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खजुराहो डांस फेस्टिवल का समापन, 7 दिन तक कलाकारों ने कलारसिकों को किया मंत्रमुग्ध

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 27, 2024, 12:57 PM IST

Khajuraho Dance Festival : विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो में 50वां खजुराहो डांस फेस्टिवल का समापन सोमवार रात को हो गया. 7 दिन चले समारोह में संगीत के सातों सुर और कलाओं का सतरंगी सिलसिला चला.

Khajuraho Dance Festival
खजुराहो डांस फेस्टिवल में राजस्थान का चरी नृत्य

खजुराहो डांस फेस्टिवल में राजस्थान का चरी नृत्य

खजुराहो (छतरपुर)। खजुराहो डांस फेस्टिवल के समापन अवसर पर उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के निदेशक जयंत माधव भिसे ने सभी कलाकारों का आभार जताते हुए कहा कि यह एक सांस्कृतिक अनुष्ठान या यज्ञ है, इसमें आप सभी ने अपने-अपने स्तर पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जो आहुति दी, उसके लिए साभार और धन्यवाद जैसे शब्द छोटे हैं. समारोह के अंतिम दिन पद्मविभूषण डॉ.सोनल मानसिंह से लेकर अनुराधा सिंह तक सभी ने ऐसे रंग भरे कि बसंत मुस्कुरा उठा. अंतिम दिन की शुरुआत विख्यात भरतनाट्यम और ओडिसी नृत्यांगना डॉ.सोनल मानसिंह और उनके समूह की नृत्य प्रस्तुति से हुआ.

Khajuraho Dance Festival
खजुराहो डांस फेस्टिवल, कलाओं का सतरंगी सिलसिला

सोनल मानसिंह की नृत्य प्रस्तुतियों ने समां बांधा

सोनल मानसिंह भारतीय संस्कृति के प्रति जो श्रद्धा और प्रेम रखती हैं, वह उनकी नृत्य प्रस्तुतियों में दिखा. उन्होंने नृत्यनाटिका मीरा की रसमय प्रस्तुति दी. भरतनाट्यम और ओडिसी दोनों शैलियों के सम्मिश्रण से तैयार इस प्रस्तुति में मीरा का चरित्र और कृष्ण के प्रति उनका प्रेम सरोवर में खिले हुए कमल की तरह दिखा. अगली प्रस्तुति भरतनाट्यम की थी. बेंगलुरु से आईं डॉ. राजश्री वारियार ने भरतनाट्यम की शानदार प्रस्तुति दी. उन्होंने मंगलाचरण शारदा अलारिप्पु की प्रस्तुति दी. राजश्री ने मां शारदा की स्तुति की. उनकी अगली प्रस्तुति भगवान नटराज की स्तुति रही. राग दुर्गा और अनादि ताल में संगीतबद्ध इस प्रस्तुति में राजश्री ने शिव के तांडव स्वरूप को साकार करने की कोशिश की. इन प्रस्तुतियों में उनके साथ गायन में डॉ. श्रीदेव राजगोपाल, नतवांगम पर एल वी हेमंत लक्ष्मण, मृदंगम पर चंद्रकुमार और वीणा पर प्रो.वी सुंदरराजन ने साथ दिया.

भोपाल की डॉ. यास्मीन सिंह ने भी मन मोहा

तीसरी प्रस्तुति में भोपाल की डॉ. यास्मीन सिंह का मनोहारी कथक नृत्य हुआ. उन्होंने सूर्य वंदना से अपने नृत्य का आरंभ किया. आदित्य ह्रदय स्त्रोत से लिए गए श्लोकों को राग बिभास के सुरों में पिरोकर और त्रिताल के पैमाने में बांधकर उन्होंने भगवान सूर्य की आराधना में नृत्य भाव पेश किए. उन्होंने इस प्रस्तुति में राम की रावण पर विजय को भी भाव नृत्य से दिखाया. क्योंकि राम भी सूर्यवंशी थे. दूसरी प्रस्तुति सरगम की रही. नृत्य का समापन उन्होंने ठुमरी चंद्रवदनी मृगलोचनी पर एक नायिका के सौंदर्य वर्णन से किया. इस प्रस्तुति की नृत्य रचना स्वयं यास्मीन की थी. उनके साथ नृत्य में सुब्रतो पंडित, श्रीयंका माली, संगीता दस्तीकार, विश्वजीत चक्रवर्ती, प्रसनजीत, अभिषिकता मुखोपाध्याय, संदीप सरकार, नील जैनिफर ने सहयोग किया.गायन में जयवर्धन दाधीच, पखावज पर आशीष गंगानी, सारंगी पर आमिर खान, सितार पर किशन कथक, तबले पर शाहनवाज, और पढंत पर एलिशा दीप गर्ग ने साथ दिया.

Khajuraho Dance Festival
सोनल मानसिंह की नृत्य प्रस्तुतियों ने मंत्रमुग्ध किया

मैसूर की डॉ.कृपा फड़के ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी

मैसूर से आई डॉ.कृपा फड़के ने भी अपने साथियों के साथ भरतनाट्यम की प्रस्तुति देकर समारोह में रंग भरे. उन्होंने सम्पूर्ण रामायण की प्रस्तुति दी. इस प्रस्तुति में उन्होंने भगवान राम के गुणों सहित रामायण के प्रमुख घटनक्रमों को अपने नृत्य भावों में समाहित करके जब सामने रखा तो दर्शक मुग्ध हो गए. इस प्रस्तुति में कृपा फड़के के साथ पूजा सुगम, समीक्षा मनुकुमार, श्रीप्रिया, स्पूर्ति ने साथ दिया. जबकि, गायन में उडुपी श्रीनाथ, नट वांगम पर रूपश्री मधुसूदन, मृदंगम पर नागई और पी श्रीराम और बांसुरी पर ए.पी. कृष्णा प्रसाद ने साथ दिया.

भोपाल की नृत्यांगना अनुराधा सिंह का कथक नृत्य

समारोह का समापन भोपाल की जानी-मानी नृत्यांगना वी.अनुराधा सिंह के कथक नृत्य से हुआ. अनुराधा ने शिव वंदना से अपने नृत्य का आगाज किया. दूसरी प्रस्तुति में उन्होंने 5 लय में घुंघरू का चलन प्रस्तुत किया. अनुराधा सिंह ने राग हंसध्वनि में तराने पर नयनाभिराम प्रस्तुति दी. अगली प्रस्तुति में अनुराधा सिंह ने रायगढ़ घराने के क्लिष्ट बोल एवं परन प्रस्तुत की. नृत्य का समापन उन्होंने "मोरी चुनरिया रंग दे" से किया. जिसमें घुंघरू के साथ होली के इंद्रधनुषी दृश्यों को विभिन्न तिहाइयो से चंचल चपल भावों से उन्होंने जीवंतता प्रदान की.

Khajuraho Dance Festival
नृत्यनाटिका मीरा की रसमय प्रस्तुति

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लोकरंजन के अंतिम दिन राजस्थान का नृत्य

वहीं, लोकरंजन के अंतिम दिन राजस्थान का मांगणियार गायन, घूमर, चरी, भवई एवं कालबेलिया एवं आंध्रप्रदेश का गुसाड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी. समारोह की शुरुआत सुरमनाथ कालबेलिया एवं साथी, राजस्थान द्वारा मांगणियार गायन से की गई. उन्होंने केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश..., गोरबंद नखरालो..., वह मन आवे हिचकी रे..., निंबुडा निंबुडा निंबुडा... जैसे कई गीतों की प्रस्तुति दी. अगले क्रम में राजस्थान के चरी नृत्य को प्रस्तुत किया गया. इस नृत्य में बांकिया, ढोल एवं थाली का प्रयोग किया जाता है. महिलाएं अपने सिर पर चरियां रखकर नृत्य करती हैं.

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