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महाशिवरात्रि को लेकर श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में विशेष तैयारी, मंदिर को फूल महल बनाने में जुटे वृंदावन के कारीगर

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 5, 2024, 4:56 PM IST

preparations of shivratri in Dudheshwar Nath Math temple: गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में महाशिवरात्रि को लेकर तैयारियां जोरों पर है. महाशिवरात्रि पर जहां मंदिर को फूलों से विशेष रूप से सजाया जा रहा है. वहीं, इस पावन दिन पर दूधेश्वर मंदिर में देश भर के लाखों श्रद्धालु भगवान का जलाभिषेक करेंगे. इसलिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं.

महाशिवरात्रि पर्व पर श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में खास तैयारी
महाशिवरात्रि पर्व पर श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में खास तैयारी

महाशिवरात्रि पर्व पर श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में खास तैयारी

नई दिल्ली/गादियाबाद: गाजियाबाद के सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में दो दिवसीय फाल्गुन महाशिवरात्रि मेले को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. महाशिवरात्रि पर लाखों श्रद्धालु भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक करेंगे. जलाभिषेक के दौरान शिव भक्तों को कोई परेशानी ना हो, इसके लिए मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि स्वयं सभी व्यवस्थाओं पर नजर रखे हुए हैं. तैयारियों का जायजा लेने के लिए महापौर समेत पुलिस प्रशासन के अधिकारी दूधेश्वर नाथ मंदिर पहुंच रहे हैं. महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिर फूल बंगले के रूप में नजर आएगा और मंदिर को सजाने की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. फूल बंगला बनाने के लिए वृंदावन से कारीगर बुलवाए गए हैं.

श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास रावण काल से जुड़ा है. पुलस्त्य के पुत्र और रावण के पिता ऋषि विश्रवा तथा रावण ने इस मंदिर में तपस्या की थी. मंदिर को दुधेश्वर हिरण्यगर्भ महादेव मंदिर मठ के रूप में जाना जाता है. रावण ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए मंदिर में अपना शीश चढ़ाया था. इस मंदिर को देश के प्रमुख आठ मठों में भी गिना जाता है. औरंगजेब के काल में मराठा वीर शिरोमणि छत्रपति शिवाजी यहां आए थे और उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्वार कराया था. उनके द्वारा जमीन खुदवा कर गहराई में बनवाया गया हवन कुंड आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है.

महंत के मुताबिक, दूदेश्वरनाथ मंदिर पर भगवान शिव खुद प्रकट हुए थे. आज यहां पर जमीन से तीन फीट नीचे शिवलिंग है. श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि फाल्गुन शिवरात्रि को ही भगवान प्रकट हुए थे और इसी दिन शिव और शक्ति मिलन हुआ था यानि शिव-पार्वती विवाह हुआ था. इसी कारण इस पर्व को महाशिवरात्रि पर्व के नाम से जाना जाता है.

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7 मार्च को सायं 6 बजे से 6.30 बजे तक भगवान का भव्य श्रृंगार और आरती होगी. भगवान शिव की भव्य बारात निकलेगी और उसके बाद सुबह तक भजन संध्या का आयोजन होगा. रात्रि 12 बजे से भगवान का जलाभिषेक शुरू होगा. 8 मार्च को प्रातः 3 बजे आरती होगी और उसके बाद भगवान का भव्य श्रृंगार होगा. प्रातः 8 बजे ध्वजारोहण होगा और आठ प्रहर का अलग-अलग पूजन होगा. सांय भगवान के भव्य श्रृंगार के बाद उन्हें 151 व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा.

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