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नदी में चुआं खोदकर प्यास बुझा रहे ग्रामीण, बिहार के इस जिले में वाटर लेवल नीचे जाने से बोरिंग, चापाकल फेल - Water Problem In Jamui

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 4, 2024, 11:07 PM IST

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Water Crisis In Jamui: बिहार में गर्मी बढ़ते ही पानी की समस्या हो गई है. जमुई में पानी के लिए लोगों को नदी खोदना पड़ रहा है. वाटर लेवल नीचे जाने से बोरिंग, चापाकल फेल हो चुका है. पढ़ें पूरी खबर.

बिहार के जमुई में जंल संकट (Etv Bharat)

जमुईः बिहार में भीषण गर्मी बढ़ते ही जलस्तर लगातार नीचे जार हा है. बोरिंग, चापाकल फेल हो चुका है. इस कारण पानी की समस्या हो गई है. दूसरी तरफ नदी, तालाब, पोखर और कुआं भी सूख चुका है. ऐसे में प्यास बुझाने के लिए लोग घंटों कड़ी मेहनत कर नदी के आसपास चुआं गढ्ढा खोदकर पानी निकाल रहे हैं.

5000 से अधिक आबादी प्रभावितः ऐसे ही बिहार के जमुई में देखने को मिली. जिले के बरनार नदी और किऊल नदी के आसपास के गांवों में पानी की समस्या है. यहां नल-जल योजना फेल हो जाने के कारण 5000 से अधिक ग्रामीण चुआं खोदकर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं. जिलेभर के दस प्रखंड अंतर्गत कमोबेश पानी की समस्या तो उत्पन्न हो गई है.

स्वास्थ्य पर बुरा असरः यह तस्वीर जमुई जिले के बरहट प्रखंड अंतर्गत मलयपुर बस्ती और गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत मौरा गांव की है. केवल दो पंचायत की बात करें तो हजारों ग्रामीण नदी में चुआं खोदकर पानी पी रहे हैं. दुषित पानी प्यास तो बुझा रही है लेकिन स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है.

चुआं खोदकर पानी निकालती है महिलाएंः मौरा गांव की महिलाएं अनिता देवी, रानी देवी, मौसम कुमारी, कुमकुम देवी, सोनी देवी, विमली देवी, रानी देवी आदि दर्जनों महिलाओं ने बताया कि हर बार ज्यादा गर्मी पड़ने पर पानी कि समस्या हो जाती है. पानी के लिए घंटों रोजाना कड़ी मेहनत कर नदी के आसपास इसी प्रकार चुआं खोदना पड़ता है.

3 से 5 फीट नदी खोदना मजबूरीः ग्रामीणों ने बताया कि जलस्तर घटने से नल-जल, चापाकल, बोरिंग फेल है. कुआं, तालाब, पोखर, नदी सब सूख गया है. गांव से निकलकर घंटों पैदल चलकर नदी किनारे पहुंचते हैं. बच्चे-बूढ़े, महिला-पुरुष सभी काफी मशक्कत के बाद 3 से 5 फीट चुआं खोदते हैं. इसके बाद पानी निकलता है. इसी पानी से प्यास बुझा रहे हैं

"गर्मी बढ़ते ही ये सिलसिला शुरू हो जाता है. पूरी गर्मी तक बदस्तूर जारी रहता है. अप्रैल माह के शुरू से ही ये सिलसिला शुरू हो गया जो अब भी जारी है. गांव से दूर पानी की तलाश में सुबह से निकलकर नदी में घंटों मशक्कत करना पड़ता है." -अनिता देवी, स्थानीय

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