जबलपुर। मुख्यमंत्री मोहन यादव एक दिन पहले जबलपुर की सिहोरा के पास पड़रिया गांव में प्रचार करने पहुंचे. उन्होंने मोदी सरकार की योजनाओं का उल्लेख किया. लेकिन सभा स्थल से मात्र 6 किलोमीटर दूर एक गांव में आज भी पीने का पानी नहीं है. पूरे गांव को खेत में बने एक कुएं से पानी भरकर लाना पड़ता है. तब जाकर इनका निस्तार और पीने के पानी की व्यवस्था हो पाती है. गांव में नल जल योजना के पाइप डाले गए हैं लेकिन इसमें पानी नहीं आता. मध्य प्रदेश में ऐसे सैकड़ों गांव हैं, जहां अभी भी पीने का पानी नहीं है.
आदिवासी गांव डूंगर गांव में नहीं पीने का पानी
जबलपुर शहर से कुंडम जाते हुए एक सड़क दाएं तरफ बढ़ती है. इस सड़क में लगभग 6 किलोमीटर चलने पर एक गांव आता है. इसे डूंगर गांव के नाम से जाना जाता है. इस गांव की आबादी लगभग 500 है. यह गांव पूरी तरह से आदिवासी गांव है. इसमें गोंड आदिवासी रहते हैं. इस गांव में एक भी पक्का मकान नहीं है. हालांकि सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री आवास बड़े पैमाने पर बनवाए हैं. पर यहां हमें प्रधानमंत्री आवास नजर नहीं आए. गांव के कच्चे मकान में रहने वालों से जब ईटीवी भारत की टीम ने पछा कि आप लोग पीने का पानी कहां से लाते हैं तो लोगों ने बताया कि खेत में एक कुआं है. उससे 10 महीने तो पानी मिल जाता है लेकिन गर्मी के दो महीने में बड़ी दिक्कत होती है. यह कुआं भी सूख जाता है. ऐसा नहीं है कि गांव में सरकार की नल जल योजना ना पहुंची हो लेकिन यहां पाइपों से पानी की जगह हवा निकल रही है. गांव वालों का कहना है कि पाइप डालकर खानापूरी हो गई है.
![Severe drinking water crisis villages of Mahakaushal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-04-2024/mp-jab-01-drinking-water-7211635_12042024002447_1204f_1712861687_155.jpg)
सरकार के आंकड़ों में सब कुछ ठीक है
मध्य प्रदेश सरकार के पीएची विभाग की वेबसाइट के अनुसार मध्य प्रदेश में कुल मिलाकर 18192 गांव में जल योजनाओं के माध्यम से पानी पहुंचाने की योजना सरकार ने बनाई थी. 2023-24 की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकारी आंकड़ों में 17900 गांवों में नल जल योजना के माध्यम से पानी पहुंच चुका है और केवल 292 गांव ऐसे हैं, जिनमे नल जल योजना के माध्यम से पानी नहीं पहुंचा. आंकड़ों के अनुसार पूरे प्रदेश में मात्र 300 गांव ही ऐसे बचे हैं, जिनमें नल जल योजना के माध्यम से पानी नहीं पहुंचा.
सिहोरा विधानसभा क्षेत्र के ही 55 गांव में पानी नहीं
सरकारी आंकड़ों की पोल खुद उनके ही पार्टी के विधायक संतोष बड़कड़े खोल रहे हैं. ग्रामीण लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अनुसार जबलपुर में 375 गांवों में नल जल योजना के माध्यम से पानी की टंकियां रखवाई गईं और पाइपलाइन के जरिए घर-घर पानी पहुंचाया गया. इनमें से 367 गांवों में योजना सही काम कर रही है और केवल 9 गांवों में ही पीने के पानी की किल्लत है, जबकि सिहोरा से बीजेपी विधायक संतोष वरकडे का कहना है केवल उनकी विधानसभा सीट में ही 55 गांव ऐसे हैं जहां पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि यहां लिफ्ट इरीगेशन के जरिए पानी पहुंचाया जाए. हालांकि संतोष पहली बार विधायक बने हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी यहां बीते 20 सालों से लगातार जीतती आ रही है.
![Severe drinking water crisis villages of Mahakaushal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-04-2024/mp-jab-01-drinking-water-7211635_12042024002447_1204f_1712861687_1004.jpg)
महाकौशल क्षेत्र के कई गांवों में भीषण जल संकट
जबलपुर के कुंडम इलाके से ही पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो जाता है, जो आगे मंडल उमरिया कटनी तक फैला हुआ है. इस पूरे इलाके में पीने के पानी की बड़ी समस्या है. कहीं-कहीं पर बरसाती पानी रुक जाता है तो इसका इस्तेमाल गांव के लोग साल भर कर लेते हैं और कई जगहों पर भूमिगत जल मिलता ही नहीं है तो गांव वाले गर्मियों में पलायन कर जाते हैं. मध्य प्रदेश में पानी की सबसे ज्यादा कमी सतना इलाके में है, यहां पीने के पानी की भारी समस्या है और गर्मियों में यहां कई गांवों में पीने का पानी नहीं होता. हर बार चुनाव में नेता वादा करते हैं कि जल्द ही यहां बांध बनाया जाएगा या किसी बड़े बांध से नहर लाकर पानी दिया जाएगा लेकिन बीते 20 सालों से लोग केवल वादे ही सुन रहे हैं.
![Severe drinking water crisis villages of Mahakaushal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-04-2024/mp-jab-01-drinking-water-7211635_12042024002447_1204f_1712861687_200.jpg)
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दमोह, पन्ना व सागर जिले में स्थितियां कुछ ठीक हैं
थोड़ी ठीक-ठाक स्थिति दमोह, पन्ना और सागर जिलों की है क्योंकि यहां भारत सरकार में जल शक्ति मंत्री रहे प्रहलाद पटेल सांसद थे. इसी दौरान उन्होंने इस पूरे इलाके में गांव-गांव तक पानी पहुंचाने के लिए पाइपलाइन डलवा दी थी. इसलिए इस इलाके पथरीली जमीन होने के बाद भी पाइपलाइन के जरिए आने वाले पानी से गर्मियों में पानी की समस्या नहीं होती.