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रायगढ़ में दांव पर राजपरिवार की साख, मैदान में उतरीं मेनका देवी सिंह, 24 साल से कांग्रेस को है जीत का इंतजार - Raigarh Lok Sabha Election 2024

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 2, 2024, 7:25 PM IST

Raigarh Lok Sabha Election 2024
रायगढ़ में दांव पर राजपरिवार की साख (Etv Bharat Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ में लोकसभा के तीसरे चरण में रायगढ़ सीट के लिए वोटिंग होगी. इस सीट पर कांग्रेस ने अपनी जीत का सूखा खत्म करने करने के लिए एक बार फिर शाही परिवार की ओर रुख किया है. आज से 33 साल पहले शाही परिवार ये सीट शाही परिवार के उम्मीदवार ने जीती थी.तब से लेकर अब तक इस सीट पर किसी राजघराने के उम्मीदवार को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया. 1998 में आखिरी बार कांग्रेस को अजीत जोगी ने ये सीट दिलाई थी.

रायगढ़ : रायगढ़ संसदीय क्षेत्र में इस बार लोकसभा की लड़ाई आम बनाम खास है. क्योंकि कांग्रेस ने राजघराने की सदस्य डॉ मेनका सिंह को मैदान में उतारा है. डॉक्टर मेनका सिंह इस अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट पर बीजपी के राधेश्याम राठिया के खिलाफ खड़ी हैं, जहां 7 मई को तीसरे चरण में मतदान होगा. आपको बता दें कि सारंगढ़ राजघराना आजादी के पहले से ही कांग्रेस से जुड़ा रहा है. मेनका देवी के पिता राजा नरेशचंद्र सिंह 1952 से 1968 तक अविभाजित मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे थे. वह अविभाजित मध्य प्रदेश के एकमात्र आदिवासी मुख्यमंत्री भी थे.

1991 तक शाही परिवार का रहा है दबदबा : 1962 में इस सीट के गठन के बाद से इस शाही परिवार के सदस्यों ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चार बार रायगढ़ से लोकसभा चुनाव जीता है.इसके अलावा मेनका देवी की मां ललिता देवी 1969 में रायगढ़ जिले के पुसौर से निर्विरोध विधायक चुनी गयी थीं. मेनका देवी की एक और बहन रजनीगंधा 1967 में रायगढ़ से सांसद रहीं, जबकि पुष्पा देवी सिंह 1980, 1984 और 1991 में जीतीं.मेनका देवी की तीसरी बहन, कमला देवी, 18 वर्षों तक विधायक रहीं और अविभाजित मध्य प्रदेश में 15 वर्षों तक मंत्री रहीं.पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी 1998 में रायगढ़ सीट जीतने वाले आखिरी कांग्रेस उम्मीदवार थे.मेनका देवी की बेटी के मुताबिक इस बार वो चुनाव जरुर जीतेंगी.

"भले ही हमने 25 साल तक चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन हम कभी भी राजनीति से दूर नहीं रहे और लोगों की सेवा कर रहे थे. हमारे परिवार ने अलग-अलग तरीकों से उनका समर्थन किया. इस कारण मेरी मां को टिकट मिला और वह निश्चित रूप से जीत हासिल करेंगी।" कुलिशा मिश्रा, मेनका देवी की बेटी

वहीं राजनीतिक विश्लेषक आर कृष्ण दास का कहना है कि जशपुर, रायगढ़ और सारंगढ़ के शाही परिवारों का रायगढ़ लोकसभा सीट पर थोड़ा प्रभाव है. लेकिन ये प्रभाव कुछ इलाकों तक ही सीमित है.

"इतिहास इस सीट पर सारंगढ़ राजपरिवार के प्रभुत्व को दर्शाता है. इस सीट पर अब तक हुए 15 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सात बार राजपरिवार के सदस्यों को मैदान में उतारा है. पुष्पा देवी ने इस सीट से तीन बार 1989, 1996 और 1999 में जीत हासिल की, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा.'' आर कृष्ण दास, राजनीतिक विश्लेषक

आर कृष्ण दास के मुताबिक 25 साल के लंबे समय के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर राज परिवार पर भरोसा जताया है. डॉ. मेनका देवी कांग्रेस की ओर से मैदान में हैं. मेनका देवी विनम्र और सुलभ स्वभाव की हैं, लेकिन मोदी फैक्टर और रायगढ़ के पूर्व सांसद और मौजूदा सीएम विष्णुदेव साय यहां के माहिर खिलाड़ी हैं.इसलिए रायगढ़ की चुनौती राजपरिवार के लिए आसान कतई नहीं है.

बीजेपी की ओर जूदेव शाही परिवार का झुकाव : जशपुर का पूर्व जूदेव शाही परिवार बीजेपी से जुड़ा रहा है, जो सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाता है. बीजेपी ने रायगढ़ से गोंड शाही परिवार के वंशज देवेंद्र प्रताप सिंह को राज्यसभा में भेजा है, जो उसके पक्ष में भी काम करेगा. रायगढ़ में 13 उम्मीदवार मैदान में हैं, जहां कुल 18 लाख 38 हजार 547 मतदाता हैं. आठ विधानसभा क्षेत्रों वाली इस लोकसभा सीट का नाम रायगढ़ जिले से लिया गया है, जो राज्य का एक औद्योगिक और खनन केंद्र है. ये लोकसभा क्षेत्र दो अन्य जिलों जशपुर और सारंगढ़-बिलाईगढ़ को भी कवर करता है.

2023 में विधानसभा चुनाव का हाल : 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने रायगढ़, कुनकुरी, पत्थलगांव और जशपुर से जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने खरसिया, धरमजयगढ़, लैलूंगा और सारंगढ़ में जीत हासिल की. 2023 के चुनाव में शाही परिवार से संबंध रखने वाले सात उम्मीदवारों को टिकट दिया गया था, जिनमें तत्कालीन उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव और दो जूदेव परिवार से थे. लेकिन सातों राजपरिवार के सदस्यों को हार का सामना करना पड़ा.

रायगढ़ लोकसभा सीट का इतिहास : 1962 में पूर्व जशपुर शाही परिवार के सदस्य विजय भूषण सिंह ने अखिल भारतीय राम राज्य परिषद के उम्मीदवार के रूप में इस सीट से जीत हासिल की थी. अब तक हुए 15 लोकसभा चुनावों में से बीजेपी ने सात बार, कांग्रेस ने छह बार जबकि जनता पार्टी और अखिल भारतीय राम राज्य परिषद ने एक-एक बार जीत हासिल की है.1999 के चुनाव में पुष्पा देवी को छत्तीसगढ़ के मौजूदा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. 2014 में भी कांग्रेस ने मेनका देवी को टिकट दिया था लेकिन बाद में उन्होंने उम्मीदवार बदल दिया.

छत्तीसगढ़ बनने के बाद बीजेपी अजेय : विष्णुदेव साय ने तीन बार 2004, 2009 और 2014 में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. 2014 में साय को केंद्रीय मंत्री बनाया गया. 1977 में रायगढ़ सीट जीतने वाले जनता पार्टी के नरहरि प्रसाद साय इस सीट से एक और सांसद थे जो केंद्र में केंद्रीय मंत्री बने. बीजेपी के दिग्गज नेता नंद कुमार साय ने 1989 और 1996 में दो बार इस सीट से जीत हासिल की. 2019 में बीजेपी ने विष्णु देव साय को टिकट नहीं दिया और गोमती साय को मैदान में उतारा, गोमती साय ने कांग्रेस के लालजीत सिंह राठिया को हराया. 2023 के चुनाव में गोमती साय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए चुनी गईं, जिसके बाद बीजेपी ने इस बार राधेश्याम राठिया को टिकट दिया है.

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