कुल्लू: ढालपुर में 13 अक्टूबर से अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का शुभारंभ हो जायेगा. पूरा ढालपुर मैदान देवी-देवताओं के साथ भर जाएगा. दशहरा उत्सव में मनाली से लेकर आनी निरमंड के देवी-देवता भाग लेते हैं. इस परंपरा को देखने के लिए देश-विदेश से काफी संख्या में लोग आते हैं लेकिन बीते 2 दशक से आज तक भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा में दाईं ओर चलने को लेकर 2 देवताओं का विवाद आज भी नहीं सुलझ पाया है.
सुप्रीम कोर्ट में है मामला
दोनों देवता दाईं ओर चलने का दावा करते हैं. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. कुल्लू प्रशासन की ओर से इस देव समागम दशहरा में भाग लेने के लिए 332 देवी-देवताओं को निमंत्रण जा चुके हैं लेकिन धुर विवाद के चलते चैथर के देवता बालू नाग और बंजार के देवता श्रृंगा ऋषि आज भी इस उत्सव में पुलिस की निगरानी में रहते हैं.इस साल दोनों देवताओं को निमंत्रण तो भेजा गया है लेकिन दोनों देवता इस साल भी भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा में शामिल नहीं हो पाएंगे.दशहरा उत्सव में धुर विवाद को सुलझाने के लिए देव समाज, सरकार और प्रशासन ने हर संभव प्रयास किए लेकिन विवाद को सुलझाने के लिए हर प्रयास असफल हुआ. इस विवाद के बाद भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा में दाईं ओर चलने की भूमिका देवता जमदग्नि ऋषि ही निभा रहे हैं.
रथ यात्रा के दौरान दोनों देवताओं को यात्रा में भाग लेने की अनुमति नहीं है. यात्रा के दौरान दोनों देवता अपने-अपने शिविर में ही रहते हैं. साल 1977 तक इस तरह का कोई विवाद नहीं था. साल 1977 के बाद दोनों देवता काफी लंबे समय तक कुल्लू दशहरे में नहीं आए.ऐसे में देव संस्कृति के संरक्षण के लिए शोभायात्रा में दाईं तरफ चलने की परम्परा जमदग्नि ऋषि निभाते रहे. 10 से 15 साल तक दोनों देवताओं ने दशहरे में भाग नहीं लिया लेकिन उसके बाद इस बात को लेकर विवाद बढ़ने लगा.
दोनों देवता रथ यात्रा में नहीं लेते भाग
साल 2007 में दोनों देवताओं पर रथ यात्रा में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया तो यह विवाद और बढ़ गया. उस साल रथ यात्रा के दौरान पुलिस पर पथराव भी किया गया था. उसके बाद से लेकर अब तक हर साल दोनों देवताओं को पुलिस के पहरे में रखा जाता है.
क्या है धुर विवाद?
धुर विवाद का मतलब बड़ा स्थान यानी भगवान रघुनाथ जी के दाईं तरफ होता है जिसे ज्येष्ठ स्थान माना जाता है. भगवान रघुनाथ की दाईं तरफ देवता श्रृंगा ऋषि को चलने का अधिकार इसलिए माना जाता है कि दशरथ के पुत्र प्राप्ति का यज्ञ श्रृंगा ऋषि ने सम्पन्न किया था.
दूसरी तरफ बालूनाग देवता को लक्ष्मण का अवतार माना जाता है इसलिए लक्ष्मण को दाईं तरफ चलने का अधिकार माना जाता है. इन दोनों देवताओं के अधिकारों के चलते धुर विवाद शुरू हुआ.
श्रृंगा ऋषि देवता के कारदार राजू का कहना है "मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. इस बार दशहरा कमेटी की तरफ से निमंत्रण मिल चुका है. उनका कहना है कि एसडीएम कल्लू ने निर्देश दिया है कि पिछली बार की तरह ही आएं और रहें जब तक इस मामले का फैसला नहीं होता."
एसडीएम कुल्लू विकास शुक्ला ने इस मामले को लेकर कहा "हर साल की तरह दोनों देवता जिस तरह से आते हैं उसी तरह आएं. मामला कोर्ट में चल रहा है जिस कारण दोनों देवता रथ यात्रा में शामिल नहीं होंगे."
बालूनाग देवता के कारदार ख्याली शर्मा का कहना "दोनों देवताओं के विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. बालू नाग देवता ने दशहरे की तैयारी कर ली है 11 अक्टूबर को लाव लश्कर के साथ देवता कुल्लू के लिए रवाना होंगे"
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