अजमेर. नाक और आंख में पानी आना और सिर दर्द की समस्या है, तो इसे हल्के में ना लें. यह साइनस (नजला) भी हो सकता है. आयुर्वेद में नजला का कारगर उपचार है. लेकिन आप यदि आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे अपनाएंगे, तो भी आप नजले से राहत पा सकते हैं. जानिए अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीएल मिश्रा से नजले के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे.
शरीर में होने वाले रोग में साइनस (नजला) भी एक है. लंबे समय तक जुखाम रहने के कारण और उपचार में लापरवाही बरतने से नासा (नाक) में स्थित कफ बिगड़कर संक्रमित हो जाता है. डॉ मिश्रा बताते हैं कि हमारी आंखों के ऊपर भौहों के बीच के स्थान को अस्थि गव्हर कहते हैं. यह खोखला स्थान होता है. जुकाम बिगड़ने पर इस खोखले स्थान पर कफ जम जाता है. इस कारण दाएं या बाएं गाल की हड्डी में रोगी को दर्द रहता है.
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उन्होंने बताया कि जुकाम के दौरान बार-बार नाक से सांस ऊपर खींचना भी नजले का कारण है. इस वजह से नाक की अंदरूनी झिल्लियों में सूजन कर देता है. उन्होंने बताया कि यह संक्रमित बीमारी नहीं है, लेकिन रोगी के ज्यादा नजदीक रहने वाले व्यक्ति को सजग रहने की आवश्यकता है. नजला तकलीफदायक है, लेकिन जानलेवा नहीं है. नजले के लगातार रहने से रोगी को दमे की भी शिकायत हो सकती है.
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नजले के लक्षण: डॉ बीएल मिश्रा बताते हैं कि नजला होने पर बार-बार नाक टपकना, सिरदर्द रहना, आंखों से पानी बहना, नासा के छिद्रों में सूजन आना, श्वास लेने में तकलीफ होना, नींद में खर्राटे लेना, आवाज का बदल जाना, एकाग्रता की कमी आना, नींद बाधित होने जैसे लक्षण नजर आते हैं. उन्होंने बताया कि कफ सड़कर श्वास तंत्र को संक्रमित कर देता है. इस कारण दमा हो सकता है.
नजले के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खें:
डॉ मिश्रा बताते हैं कि नजले का आयुर्वेदिक औषधियों से उपचार किया जाता है. लेकिन घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे भी नजले में राहत देने के लिए कारगर हैं.
- प्रतिदिन सुबह अनुलोम-विलोम योग करना.
- 1 लीटर गर्म पानी में एक चुटकी नमक या फिटकरी डालकर नेती क्रिया करना. इसके तहत नाक के एक छिद्र में रामझारी बर्तन से पानी डाला जाता है और बाहर आता है. ऐसा करने से नजले में काफी राहत मिलती है.
- जीरे को पीस कर पतले सूती कपड़े में बांधकर नाक से श्वास खेचना भी फायदेमंद है.
- गर्म पानी में सफेदे (ईयूकल्पटस) और पुदीने की पत्तियां काटकर या पिपरमेंट में डालकर भी सूंघने से भी लाभ मिलता है.
- कायफल को पीसकर इसके पाउडर को सूंघने से तीव्र छीकें आती हैं. छींक के साथ जमा सड़ा बलगम बाहर आ जाता है. इससे रोगी को काफी फायदा मिलता है.
- लोंग, सौंठ, तुलसी, काली मिर्च, छोटी पीपल, या पीपला मूल, हल्दी कूटकर चाय की तरह उबालें और इस गाढ़े में थोड़ा सा गुड़ मिलाकर पीने से भी काफी लाभ मिलता है.
- बिंदु तेल या अणु तेल शुभ है और शाम को दो-दो बूंद नाक में डालें.
- गाय का देसी घी या बादाम का तेल भी नास्य (नाक) में डालने से भी लाभ मिलता है.
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इन बातों का रखें ध्यान: साइनस (नजला) के रोगी को ठंडा पेय और खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचना चाहिए. एयर कंडीशनर और कूलर की सीधी हवा में नहीं बैठना चाहिए. ठंडे गर्म वातावरण का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. जुकाम लंबे समय तक रहता है, तो चिकित्सक के परामर्श से उपचार लें.