हुआ है इसके अलावा चार रेगुलर हथियार बरामद हुआ है 70 देसी पिस्तौल चार है सभी कारतूस बरामद किया गया है.

"नक्सल के प्रभाव को खत्म करने के लिए साल 2000 में बिहार पुलिस की एसटीएफ का गठन किया गया था. केंद्रीय सुरक्षा बल भी बिहार को मुहैया करवाया गया था. इनकी कार्रवाई में विगत सालों में काफी नक्सलियों को गिरफ्तारी की गई है. बिहार पहला ऐसा राज्य बना है, जहां नक्सलियों की बनाई गई संपत्ति को भी जब्त करने की सबसे ज्यादा कार्रवाई की गई है. फिर भी यह कह पाना बिल्कुल ही सही नहीं होगा बिहार में पूर्ण रूप से नक्सल का खात्मा हो चुका है" - जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

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