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सत्ता के बावजूद सपा-बसपा के लिए वाराणसी सीट रही दूर की कौड़ी, भाजपा ने बनाया रिकॉर्ड, जानिए कैसे ? - lok sabha election 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 28, 2024, 7:49 AM IST

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लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. पहले चरण के लिए प्रत्याशियों के नामांकन भी हो चुके हैं. इसी कड़ी में सूबे के कई हॉट सीटों को लेकर सियासी चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है. इन्हीं में से एक वाराणसी की सीट भी है.

LOK SABHA ELECTION 2024

वाराणसी : वाराणसी लोकसभा सीट देश की हॉट लोकसभा सीटों में से एक है. कहा जाता है कि यह सीट जीतने से पूर्वांचल की जीत भी राजनीतिक दल के खाते में आ जाती है. ऐसे में अगर आंकड़े देखें तो यूपी में सपा और बसपा की सरकार होने के बाद भी आज तक इन दोनों पार्टियों के खाते में वाराणसी की सीट नहीं आई है. दूसरी ओर बीजेपी ने इस सीट पर लगातार अलग-अलग रिकॉर्ड कायम किया है.

लोकसभा चुनाव-2024 की तारीखों का ऐलान हो गया है. इस चुनाव को लेकर लगभग सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदावारों की आधे से अधिक सीटों पर सूची जारी कर दी है. इस बीच देश के सबसे हॉट लोकसभा सीट में से एक वाराणसी सीट पर फैसला हो चुका है. समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में ये सीट छोड़ दी तो वहीं कांग्रेस ने अजय राय को अभी इस सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला लिया है. इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी से चुनाव लड़ने के लिए भेज रही है.

सात बार कांग्रेस और सात बार भाजपा जीती : सबसे पहले बात करते हैं साल 1952 से लेकर 2019 तक के आम चुनावों में किसे कितनी बार काशी से जीत मिली है. साल 1952-1957 और 1962 में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह ने जीत की हैट्रिक लगाई थी. इसके बाद 1967 में सीपीएम के एसएन सिंह, 1971 में कांग्रेस के राजाराम शास्त्री, 1977 में भारतीय लोकदल के चंद्रशेखर, 1980 में कांग्रेस के कमलापति त्रिपाठी, 1984 में कांग्रेस के श्यामलाल यादव, 1989 में जनता दल के अनिल शास्त्री, 1991 में भाजपा के श्रीशचंद दीक्षित, 1996-1998 और 1999 में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल, 2004 में कांग्रेस के डॉ. राजेश मिश्र, 2009 में भाजपा के डॉ. मुरली मनोहर जोशी, 2014 और 2019 में भाजपा के नरेंद्र मोदी ने इस सीट से जीत दर्ज की है.

LOK SABHA ELECTION 2024
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न ही बसपा और न सपा को मिली जीत : राजनीतिक विश्लेषक प्रो. आरपी पांडे कहते हैं कि अब तक के आंकड़ों को देखें तो इसमें जो चीज एकदम साफ नजर आती है. वह है साल 1952 से लेकर साल 2019 के आम चुनाव तक इन दोनों पार्टियों का एक भी प्रत्याशी काशी सीट से नहीं जीत सका है. सत्ता में रहने के बाद भी ये पार्टियां अपने उम्मीदवारों को जीत दिलाने में नाकाम रही हैं. समाजवादी पार्टी ने तीन बार इस प्रदेश पर शासन किया है. वहीं मायावती की नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी ने चार बार सत्ता हासिल की है. मगर ये दोनों ही पार्टियां वाराणसी की कुर्सी हासिल नहीं कर सकी हैं.

जनता का मिजाज 'संस्कृति और धर्म' : राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि उसके पीछे एक पक्ष ये भी है कि बनारस देश की सांस्कृतिक राजधानी है. यहां की जनता का मिजाज संस्कृति और धर्म से अधिक जुड़ता है. सपा और बसपा इन दोनों के विरोध में रहती है. बसपा मंदिर जाने के लिए रोकती है. सपा की तरफ से अभी तक राम मंदिर में कोई गया नहीं. ये हमेशा से इस तरह की इनकी जो नीतियां रही हैं, उसको जनता अच्छा नहीं मानती है. इसलिए सपा और बसपा के कैडर के वोट तो मिलते हैं. मगर आम जनता के वोट इन्हें नहीं मिलते हैं. इसलिए उनके प्रत्याशियों का यहां से जीतना संभव नहीं है.

तीसरी बार ताल ठोंकने जा रहे पीएम : राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि इस बार भी इन आंकड़ों के बरकरार रहने की उम्मीद है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी ने गठबंधन में कांग्रेस के हिस्से ये सीट डाल दी है. ऐसे में सपा के उम्मीदवार के यहां होने का सवाल ही नहीं उठता है.

LOK SABHA ELECTION 2024
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सात बार जीत चुकी है कांग्रेस : बीजेपी के रिकार्ड की बात करें तो वाराणसी सीट से कांग्रेस ने सात बात जीत दर्ज की है. वहीं भारतीय जनता पार्टी भी सात बार आम चुनाव जीती है. ऐसे में अगर उनको जीत मिलती है तो वे इस जीत के साथ आठवीं बार भाजपा के जीतने का रिकॉर्ड कायम करेंगे.

पीएम मोदी ने कर दी थी जीत की शुरुआत : भारतीय जनता पार्टी के नाम वाराणसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सबसे कम और सबसे अधिक मतों से जीतने का रिकॉर्ड है. साल 2009 से साल 2019 तक हुए तीन आम चुनावों में वाराणसी लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी चौथे और तीसरे स्थान पर रही है. साल 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार यहां से चुनाव लड़ा था. उस समय उन्होंने दूसरे नंबर की प्रत्याशी सपा की शालिनी यादव को 4,79,505 मतों से पीछे कर दिया था.

इसके साथ ही वाराणसी की सीट के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज हुआ था कि साल 2014 के चुनाव में इस सीट से 42 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. ये देश के किसी भी लोकसभा सीट से खड़े होने वाले प्रत्याशियों की सबसे बड़ी संख्या थी.

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