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विजया एकादशी 2024: जानिए भगवान श्री राम ने क्यों किया था विजया एकादशी का व्रत?

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 5, 2024, 11:48 AM IST

Updated : Mar 5, 2024, 12:02 PM IST

विजया एकादशी 2024
Vijaya Ekadashi 2024

Vijaya Ekadashi 2024: छह मार्च को विजया एकादशी का व्रत है. हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं कि विजया एकादशी व्रत का क्या महत्व है और पूजा की विधि विधान क्या है.

करनाल: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्यौहार को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और एकादशी का व्रत रखा जाता है. अपने दुश्मनों पर विजय पाने के लिए या किसी भी अपने काम में सफलता प्राप्त करने के लिए इस व्रत को खासतौर पर रखा जाता है. रावण पर विजय प्राप्त करने के पहले भगवान श्री राम ने विजया एकादशी का व्रत किया था.

विजया एकादशी 2024 का शुभ मुहूर्त: पंडित रामराज मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि सनातन धर्म में एकादशी के व्रत का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. 1 साल में 24 एकादशी आती है और हर महीने में दो एकादशी होती है. एक एकादशी कृष्ण पक्ष में आती है और एक एकादशी शुक्ल पक्ष में आती है. फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष में आने वाले एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च को रखा जाएगा. विजय एकादशी का आरंभ 6 मार्च को सुबह 6:30 से शुरू होगा और इसका समापन अगले दिन सुबह 4:13 पर होगा.

विजया एकादशी का महत्व: पंडित रामराज मिश्रा के अनुसार विजया एकादशी का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व है. क्योंकि जब भगवान श्री राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपना बनवास काट रहे थे तब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था. भगवान श्री राम लंका में जाने के लिए समुद्र पार करना चाहते थे लेकिन पार नहीं कर पा रहे थे. उस दौरान भगवान श्री राम हताश होकर ऋषि वकदालभ्य के पास विजय प्राप्ति कैसे करें, यह पूछने के लिए गए. ऋषि वकदालभ्य ने फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की विजय एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा. भगवान श्री राम ने इस व्रत को रखा और युद्ध में विजय प्राप्त कर पाए. तब से ही यह मान्यता चली आ रही है कि अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने के लिए इस एकादशी का व्रत रखा जाता है. साथ ही अगर किसी के जीवन में कोई अड़चन हो तभी भी इस व्रत को रखा जाता है. भगवान विष्णु की कृपा से उसके घर में सुख समृद्धि आती है और वह अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करता है. जो भी काम उसके अधूरे होते हैं वे सब पूरे हो जाते हैं.

व्रत का विधि विधान: पंडित रामराज मिश्रा ने बताया कि एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी फिर अपने घर में ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. स्नान करने के उपरांत भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दें और अपने घर के मंदिर में साफ सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाकर उनकी पूजा अर्चना करें. पूजा अर्चना करने के दौरान उनको पीले रंग के फल- फूल वस्त्र और मिठाई अर्पित करें. जो भी जातक इस दिन व्रत रखना चाहता है वह इस दौरान व्रत रखने का प्रण ले. व्रत अपनी इच्छा अनुसार रख सकते हैं जो निर्जला व्रत रखना चाहते हैं वह निर्जला व्रत रख सकते हैं. निर्जला व्रत नहीं रख सकते तो वे साधारण व्रत रख सकते हैं. उसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसाद का भोग लगाएं. दिन में भगवान विष्णु के लिए कीर्तन या विष्णु पुराण पढ़ें. शाम के समय जरूरतमंदों को भोजन करायें और अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा दें. व्रत के पारण के समय अपना व्रत खोलें. व्रत खोलने से पहले भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसाद का भोग अवश्य लगाएं. ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है जातक अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करता है.

क्या नहीं करें: पंडित रामराज मिश्रा के अनुसार विजय एकादशी के दिन जातक को चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन किसी भी व्यक्ति से लड़ाई झगड़ा इत्यादि नहीं करना चाहिए. जो भी जातक एकादशी का व्रत रखता है उसको दिन में सोना नहीं चाहिए. इस दिन भुलकर भी किसी को काले रंग के वस्त्र नहीं पहनना चाहिए.

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Last Updated :Mar 5, 2024, 12:02 PM IST
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