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लैंड माइंस से कैसे बचें, जवानों को दी जा रही ट्रेनिंग, चुनाव के दौरान बढ़ जाता है खतरा

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 16, 2024, 9:33 AM IST

Training to avoid landmines
Training to avoid landmines

Training to avoid landmines. लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों द्वारा बिछाए गए लैंड माइंस से बचाव के बारे में जवानों को ट्रेनिंग दी जा रही है. केंद्रीय बलों के साछ झारखंड पुलिस को भी इसके बारे में ब्रीफ किया जा रहा है. पलामू इलाके में चुनाव के दौरान लैंड माइंस से निपटना बड़ी चुनौती मानी जाती है.

पलामू: लोकसभा चुनाव को लेकर हर स्तर पर सुरक्षा की तैयारी की जा रही है. पलामू लोकसभा क्षेत्र अतिनक्सल प्रभावित है. यहां चुनाव के दौरान नक्सली हमलों का एक लंबा इतिहास रहा है. 2004 में पलामू इलाके से ही माओवादियों ने पूरे देश में लैंड माइंस का इस्तेमाल शुरू किया था. उसके बाद से पुलिस और सुरक्षा बलों ने बारूदी सुरंगों से निपटने के लिए कई स्तरों पर योजनाएं तैयार की हैं.

लोकसभा चुनाव से पहले नक्सली इलाकों में तैनात जवानों और अधिकारियों को लैंड माइंस से बचने के तरीके बताए जा रहे हैं. केंद्रीय बलों के जवानों को सीआरपीएफ के विशेषज्ञ और झारखंड पुलिस के जवानों को आईआरबी और जगुआर के विशेषज्ञ ट्रेनिंग दे रहे हैं. पलामू पुलिस लाइन में एक सप्ताह तक लगातार कैंप चलाकर जवानों और अधिकारियों को ट्रेनिंग दी गयी है. इस दौरान पुलिस अधिकारियों को एक्सपर्ट द्वारा बारूदी सुरंगों और उनके प्रकारों के बारे में भी जानकारी दी गई है. बारूदी सुरंगों से निपटने के लिए कई उपकरण और तकनीकें सुझाई गई हैं.

आईईडी के प्रकार में दी गई जानकारी

एक्सपर्ट्स ने पुलिस अधिकारियों और जवानों को इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के प्रकार के बारे में बताया है, जिसे लैंड माइंस भी कहा जाता है. इस दौरान जवानों को जमीन के अंदर और बाहर लगाए गए माइंस के बारे में भी जानकारी दी गई है. जवानों को पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी एसओपी की जानकारी दे दी गयी है. जवानों को बताया गया है कि सड़क पर चलते समय कितनी दूरी बनाए रखनी है और साथ ही सड़क पर संदिग्ध वस्तुओं से बारूदी सुरंगों की पहचान कैसे करनी है.

  • जवानों को सबसे ज्यादा सड़क के अंदर लगाए जाने वाले लैंड माइंस के बारे में जानकारी दी गई है. जवानों को बताया गया है कि नक्सली कच्ची या पक्की सड़कों के अंदर आईईडी लगाते हैं. यह IED सिलेंडर, कैन, पाइप, कंटेनर आदि का हो सकता है.
  • जवानों को सड़क के बाहर लगाए गए क्लेमोर माइंस और उनसे बचने के बारे में भी जानकारी दी गई है.
  • पुलिस कर्मियों को रूट पर बूबी ट्रैप, टॉप बम और सीरीज बम के बारे में जानकारी दी गई. इस दौरान जवानों को स्पाइक होल के बारे में भी ब्रीफ किया गया है.

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