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आखिर क्या है मुंडन संस्कार? क्यों कराया जाता है बच्चों का चूड़ाकर्म - Importance of Mundan Sanskar

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 16, 2024, 4:58 AM IST

आखिर क्यों बच्चों का मुंडन कराया जाता है? ये क्यों जरूरी है? इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने ज्योतिषशास्त्र के जानकार पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी से बातचीत की.

Importance of Mundan Sanskar
आखिर क्या है मुंडन संस्कार (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

क्यों कराया जाता है बच्चों का चूड़ाकर्म (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

रायपुर: किसी भी इंसान के जीवन में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार किए जाते हैं. इन 16 संस्कारों में मुंडन संस्कार का क्रम आठवें नंबर पर आता है. हिंदू धर्म में प्रचलित मान्यता के अनुसार 84 लाख योनियों के बाद मनुष्य योनि प्राप्त होती है. ऐसे में पिछले सभी जन्मों के ऋण या पाप उतारने के लिए शिशु के बाल काटे जाते हैं. शिशु के जन्म लेने के 1 साल के अंत में या तीसरे, पांचवें या फिर सातवें साल में शुभ मुहूर्त देखकर मुंडन संस्कार कराए जाने की परंपरा है. पंचांग के अनुसार आषाढ़ माघ और फाल्गुन मास में बच्चों का मुंडन संस्कार कराना चाहिए. मुंडन संस्कार के लिए द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी तिथि को शुभ मानी जाती है.

इसलिए जरूरी है मुंडन: इस बारे में ईटीवी भारत ने ज्योतिष पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "शिशु के मस्तिष्क के विकास और सुरक्षा के साथ ही उसके पोषण के लिए मुंडन संस्कार जरूरी है. ऐसा माना जाता है कि 84 लाख योनियों में भ्रमण करने के बाद शिशु में बहुत तरह के पासविक संस्कार रह सकते हैं. सभी तरह के पासविक संस्कार बाल से देखे और समझे जाते हैं. ऐसे में बच्चों के पैदा होने के बाद जल्दी से जल्दी उनका मुंडन संस्कार करा देना चाहिए. शिशु का पहले साल, तीसरा साल, पांचवा साल, सातवां साल इन सालों में मुंडन संस्कार अनिवार्य रूप से हो जाना चाहिए. ऐसा इसलिए भी जरूरी है ताकि शिशु आगे चलकर मानवतावादी हो, उसमें मनुष्यता हो और अच्छे संस्कार हो. जो शिशु जन्म लेता है. उसमें अनेक जन्मों के पूर्वाग्रह होते हैं. एक मंत्र होता है, जिसका हिंदी अनुवाद बालक मैं तेरे लिए, तेरे अन्न ग्रहण करने के लिए, तुझे सामर्थ्यवान बनाने के लिए, तुझे ईश्वरीय बनाने के लिए, सुंदर संतान प्राप्त करने के लिए, बल और पराक्रम प्राप्त करने के लिए यह चूड़ाकर्म यानी कि मुंडन कराता हूं."

गरुड़ पुराण में लिखा है कि, "अनेक प्रकार से पाप करता हुआ जीव जब पाप से मुक्त हो जाता है. वहीं, नर्क से आए हुए जीव ऐसे माता-पिता के घर में जन्म लेता है जो बहुत ज्यादा संयमी नहीं होते. यह सदा पाप को भोगते हुआ किसी बलवान शत्रु के द्वारा मारा जाता है. पूर्व जन्म के जो पाप हैं, वह जीव के साथ संचित कर्म की तरह चलते हैं. भाग्यशाली पुण्य आत्मा जो जीव हैं, वह पवित्र और अच्छे घर में जन्म लेता है. इसके बाद वह सभी प्रकार के सुखों को भोगता हुआ आत्मा का विचार करते हुए मोक्ष को प्राप्त करता है. "-पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी, ज्योतिष

पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी की मानें तो सनातन धर्म में अन्नप्राशन के बाद मुंडन संस्कार आठवें नंबर पर आता है. मुंडन संस्कार के बाद बच्चा दीर्घायु होता है. साथ ही गर्भावस्था के बाद उसकी अशुद्धियां दूर हो जाती है. ऐसा इसलिए भी किया जाता है क्योंकि मुंडन बच्चे के स्वास्थ्य के नजरिए से अच्छा होता है.

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