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मदरसा शिक्षक कुकर्म का दोषी करार, अदालत ने अंतिम सांस तक जेल में रहने की सुनाई सजा

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 13, 2024, 8:53 PM IST

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पॉक्सो कोर्ट क्रम संख्या 3 कोटा ने आज 5 महीने पुराने मामले में मदरसा शिक्षक को कुकर्म का दोषी मानते हुए शेष अंतिम सांस तक की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 21 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. सजा के बाद शिक्षक मुंह छुपाता हुआ न्यायालय के बाहर निकला है.

कोटा. न्यायालय पॉक्सो क्रम संख्या 3 कोटा ने बुधवार को 5 महीने पुराने मामले में मदरसा शिक्षक को कुकर्म का दोषी मानते हुए शेष अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी पर 21 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. सजा के बाद आरोपी शिक्षक मुंह छुपाता हुआ न्यायालय के बाहर निकला.

फैसला सुनाते समय न्यायाधीश दीपक दुबे ने टिप्पणी करते हुए कविता लिखी कि "मेरे नन्हे मुन्ने मासूम तुम निर्दोष और निष्पाप हो, तुम्हारी मुस्कान ही सारा जहां है, तुम्हारी सूरत में अल्लाह का नूर बसता है, तुम मन मस्तिष्क से कटु स्मृतियों को मिटा दो, तुम्हारे गुनहगार को हमने अंतिम सांस तक जेल भेज दिया है, अब तुम हंसकर, खेलकर इस जीवन को यापन करो, तुम्हारी आंखों से बहते आंसू तुम्हारा घर नहीं देख पाएगा."

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14 दिन में पुलिस ने पेश किया था चालान : विशिष्ट लोक अभियोजक ललित कुमार शर्मा का कहना है कि 22 अक्टूबर 2023 को बूढ़ादीत थाने में एक प्रकरण दर्ज किया गया था. इसमें 10 वर्षीय किशोर जो कक्षा पांचवी का विद्यार्थी था, वो मदरसे में उर्दू पढ़ने गया था. वहां पर उर्दू पढ़ाने वाले मूलतः हरियाणा के पलवल निवासी शिक्षक 27 वर्षीय नसीम ने पहले 10 मिनट तक उसे पढ़ाया और उसके बाद उसके साथ कुकर्म किया. इस घटना के बारे में बालक ने घर पर आकर बताया. इस मामले में बूढ़ादीत थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया था. इस पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 14 दिन में ही जांच पूरी कर चालान पेश कर दिया था. इस मामले में न्यायालय ने 20 दस्तावेज सबूत और 10 गवाहों के बयान के आधार पर फैसला सुनाया है. इसमें न्यायाधीश दीपक दुबे ने टिप्पणी भी करते हुए कविता लिखी है.

पापों का प्रायश्चित करे, इसलिए नहीं दिया मृत्युदंड : इस मामले में विशिष्ट लोग अभियोजक ललित कुमार शर्मा का कहना है कि उन्होंने डीएनए रिपोर्ट और अन्य साक्ष्य के आधार पर मृत्यु दंड की मांग की थी, लेकिन न्यायाधीश दीपक दुबे ने कहा कि मृत्यु दंड देने से आरोपी पापों का प्रायश्चित नहीं कर पाएगा. ऐसे में जब तक वह जेल में ही शेष अंतिम सांस तक रहेगा, तब तक वह अपने गलत काम के लिए प्रायश्चित करता रहेगा. इस मामले में तत्कालीन एसएचओ बूढ़ादीत रामस्वरूप राठौर की भी अदालत ने तारीफ की है, जिन्होंने 14 दिन में ही विधि और वैज्ञानिक तरीके से जांच पूरी कर चालान पेश किया था.

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