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पलायन पर गंभीर धामी सरकार, असल वजहों का होगा विस्तृत अध्ययन

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 15, 2024, 9:18 PM IST

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Uttarakhand migration प्रदेश में पलायन को रोकने के लिए तमाम सरकारों ने समय-समय पर प्रयास किए. लेकिन प्रदेश में पलायन की रफ्तार कम होने के बजाए बढ़ी ही है. पलायन से गांव के गांव खाली हो गए हैं. कई गांवों में सिर्फ बुजुर्ग दिखाई देते हैं और युवा पीढ़ी शहरों में बस गई है. लेकिन धामी सरकार पलायन को लेकर गंभीर है.

देहरादून: प्रदेश में हो रहे पलायन को लेकर चिंतन के साथ ही असल वजहों को जानने के लिए बेहतर ढंग से अध्ययन किया जाएगा. दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग की सातवीं बैठक हुई. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पर्वतीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों की आजीविका को बढ़ाने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए.

इस दौरान सीएम धामी ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से पर्वतीय क्षेत्रों में लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है. ताकि पर्वतीय क्षेत्र में रह रहे लोगों की आजीविका में वृद्धि हो सके. इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही उद्योग, पर्यटन, कृषि, बागवानी को बढ़ावा दिया जा रहा है. जो लोग प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में रिवर्स पलायन कर स्वरोजगार के साथ ही अन्य लोगों को भी स्वरोजगार से जोड़ रहे हैं ऐसे लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा. सरकार ने वन पंचायत नियमावली को मंजूरी दे दी है. ऐसे में अब जड़ी-बूटी उत्पादन, वृक्षारोपण, जल संचय, वनाग्नि रोकथाम, इकोटूरिज्म के क्षेत्र में बेहतर कार्य होंगे साथ ही इन क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार भी उपलब्ध हो सकेगा.

साथ ही अधिकारियों को इस बाबत भी निर्देश दिए कि वन पंचायत और संबंधित विभागों के साथ मिलकर जंगली जानवरों से खेतों को होने वाले नुकसान को कम करने पर जोर दिया जाए. जिससे हाउस ऑफ हिमालय के लिए उत्पादों की उपलब्धता बढ़ेगी. सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड को वेडिंग डेस्टिनेशन बनाने की दिशा में भी प्रयास करने की जरूरत है. प्रदेश की सुंदरता देश दुनिया के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. ऐसे में राज्य सरकार वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए विस्तृत नीति तैयार करने जा रही है. बैठक के दौरान ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने कहा कि आयोग अभी तक 21 रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप चुकी है.

जिनमें राज्य के तमाम जनपदों में सामाजिक, आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने तथा पलायन को कम करने से संबंधित तमाम सिफारिशें की गई हैं.आयोग ने राज्य में पलायन की स्थिति पर दूसरी सर्वेक्षण रिपोर्ट भी शासन को सौंप चुकी है. जिसमे आयोग ने स्वरोजगार को बढ़ावा दिए जाने के लिए तमाम स्थानों पर कार्यशालाओं का आयोजन किया. जिसमें पौड़ी, चमोली, हल्द्वानी, चंपावत, टिहरी, रुद्रप्रयाग, उधम सिंह नगर, पिथौरागढ़, देहरादून और हरिद्वार शामिल है.

बैठक में आयोग के सदस्यों ने बताया कि उनके तरफ से भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ के क्षेत्रों में स्थानीय निवासियों से बातचीत की गई. साथ ही तमाम विभागों की ओर से संचालित स्वरोजगार योजनाओं को लेकर जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ चर्चा भी की गयी. पलायन पर विधानसभा समिति की उपस्थिति में सुझावों पर विचार करने के साथ ही शिक्षा विभाग के साथ बैठकें, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी, वानिकी विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालयों के साथ बैठकें भी की गई हैं.

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