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CBI Raid : क्या है Land For Job Scam, जानें लालू परिवार पर लगे आरोपों की कहानी

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Published : Mar 6, 2023, 1:40 PM IST

Bihar News जमीन के बदले नौकरी केस में सीबीआई की टीम लालू प्रसाद यादव की पत्नी व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से पूछताछ (CBI Investigated Rabri House) कर रही है. नौकरी के बदले जमीन घोटाला क्या है? (Job Scam Land Allegations against Lalu) और ये सारा खेल कैसे किया गया, जिसमें लालू परिवार घिरा है, आइये जानते हैं.

जमीन के बदले नौकरी घोटाला
जमीन के बदले नौकरी घोटाला

पटना: जमीन के बदले नौकरी घोटाले में सीबीआई की टीम राबड़ी देवी के आवास पर उनसे पूछताछ (CBI Raid at Rabri Residence) कर रही है. जानकारी के मुताबिक 12 अफसरों की टीम आज सुबह राबड़ी देवी के घर 10 सर्कुलर रोड पर पहुंची. इस मामले में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती आरोपी हैं. इसी मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई की चार्जशीट पर समन जारी किया है. तीनों को 15 मार्च को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए गए हैं.

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क्या है जमीन के बदले नौकरी घोटाला : लैंड फॉर जॉब स्कैम उस समय का है, जब लालू यादव 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री थे. लालू यादव पर आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने रेलवे में नौकरी देने के बदले जमीन ली थी. सीबीआई ने इसी मामले में जांच के बाद 10 अक्टूबर 2022 को चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें लालू समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया था. इस मामले में सीबीआई ने पिछले साल भोला यादव को भी गिरफ्तार किया था. लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए भोला यादव उनके ओएसडी थे.

14 साल पुराना है यह मामला : दरअसल जमीन के बदले नौकरी घोटाला 14 साल पुराना है. आरोप है कि साल 2004 से 2009 तक रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने कई लोगों को पहले रेलवे में ग्रुप डी के पद पर अस्थाई के तौर पर भर्ती किया था और जब जमीन परिवार के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया तो सभी को रेगुलर कर दिया गया था. यह नौकरियां कोलकाता, मुंबई, जयपुर, जबलपुर और हाजीपुर में दी गई थी.

किन लोगों को मिली नौकरी? : सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, पटना के महुआ बाग के रहने वाले कृष्ण देव राय ने अपनी जमीन 6 फरवरी 2008 को राबड़ी देवी के नाम पर कि थी. कृष्ण देव राय के परिवार में अजय कुमार, मिथिलेश कुमार और राजकुमार को सेंट्रल रेलवे मुंबई में नौकरी मिली थी. जिसके बाद बाद किशुन देव राय और उनकी पत्नी के नाम से महुआ बाग की करीब 3375 वर्ग फीट जमीन राबड़ी देवी के नाम ट्रांसफर की गई थी. पटना के महुआ बाग के निवासी संजय राय, रविंद्र राय और धर्मेंन्द्र राय ने भी अपनी रेलवे में नौकरी रेगुलर होने के बाद अपनी 3375 वर्ग फीट जमीन राबड़ी देवी के नाम पर ट्रांसफर की थी.

लालू की बेटी को मिली जमीन : सीबीआई एफआईआर के मुताबिक, 28 फरवरी 2007 को किरण देवी नाम की महिला ने अपनी करीब एक एकड़ 85 डिसमिल जमीन लालू यादव की बेटी मीसा भारती के नाम पर ट्रांसफर की थी. दावा है कि किरण देवी के बेटे अभिषेक कुमार को मुंबई सेंट्रल रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी मिली जिसके एवज में परिवार ने लालू की बेटी के नाम जमीन ट्रांसफर कर दी.

2014 में लालू परिवार को एक और जमीन ट्रांसफर : पटना जिला के महुआ बाग की एक और जमीन लालू परिवार को ट्रांसफर की गई. एफआईआर के मुताबिक, हजारी राय ने करीब 9527 वर्ग फीट जमीन मेसर्स एके इंफोसिस के नाम लिखी थी. जिसके बदले हजारी राय के दो भांजे को पूर्वोतर रेलवे कोलकाता और पश्चिम सेंट्रल रेलवे जबलपुर में नौकरी दी गई. सीबीआई की जांच में बताया गया राय परिवार ने अपनी जमीन साल 2014 में लालू परिवार को यह जमीन ट्रांसफर की थी.

CBI की FIR में लालू की बेटी हेमा का भी नाम : पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नाम से एक और जमीन ट्रांसफर हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 29 मार्च, महुआ बाग के ब्रजनंदन राय ने अपनी 3375 वर्ग फीट जमीन 4.21 लाख लेकर बिहार के गोपालगंज निवासी ह्दयानंद चौधरी के नाम कर दी थी. जिसके बाद ह्दयानंद चौधरी ने यह जमीन लालू यादव की बेटी हेमा यादव को यह जमीन ट्रांसफर कर दी. एफआईआर के मुताबिक, साल 2005 में ह्दयानंद चौधरी को पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर में नौकरी दी गई थी.

हेमा यादव को गिफ्ट में मिली जमीन : सीबीआई के एफआईआर में साल 2008, 29 मार्च को महुआ बाग के विशुन देव राय ने अपने पोते पिंटु कुमार को रेलवे में नौकरी के बदले अपनी 3375 वर्ग फीट जमीन सिवान निवासी ललन चौधरी को ट्रांसफर की थी. बाद में ललन चौधरी ने पूरी जमीन 28 फरवरी 2014 को लालू की बेटी हेमा यादव को गिफ्ट कर. पिंटू यादव को पश्चिम रेलवे, मुंबई में जमीन के बदले नौकरी दी गई.

7 डील, 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन : सीबीआई की माने तो लालू परिवार का पटना में करीब 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन पर कब्जा है. आरोपों के मुताबिक कोलकाता, मुंबई, जबलपुर. जयपुर और हाजीपुर में दी गई नौकरी के बदले जमीन को पहले किसी दूसरे नाम पर ट्रांसफर करवाया और फिर उसे लालू परिवार ने नकद में खरीदा था. इतना ही नहीं ED की माने तो जिन उम्मीदवारों को नौकरी दी गई कुछ को तो तीन दिनों में उनकी नियुक्ति हो गई. उनके आवेदन तक की जांच नहीं की गई. ऐसे में कुल लालू परिवार ने 7 अभ्यर्थी को जमीन के बदले नौकरी दी थी, इनमें से पांच की जमीन को बेचा गया, जबकि दो प्लॉट गिफ्ट में दिए गए थे.

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