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केदारेश्वर मंदिर के लिए शालिग्राम शिला लखनऊ में पूजा के बाद लाई गयी इटावा

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 14, 2024, 3:16 PM IST

लखनऊ में पूजा के बाद लाई गयी इटावा बुधवार को केदारेश्वर मंदिर के लिए शालिग्राम शिला लायी (Shaligram stone reaches Etawah) गयी. इटावा में केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर केदारेश्वर मंदिर (Etawah Kedareshwar Temple) बनाया जा रहा है.

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केदारेश्वर मंदिर के लिए शालिग्राम शिला लायी गयी

इटावा: इटावा में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव केदारेश्ववर मंदिर बनवा रहे हैं. हाल ही में बजट सत्र के दौरान अखिलेश ने कहा था, हम पहले शिव मंदिर जाएंगे. उसके बाद रामलला के दर्शन करने जाएंगे. इस बयान के बाद अब इटावा के केदारेश्वर भोलेनाथ मंदिर की चर्चा भी शुरू हो गई हैं. निर्माण में मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली शालिग्राम की शिला भी नेपाल के पोखरा से लखनऊ लायी जा चुकी है. इसका पूजन मंगलवार को अखिलेश यादव और राज्यसभा चुनाव में सपा की प्रत्याशी जया बच्चन समेत तीनों प्रत्याशियों ने किया है.

भगवान शिव का ये मंदिर लोहन्ना चौराहे से ग्वालियर जाने वाले हाईवे पर बनी लायन सफारी के ठीक सामने 2 एकड़ में बन रहा है. 2020 में अखिलेश ने मंदिर का भूमि-पूजन किया था. ये मंदिर देश की शिव शक्ति अक्ष रेखा के ऊपर बन रहा है. देश में बने भगवान शिव के प्रमुख 8 मंदिर भी इसी रेखा पर स्थित हैं. केदारेश्वर मंदिर उत्तराखंड में बने केदारनाथ मंदिर का दूसरा रूप होगा. मंदिर का निर्माण आंध्र प्रदेश के वही शिल्पकार कर रहे हैं, जिन्होंने तमिलनाडु के प्रसिद्ध कवि तिरुवल्वम के स्टैच्यू को बनाया था.

मंदिर निर्माण में जुटी आंध्र प्रदेश से आई 50 शिल्पकारों की टीम को लीड कर रहे उमा शंकर ने बताया कि मंदिर का निर्माण करीब 85 फीसदी पूरा हो चुका है. एक महीने में इसके मुख्य प्रांगण का निर्माण पूरा होने की उम्मीद है. बाहरी दीवार और अन्य निर्माण धीरे-धीरे होते रहेंगे. इसको अंतिम रूप देने में अभी एक साल लग जाएगा. मंदिर की अभी तक अनुमानित लागत करीब 50 से 55 करोड़ है. इस मंदिर की ऊंचाई 72 फीट होगी. केदारनाथ मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर गर्भगृह तक जो मूर्तियां-कलाकृतियां स्थापित हैं.

ठीक उसी तर्ज पर केदारेश्वर मंदिर की कृति तैयार हो रही है. केदारेश्वर मंदिर में 3 नंदी स्थापित किए जाएंगे. पहले मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही नंदी दिखाई देंगे. इनकी ऊंचाई 13 फीट है. ऐसी ही नंदी की प्रतिमा 1659 ई.पू. में मैसूर के एक मंदिर में वोडेयार राजवंश के राजा देवाराज वोडेयार ने स्थापित करवाई थी. दूसरे नंदी मंदिर के कंपाउंड में प्रवेश करते ही स्थापित किए गए हैं. इनकी ऊंचाई 7 फीट है और गर्भगृह में प्रवेश करते ही एक 3 फीट के नंदी स्थापित किये जाएंगे. इस मंदिर के निर्माण में करीब 500 ट्रक कृष्ण पुरुष शिला पत्थर तमिलनाडु से इटावा लाया गया है.

इसका अनुमानित वजन 75 हजार टन है. मंदिर निर्माण में 3 यूनिट काम कर रही हैं. एक यूनिट इटावा में है, जिसमें 50 से अधिक कारीगर लगे हुए हैं. 2 यूनिट तमिलनाडु के कन्याकुमारी में काम कर रही हैं. इसमें करीब 300 कारीगर और तमिल शिल्पकार शामिल हैं, जो दिन-रात पत्थरों को तराश रहे हैं. इटावा में इन पत्थरों को फाइनल टच दिया जा रहा है. मंदिर के मुख्य परिसर के चारों ओर 15 फीट ऊंची और 5 फीट चौड़ी पत्थर की कंपाउंड बाउंड्री वॉल बन रही है. मंदिर में प्रवेश और निकासी के लिए 4 द्वार होंगे. इनकी ऊंचाई 25 फीट होगी. यह आंध्र प्रदेश के भव्य मंदिरों के तर्ज पर दिखाई देंगे. मंदिर प्रांगण में औषधीय पौधे लगाए जाएंगे.

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