गया: जल ही जीवन है, लेकिन इस तपती गर्मी में पानी नहीं होने से लोगों की जिंदगी नर्क बनी हुई है. गया में पानी की किल्लत के कारण हाहाकार मचा हुआ है. दरअसल शहर के वार्ड नंबर 3 में स्थित शिवनगर भैंसिया गली इलाके में करीब 250 घर हैं, जहां पानी नहीं होने के कारण लोग पलायन करने को मजबूर हैं. पानी के लिए टैंकर आता है, तो टैंकर पर मारामारी हो जाती है.
पानी के लिए के हाहाकार: बता दें कि यह इलाका शहरी क्षेत्र में आता है, लेकिन जान कर आश्चर्य होगा, कि यहां न तो सप्लाई का कनेक्शन दिया गया है और ना ही सरकारी चापाकल. अब गर्मी आते ही यहां जो वैकल्पिक निजी जल स्रोत के साधन थे, वह सूख गए, जिससे इस इलाके का जल स्रोत पूरी तरह से खत्म हो चुका है. 250 घर की बस्ती वाले इस इलाके में एक भी घर ऐसा नहीं है, जहां पानी का कोई स्रोत हो.
पानी के लिए पलायन: पानी नहीं होने से लोगों के पास पलायन के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. जिन लोगों के परिवार दूसरे मोहल्ले या गांव में है. वह इस मोहल्ले को छोड़कर जा रहे हैं. वहीं जिनके पास कोई वैकल्पिक व्यव्स्था नहीं है, वह इसी तरह जिंदगी काट रहे हैं. इस संबंध में यहां की रहने वाली सरिता देवी बताती है, कि यहां पानी नहीं है. 250 घरों की बस्ती है. हजारों की आबादी है, लेकिन हमारे पूरे मोहल्ले में पानी का स्रोत अब बचा ही नहीं है.
"पहले जो निजी बोरिंग थे, वह सब सुख चुके हैं. सरकार की हर गंगा हर घर गंगाजल योजना भी अभी जमीनी स्तर पर नहीं है. पाइप तो लगे हैं, लेकिन उसमें पानी नहीं आ रहा. वहीं, पानी की समस्या को लेकर प्रशासन व निगम के अधिकारियों से मिले, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की. सप्लाई का कनेक्शन नहीं मिला तो सप्लाई वाला पानी नसीब नहीं हो पाया. हर घर गंगाजल की योजना यदि शुरू कर दी जाए तो हमारे इलाके में पानी की समस्या स्वत: समाप्त हो जाएगी."- सरिता देवी, स्थानीय
पानी नहीं होने से रोजगार पर असर: बता दें कि यह इलाका वैसा है, जहां लोग खाने-पीने के छोटे-मोटे ठेले लगाकर गुजर-बसर करते हैं. पानी की कमी से किसी का बिजनेस चौपट हो रहा तो किसी के बच्चे की स्कूल छूट रही है. शकुंतला देवी बताती है कि 'पानी की कमी से वे लोग परेशान है. बिजनेस भी चौपट हो रहा है. उनका पुत्र फोकचे का ठेला चलाता है, लेकिन पिछले 15 दिनों से ठेला नहीं निकाल रहा क्योंकि पानी नहीं है. इतनी दूर जाकर पानी लाना पड़ता है कि भार के वजह से हाथ में छाले पड़ गए हैं.'
सरकार की योजना भी हो रही बेकार: यहां निजी बोरिंग फेल हो गया. यहां तक कि लोग हर घर गंगाजल योजना की आस में थे किंतु वह भी शोभा की वस्तु बनकर रह गया. गंगा जल योजना के पाइप जल नहीं उगल रहे. अब लोगों को कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है और पानी को काफी बचत कर खर्च करना पड़ता है. यहां तक कि स्थिति यह है कि लोग इस भीषण गर्मी में रोजाना नहाने के बजाय चार दिनों पर स्नान कर रहे हैं.
"यहां जल का कोई स्रोत नहीं रह गया है. हर घर गंगाजल योजना का पानी हमारे मोहल्ले में आने लगे तो तभी हमें राहत होगी. जिला पदाधिकारी से लेकर नगर निगम आयुक्त, बुडको के अधिकारी तक से मिल चुके हैं, लेकिन हर कोई समय मांगता है, तो अधिकारी ये बताएं कि क्या हम मर जाएंगे, तो पानी उपलब्ध कराया जाएगा."- रेणु कुमारी, स्थानीय
सरकार व प्रशासन की अनदेखी: पानी की विकट स्थिति को देखते हुए लोगों ने अधिकारियों से गुहार लगाई. किंतु, सरकारी रहनुमाओं को हजारों लोगों की यह समस्या नजर नहीं आ रही है. यही वजह है, कि गुहार लगाने के बावजूद यहां वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर एक टैंकर पानी भेजा जा रहा है, जो कि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. एक टैंकर से पानी लेने के लिए लोगों में मारामारी मच जाती है. किसी को पानी मिलता है, तो किसी को नहीं मिलता.
'पानी की उपलब्धता निश्चित होगी'-जिला पदाधिकारी: इधर इस संबंध में जब जिला पदाधिकारी डॉक्टर त्यागराजन एसएम से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि 'पानी की कमी को लेकर ठोस कार्रवाई की जाएगी. पानी की उपलब्धता निश्चित रूप से कराई जाएगी. इसके लिए संबंधित विभाग या अधिकारी को निर्देशित करेंगे. पानी की कमी किसी भी इलाके में नहीं होने दी जाएगी.' बहरहाल अब देखना होगा कि आखिर यह समस्या कब तक समाप्त होती है.
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