पटना: लोकसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है टिकट के दावेदारों की संख्या बढ़ती जा रही है. गोपालपुर के जदयू विधायक गोपाल मंडल काफी पहले से भागलपुर लोकसभा सीट पर अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. भागलपुर सीट ऐसे तो जदयू के पास है. अजय मंडल अभी जदयू के सांसद हैं. लेकिन गोपाल मंडल भागलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए लगातार बयान दे रहे हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया है कि टिकट उनकी जेब में है.
तीन लाख वोट से जीतने का दावाः जदयू विधायक गोपाल मंडल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से भी बीजेपी के पटना कार्यालय में जाकर मुलाकात कर चुके हैं. गोपाल मंडल जिस प्रकार से बयान दे रहे हैं, उनके तेवर बगावती लग रहे हैं. पिछले दिनों नीतीश सरकार के फ्लोर टेस्ट के दौरान गोपाल मंडल ने बयान भी दिया था कि तेजस्वी यादव ने फोन किया था और ऑफर दिया था. गोपाल मंडल कह रहे हैं कि इस बार भागलपुर से हम ही चुनाव लड़ेंगे. सबको जिताते रहे हैं, लेकिन इस बार हम तीन लाख वोट से खुद जीत कर दिखाएंगे.
खगड़िया से टिकट की दावेदारीः परबत्ता के विधायक डॉ संजीव खगड़िया लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. डॉक्टर संजीव खगड़िया का लगातार दौरा कर रहे हैं. खगड़िया में इस बात का ऐलान भी किया था की लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. खगड़िया के लोग बदलाव चाहते हैं. डॉ संजीव भी नीतीश सरकार के फ्लोर टेस्ट के दौरान चर्चा में आए थे. अपनी नाराजगी की वजह भी बताई थी. डॉक्टर संजीव का कहना है कि लोकसभा का चुनाव हम लड़ेंगे. एनडीए से सीट लेने की कोशिश है. फिलहाल खगड़िया सीट लोजपा के पशुपति पारस गुट के पास है. महबूब कैसर अली सांसद हैं.
एनडीए की भी मुश्किल बढ़ाईः परबत्ता विधायक डॉक्टर संजीव खगड़िया के सांसद कैसर अली के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं. यहां तक कहा है कि कैसर अली खगड़िया को लूटने में लगे हैं. नरेंद्र मोदी के रास्ते पर चलने की बात भी डॉक्टर संजीव कहते रहे हैं. सनातन के खिलाफ जो भी बयान देता रहा है उसके खिलाफ बोलते रहे हैं. पिछले साल शिक्षा मंत्री रहते चंद्रशेखर ने जब रामचरित्र मानस को लेकर बयान दिया था तो सरकार में सहयोगी होने के बावजूद डॉक्टर संजीव ने मोर्चा खोला था. एनडीए से टिकट नहीं मिला तो क्या बगावत करेंगे इस पर फिलहाल कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.
बांका सीट पर मनोज यादव ने ठोका दावाः बेलहर के जदयू विधायक मनोज यादव भी बांका से चुनाव लड़ना चाहते हैं. फ्लोर टेस्ट के दौरान उनकी भी नाराजगी की खबर चर्चा में रही थी. बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर नाराजगी दूर होने की बात कही थी. जदयू ने पहले मनोज यादव को एमएलसी बनाया था. फिर पार्टी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव 2020 में जीते और अब लोकसभा पर नजर है. मनोज यादव का कहना है कि बांका में लगातार उनका कार्यक्रम चल रहा है. मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कह दी है क्योंकि वर्तमान सांसद गिरधारी यादव को लेकर काफी नाराजगी है. अब फैसला पार्टी को करना है बांका में 6 विधानसभा है जिसमें से तीन जदयू के पास है.
सीतामढ़ी सीट पर क्या है जिचः जदयू एमएलसी और विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर सीतामढ़ी लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. जब महागठबंधन की सरकार थी उसी समय नीतीश कुमार ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में देवेश चंद्र ठाकुर के नाम पर मोहर लगाई थी. सीतामढ़ी सीट जदयू के पास है. फिलहाल सुनील कुमार पिंटू वहां से सांसद हैं. सुनील कुमार पिंटू बीजेपी से जुड़े थे. देवेश चंद्र ठाकुर का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही उनके नाम का ऐलान किया था. इसलिए वहां से हम चुनाव लड़ेंगे. देवेश चंद्र ठाकुर चुनाव को लेकर तैयारी भी कर रहे हैं.
नीलम देवी की नजर ललन सिंह की सीट परः आरजेडी छोड़ एनडीए में पाला बदलने वाली बाहुबली अनन्त सिंह की पत्नी नीलम देवी भी लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहती है. नीलम देवी मुंगेर से चुनाव लड़ना चाहती है. पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थी लेकिन ललन सिंह ने उन्हें चुनाव में हरा दिया था. बाद में राजद के टिकट पर मोकामा से विधायक बनीं. फ्लोर टेस्ट के समय नीलम देवी सत्ता पक्ष के पाले में आ गई थी. अब मुंगेर पर दावेदारी कर रही हैं. असल में मुंगेर सीट जदयू के पास है. जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह यहां से अपनी तैयारी कर रहे हैं. नीलम देवी के दावेदारी से जदयू और एनडीए की मुश्किल बढ़ गई.
सिवान सीट पर भी जद्दोजहदः पूर्व विधायक रंजू गीता भी सीतामढ़ी से अपनी दावेदारी ठोक रही हैं. देवेश चंद्र ठाकुर के नाम की घोषणा से रंजू गीता नाराज भी हैं. ऐसी पार्टी की ओर से उनकी नाराजगी दूर करने के लिए महिला प्रकोष्ठ का प्रभारी बनाया गया है. रंजू गीता इस क्षेत्र के लिए लगातार काम करते रहे हैं. सिवान सीट पर विधायकों की नजर है, क्योंकि जदयू की कविता सिंह अब यहां से सांसद हैं. नीतीश कुमार इस सीट पर नया चेहरा देने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में कुछ विधायकों की नजर इस पर है. फिलहाल खुलकर बोल नहीं रहे हैं.
"हमारे नेता नीतीश कुमार पर सबको भरोसा और विश्वास है. नीतीश कुमार जो भी फैसला लेंगे कोई भी उसे इधर-उधर नहीं होने वाला है. जो फैसला वो करते हैं सभी विश्वास करते हैं "- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जनता दल यूनाईटेड
बागी हुए तो बदल सकता है समीकरणः 2019 में जदयू ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था. 16 सीट पर जीत मिली थी. किशनगंज सीट पर पार्टी को हार मिली थी.16 सीटिंग सीट में से आधा दर्जन लोकसभा सीटों पर विधायक ताल ठोकने में लगे हैं. एनडीए में नीतीश कुमार के वापस लौटने के बाद इस बार लोजपा के दोनों गुट मिलकर 6 दल हैं. ऐसे में कितनी सीट जदयू को मिलती है और कितनी सीट की अदला-बदली करनी पड़ती है यह भी एक बड़ी चुनौती है. यदि टिकट नहीं मिलता है तो विधायक कहां तक बागी तेवर अपनाते हैं, यह बिहार की राजनीति की आगे की दशा और दिशा तय करेगी.
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