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CBI के FIR में है जमीन के बदले नौकरी देने की पूरी कहानी, मुसीबत में लालू फैमिली, जानें डिटेल

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Published : May 21, 2022, 5:13 PM IST

FIR lodged against lalu family
FIR lodged against lalu family

जमीन के बदले नौकरी (land for job scam case) देने के मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर सीबीआई ने शिकंजा कसते हुए 17 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. सीबीआई ने अपने एफआईआर में लालू, उनके परिवार के तीन सदस्य और नौकरी के एवज में जमीन देने वाले 7 लोगों के नाम शामिल किए हैं. सीबीआई की एफआईआर में क्या है नीचे पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

पटना: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (RJD Supremo Lalu Prasad Yadav) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सीबीआई ने उनपर एक नया मामला दर्ज (FIR lodged against lalu family ) कर शुक्रवार को छापेमारी अभियान चलाया. लगभग 14 घंटे चली इस रेड में लालू प्रसाद के 17 ठिकानों पर सीबीआई (CBI Raid At Lalu Yadav Patna Delhi Residence) की अलग-अलग टीमों की छापेमारी होने से हड़कंप मच गया. दरअसल रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले को लेकर लालू पर शिकंजा कसता जा रहा है. सीबीआई ने लालू, राबड़ी, मीसा और हेमा यादव सहित 13 अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. यह कथित घोटाला तब का है, जब आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री थे.

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नौकरी के बदले जमीन का मामला: सीबीआई ने अपने एफआईआर (CBI FIR Details of Lalu Family) में उनके नाम भी शामिल किए हैं जिन्होंने, जमीन देकर रेलवे में नौकरी हासिल की थी. अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की है. धारा 120बी आपराधिक षड्यंत्र से जुड़ी है. ऐसा आरोप है कि लालू प्रसाद यादव के 2008 से 2009 तक रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में नौकरियों के बदले में यादव परिवार को कई संपत्तियां दी गईं, जो प्रमुख स्थानों पर थीं. इन जमीनों का कुल क्षेत्रफल 101917 वर्गफीट है.

17 ठिकानों पर सीबीआई का छापा: सीबीआई ने आरोपों की प्रारंभिक जांच दर्ज की थी, जिसे एफआईआर में बदल दिया गया है. लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा तथा हेमा के अलावा कई उम्मीदवारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद सीबीआई ने शुक्रवार की सुबह दिल्ली, पटना और गोपालगंज में 17 स्थानों पर तलाशी (Lalu Yadav CBI Raid) ली.

लालू की बेटी हेमा यादव पर पहली बार FIR: सीबीआई ने लालू समेत उनके परिवार के चार सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है. लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बड़ी बेटी मीसा भारती और पाचवीं बेटी हेमा भारती के नाम एफआईआर में शामिल हैं. CBI सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 13 फरवरी 2014 को गोपालगंज के हृदयानंद यादव ने लालू यादव की बेटी हेमा को जमीन गिफ्ट किया था. राजनीति से दूर रहने वाली हेमा यादव पर पहली बार केस दर्ज हुआ है.

पुलिस को भी नहीं थी रेड की जानकारी: इस मामले में सीबीआई ने लालू यादव को लेकर कई खुलासे किए. सीबीआई ने बताया कि इस मामले की आरंभिक जांच 2021 में शुरू की गई थी. इस दौरान पाया गया कि जिन लोगों को नियम और कानून ताक पर रखकर नौकरी दी गई थी उस नौकरी के बदले में नौकरी पाने वाले परिजनों ने बदले में लालू यादव के परिजनों को जमीन गिफ्ट की थी. बताया जाता है कि सीबीआई की छापेमारी को गोपनीय रखा गया था. यहां तक कि बिहार पुलिस को भी इस छापेमारी की जानकारी नहीं हुई. जबतक सीबीआई राबड़ी आवास पर मौजूद रही तबतक कार्यकर्ता आवास के बाहर डंटे रहे, हंगामा होता रहा.

एफआईआर में इन लोगों के नाम शामिल: सीबीआई की एफआईआर में पूर्व रेल मंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती और हेमा के अलावे 13 अन्य लोगों को आरोपी बनाया है. कुल 16 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. लालू परिवार के अलावे राजकुमार सिंह महुआ बाग रूपसपुर थाना, मिथिलेश कुमार महुआ बाग, अजय कुमार महुआ बाग, संजय राय उर्फ संजय कुमार महुआ बाग, धर्मेंद्र राय उर्फ धर्मेंद्र कुमार महुआ बाग, विकास कुमार महुआ बाग, पिंटू कुमार महुआ बाग, दिलचंद्र कुमार महुआ बाग, प्रेम चंद्र कुमार महुआ बाग, लाल चंद्र कुमार महुआ बाग, हृदयानंद चौधरी इटावा मीरगंज गोपालगंज, अभिषेक कुमार बिडोल बीहटा पटना के नाम शामिल हैं. यह मुकदमा आपराधिक षड्यंत्र के साथ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया है.

कैसे लालू परिवार को मिला लाभ?: अज्ञात सरकारी सेवकों और गैर सरकारी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है. दरअसल आरोप है कि साल 2004 से 2009 तक रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद ने कई लोगों को ग्रुप डी की नौकरी दिया और इसके एवज में जमीन लिखवाई थी. यह नौकरियां मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर जोन में दिलाई गई थी.

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नौकरी के बदले लालू परिवार को जमीन (101917 वर्गफीट) देने वालों के नाम..

1.सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, कृष्ण देव राय महुआ बाग पटना के रहने वाले हैं. उन्होंने अपनी जमीन 6 फरवरी 2008 को राबड़ी देवी के नाम पर कर दी थी क्योंकि उनके परिवार के तीनों लोगों को रेलवे में नौकरी मिली थी. राजकुमार, मिथिलेश कुमार और अजय कुमार को सेंट्रल रेलवे, मुबंई में नौकरी मिली. किशुन देव राय और उनकी पत्नी सोनमतिया देवी से महुआबाग की 3375 वर्गफीट जमीन राबड़ी देवी के नाम ट्रांसफर कराई गई थी.

2. इसी तरह संजय राय, धर्मेंद्र राय और रविंद्र राय जो महुआ बाग पटना के रहने वाले थे ने भी अपनी जमीन राबड़ी देवी के नाम कर दी थी. इसके बदले उन लोगों की नौकरी रेलवे में लगी थी. संजय राय, धर्मेद्र राय, रवींद्र राय ने अपने पिता कामेश्वर राय की महुआबाग की 3375 वर्गफीट जमीन छह फरवरी 2008 को राबड़ी देवी के नाम पर रजिस्ट्री की. इसके एवज में इन्हें सेंट्रल रेलवे, मुंबई में ग्रुप-डी में नौकरी मिली.

3. किरण देवी नाम की महिला ने अपनी 1 एकड़ से ज्यादा जमीन लालू यादव की बेटी मीसा के नाम पर की थी और उनके परिवार के एक व्यक्ति की रेलवे में साल 2008 में नौकरी लगी थी. सीबीआई के अनुसार 28 फरवरी 2007 को किरण देवी ने बिहटा की अपनी 80905 वर्गफुट (एक एकड़ 85 डिसमिल) जमीन लालू प्रसाद की बड़ी बेटी मीसा भारती के नाम कर दी. इस जमीन के एवज में किरण देवी को 3.70 लाख रुपए और उनके पुत्र अभिषेक कुमार को सेंट्रल रेलवे मुंबई में नौकरी दी गई.

4. वहीं नौकरी के बदले जमीन देने के मामले में दिलचंद कुमार, प्रेमचंद कुमार का नाम भी शामिल है. एफआईआर के मुताबिक हजारी राय ने महुआबाग की अपनी 9527 वर्गफीट जमीन 10.83 लाख रुपए लेकर मेसर्स एके इंफोसिस के नाम लिख दी. इसके एवज में हजारी राय के दो भांजे दिलचंद कुमार, प्रेमचंद कुमार में से एक को पश्चिम सेंट्रल रेलवे, जबलपुर और दूसरे को पूर्वोत्तर रेलवे कोलकाता में नौकरी दी गई. जांच में पाया गया कि इस कंपनी की सारी संपत्ति पूरे अधिकार के साथ वर्ष 2014 में लालू प्रसाद की बेटी और पत्नी को हस्तांतरित किए गए.

5. राबड़ी देवी के नाम एक और जमीन हुई थी. यह जमीन लाल बाबू राय की थी. दरअसल महुआबाग की अपनी 1360 वर्गफीट जमीन 23 मई 2015 को राबड़ी देवी के नाम लाल बाबू ने ट्रांसफर की, जिसके एवज में लाल बाबू को 13 लाख रुपए मिले. इसके पहले ही उनके पुत्र लालचंद कुमार को 2006 में उत्तर-पश्चिम रेलवे, जयपुर में नौकरी लग गई थी.

6. सीबीआई के एफआईआर में हृदयानंद चौधरी का नाम भी शामिल है. रिपोर्ट के अनुसार ब्रजनंदन राय ने महुआबाग की अपनी 3375 वर्गफीट जमीन 29 मार्च 2008 को गोपालगंज निवासी हृदयानंद चौधरी को 4.21 लाख लेकर ट्रांसफर की. बाद में यह जमीन हृदयानंद चौधरी ने लालू प्रसाद की बेटी हेमा यादव के नाम कर दी. जमीन जब तोहफे में दी गई उस वक्त सर्किल रेट 62.10 लाख रुपये था. हृदयानंद चौधरी को पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर में साल 2005 में ही नौकरी मिल गई थी.

7. वहीं सातवां नाम है पिंटू कुमार का. दादा विशुन देव राय ने अपने पोते को नौकरी दिलाने के लिए जमीन लालू परिवार के नाम की थी. दरअसल महुआबाग की अपनी 3375 वर्गफीट जमीन 29 मार्च 2008 को सिवान के रहनेवाले ललन चौधरी के नाम ट्रांसफर की. ललन चौधरी ने यह जमीन हेमा यादव को 28 फरवरी 2014 को तोहफे में दे दी. सीबीआई के मुताबिक इस तोहफे के बदले में विशुन देव राय के पोते पिंटू कुमार को पश्चिम रेलवे, मुंबई में नौकरी दी गई.

IRCTC घोटाले में पहले से ही चल रही जांच: बता दें कि लालू यादव और उनके परिवार के सदस्य एक अन्य कथित भ्रष्टाचार मामले में भी मुकदमे का सामना कर रहे हैं, जहां उन पर रेल मंत्री रहते हुए पटना में प्रमुख स्थान पर भूमि के बदले एक निजी कंपनी का पक्ष लेने का आरोप है. आईआरसीटीसी घोटाले में साल 2018 में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ पहले ही चार्जशीट दायर की जा चुकी है. एजेंसी का आरोप है कि यूपीए सरकार के दौरान रेल मंत्री के रूप में लालू ने आईआरसीटीसी के दो होटलों के संचालन और रखरखाव के ठेके देते समय एक कंपनी का पक्ष लिया. बदले में उनके परिवार को ठेका हासिल करने वाली कंपनी के मालिकों से मामूली कीमत पर पटना में जमीन का एक बड़ा टुकड़ा मिला.


IRCTC घोटाले के आरोपियों के नाम: इससे पहले जांच एजेंसी ने जुलाई 2017 में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी और बेटे तेजस्वी यादव समेत पांच अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था और यहां तक ​​कि पटना में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के आवास सहित 12 स्थानों की तलाशी ली थी. सीबीआई ने आईआरसीटीसी होटलों के रखरखाव का ठेका हासिल करने वाले सुजाता होटल्स, उसके मालिक विजय और विनय कोचर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और लालू के करीबी प्रेमचंद गुप्ता, उनकी पत्नी सरला, आईआरसीटीसी समूह के तत्कालीन महाप्रबंधक वीके अस्थाना और आरके गोगिया, आईआरसीटीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक पीके गोयल और निदेशक राकेश सक्सेना व एक कंपनी के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था.


IRCTC स्कैम क्या है: सीबीआई के अनुसार, 2006 में रेल मंत्री के रूप में लालू यादव ने कथित तौर पर रांची और पुरी में आईआरसीटीसी के दो होटलों के रखरखाव के लिए सुजाता होटलों की तरफदारी की थी. सीबीआई ने आरोप लगाया कि बदले में राबड़ी और तेजस्वी को पटना में औने-पौने दामों पर प्रमुख संपत्ति दी गई.


सीबीआई को क्या मिला?: दिल्ली स्थित मीसा भारती के सरकारी आवास पर जहां सीबीआई की टीम के द्वारा लालू यादव से पूछताछ की गई थी वहीं राजधानी पटना 10 सर्कुलर रोड में राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर राबड़ी देवी और उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव से पूछताछ की गई थी. हालांकि राजद की ओर से दावा किया जा रहा है कि सीबीआई को साक्ष्य के रूप में कुछ भी हासिल नहीं हुआ है. परंतु सीबीआई की विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार राबड़ी आवास से उन्हें एक हार्ड डिक्स और कई दस्तावेज बरामद किए थे. इसके अलावा लालू के करीबियों के घर से भी कई दस्तावेज मिले हैं.

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