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रिश्तों की मिठास बढ़ाती है होली में शक्कर की गांठी, छत्तीसगढ़ी बताशों की माला का हड़बा कनेक्शन - batashe ki mala on Holi

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 23, 2024, 9:23 PM IST

Updated : Mar 23, 2024, 11:08 PM IST

होली के त्यौहार में छत्तीसगढ़ के मिठाई दुकानों में बताशों की माला की लड़ियां बिकती है. लोग इस माले को पहले भगवान पर चढ़ाते हैं फिर इसी बताशे से मेहमानों का मुंह मीठा कराते हैं. कहते हैं कि इससे रिश्तों में मिठास बरकरार रहती है.

Holi in Chhattisgarh sugar gathiyan
रंगोत्सव पर बताशे की माला का महत्व

रिश्तों की मिठास बढ़ाती है होली में शक्कर की गांठी

बिलासपुर: छत्तीसगढ़िया होली बेहद खास होती है. रंग के इस पर्व में दिन मिठाई का खास महत्व होता है. बात अगर छत्तीसगढ़ की करें तो यहां पहले के समय में लोग बताशों से मुंह मीठा किया करते थे. छत्तीसगढ़ के कई जगहों पर आज भी ये परम्परा कायम है. कई जगहों पर लोग आज भी शौकिया तौर पर बताशे खाकर होली की शुरुआत करते हैं. इन दिनों छत्तीसगढ़ में मिठाई दुकानों में रंग बिरंगी बताशों की माला सजी हुई है. इन बताशों की माला को छत्तीसगढ़ के लोग हड़बा भी कहते हैं. होली में इन बताशों का काफी महत्व होता है.

रंगों के साथ सजा मिठाइयों का बाजार: दरअसल, छत्तीसगढ़ का बाजार इन दिनों होली के रंग में रंगा हुआ है. रंग, गुलाल, पिचकारी के साथ ही छत्तीसगढ़ के बाजार में पारंपरिक मिठाइयां भी बिक रही है. बाजार में शक्कर पारे से बने हार का महत्व सबसे ज्यादा होता है. इसे ग्रामीण गांठी के नाम से जानते है. इस माला को पूजा के दौरान भगवान पर चढ़ाया जाता है. कई लोग होली के दिन घर आने वाले मेहमानों को गुलाल लगाकर शक्कर पारे का हार पहनाते हैं. इसे सम्मान स्वरूप भेंट भी किया जाता है. इसके साथ ही होलिका दहन के पहले होने वाली पूजा में गांठी की मिठाई अर्पित की जाती है. ग्रामीण बाजार में मिठाइयों के साथ ही गुजिया, मीठी सलोनी और मिक्चर की खरीदी कर रहे हैं.

मेहमानों को भेंट किया जाता है बताशों का हार: छत्तीसगढ़ में 70 साल पहले लोग बताशा, शक्कर पारा की बनी गांठी और मीठी सलोनी को मिठाई के तौर पर खाते थे. कई त्यौहारों में शक्कर पारे की बनी बताशे और गांठी को पूजा में शामिल किया जाता था. देवताओं को अर्पण के साथ ही इसे मेहमानों को भेंट किया जाता था. इन दिनों बिलासपुर के शनिचरी बाजार में बताशों की माला की दुकानें सज चुकी है. यहां छत्तीसगढ़ की पारंपरिक मिठाईयों के साथ ही शक्करपारे से बनी गांठी को हार के रूप में पहना जाता है. इसकी माला पहनकर बड़ों का सम्मान किया जाता है और गुलाल का तिलक लगाकर उन्हें शक्कर पारा से बनी मिठाई भेंट की जाती है.

छत्तीसगढ़ में सालों पहले मिठाई के रूप में शक्कर पारा से बने बताशे और गांठी को मिठाई के रूप में लोग खाते थे. आधुनिकता और बाहर के लोगों के आने के बाद यहां दूध से बनी मिठाइयों का चलन आया, लेकिन अभी भी ग्रामीण इलाकों में इसी को मिठाई के रूप में दिया जाता है. होली के पर्व में इसका अपना अलग ही महत्व है. होली में जब कोई आपस में मिलते है तो एक-दूसरे को गुलाल का तिलक लगाकर गांठी की माला पहनाई जाती है. होलिका दहन के पहले होने वाली पूजा में बड़े-बड़े बताशे को पूजा में रखा जाता है. बाजार में इसकी काफी डिमांड रहती है. - किशनलाल गुप्ता, दुकान संचालक

बाजारों में बताशों की माला की डिमांड: इन दिनों बिलासपुर के शनिचरी बाजार में बताशों की माला खरीदने वाले लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है. होली के दो दिन पहले बाजार पूरी तरह से ग्राहकों से भरा नजर आता है. दरअसल, बिलासपुर के शनिचरी बाजार में गांठी और शक्करपारा से बनी बताशे की मिठाई बनाई जाती है. इन मिठाइयों में प्राकृतिक रंगों के साथ कई अलग-अलग आकर्षक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. माला बनाने के लिए धागे में इसे ढाला जाता है और हवा में सुखाया जाता है.दुकानदारों की मानें तो यहां होली के समय में बताशों से बनी माला का खास महत्व होता है. कहते हैं इसे एक दूसरे को खिलाने से रिश्तों में मिठास बरकरार रहती है.

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Last Updated : Mar 23, 2024, 11:08 PM IST
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