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सर्दी जुकाम के कारण कान में होने वाले दर्द की अनदेखी पड़ सकती है भारी

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Published : Dec 24, 2021, 9:13 AM IST

सर्दियों के मौसम में नाक बहना तथा सर्दी जुकाम होना आम बात है.  लेकिन कई बार हल्का-फुल्का सा जुकाम भी ध्यान ना देने पर कान में संक्रमण का कारण बन सकता है. इसलिए बहुत जरूरी है कि यदि सर्दी जुकाम ठीक होने में ज्यादा समय ले रहा हो तथा उसके चलते सुनने में समस्या हो रही हो या कान में दर्द महसूस हो रहा हो, तो चिकित्सक से परामर्श लिया जाए.

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कान में होने वाला दर्द

यह तो सभी जानते हैं कि सर्दियों का मौसम बीमारियों का मौसम कहलाता है. इस मौसम में सर्दी जुखाम होना बहुत ही आम बात होती है. लेकिन कई बार हल्की फुल्की सर्दी या जुकाम का इलाज ना करना या उसे अनदेखा करना भारी पड़ सकता है क्योंकि इससे नाक और गले के अलावा कान में भी गंभीर संक्रमण या समस्या होने की आशंका बढ़ सकती है.

चिकित्सकों का मानना है कि सर्दियों के मौसम में नाक बहने या सर्दी जुखाम के अन्य लक्षण नजर आने के साथ ही यदि कान में दर्द हो या उसमें सीटी जैसी आवाज आने लगे तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना बहुत जरूरी होता है.

इंदौर के नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संजीव शाह बताते हैं कि सर्दियों के मौसम में हल्के सर्दी या जुखाम को लेकर लापरवाही बरतने से कान में संक्रमण होने तथा फैलने की आशंका बढ़ जाती है. जिसके कारण कान में तीव्र दर्द, भारीपन महसूस होना, सुनने में समस्या होना, कान में सीटी या घंटी जैसी आवाज आना, चक्कर आना तथा मवाद आने जैसी कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. डॉक्टर संजीव बताते हैं कि वैसे तो यह समस्या बड़ों में भी काफी आम है, लेकिन बच्चों में इसका प्रभाव ज्यादा नजर आ सकता है क्योंकि आमतौर पर खेलने कूदने के चलते वे ना तो सर्दी जुखाम के प्रारंभिक लक्षणों को समझ तथा बता पाते हैं, और समस्या होने के बाद ज्यादा ध्यान भी नहीं रख पाते हैं.

क्यों बढ़ती है समस्या

डॉक्टर संजीव बताते हैं कि सामान्य सर्दी या जुखाम यदि गंभीर रूप लेने लगे तो कई बार मरीज को सांस लेने में तकलीफ तथा फेफड़ों संबंधी समस्या भी होने लगती है. वैसे भी सर्दियों के मौसम में ऐसे मरीजों में, जिन्हें पहले से अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी श्वास संबंधी समस्याएं हैं, रोग की गंभीरता बढ़ने की आशंका रहती है. इसके अलावा जो लोग ज्यादा प्रदूषण वाले इलाकों में रहते हैं उन्हे भी सर्दी जुखाम के अलावा श्वास संबंधी तथा उनसे जुड़े अन्य प्रकार के संक्रमण ज्यादा प्रभावित करते हैं.

वह बताते हैं कि यदि सामान्य तौर पर होने वाला सर्दी जुकाम ज्यादा दिन तक रहें तो नाक के पिछले भाग से कान तक आने वाली युस्टेकीयन ट्यूब प्रभावित होने लगती है, जिसके चलते कान में संक्रमण या सूजन होने का खतरा बढ़ जाता है. जो ध्यान ना देने पर गंभीर समस्या का रूप भी धारण कर सकता है.

कैसे करें देखभाल

डॉक्टर संजीव शाह बताते हैं कि इलाज से बेहतर बचाव होता है, इसलिए सर्दियों का मौसम शुरू होते ही अपने आहार तथा गर्म कपड़ों की मदद से शरीर को ठंड से बचाए रखने का प्रयास करना चाहिए. विशेषकर सर्द हवाओं के चलने पर कान तथा सिर को ढक कर रखना चाहिए. इसके बावजूद यदि सर्दी का असर जुखाम या किसी अन्य तरीके से शरीर पर नजर आने लगे तो शुरुआत में ही समस्या का इलाज करवा लेना बेहतर होता है.

वह बताते हैं कि आमतौर पर लोग सर्दी खांसी या जुखाम महसूस होने पर गर्म पानी का ज्यादा उपयोग तथा काढ़े या अन्य घरेलू नुस्खों को अपनाने लगते हैं, ऐसा करना गलत नहीं है लेकिन इलाज के लिए पूरी तरह इन पर आश्रित हो जाना भी सही नहीं है. दरअसल हमारे नाक,कान तथा गले से जुड़ी अधिकांश नसें तथा कोशिकाएं एक दूसरे से सम्बद्ध होती हैं. ऐसे में किसी एक अंग में संक्रमण या रोग दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकता है. इसलिए यदि ज्यादा लंबे समय तक नाक से पानी बहना बंद ना हो या खांसी व जुखाम बहुत ज्यादा होने लगे तो कान में संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के शुरुआती दौर में ही चिकित्सक से परामर्श बहुत जरूरी हो जाता है.

क्या ना करें

डॉ संजीव बताते हैं कि कान में दर्द होने पर कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी होता है . जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • ज्यादा सर्दी या जुखाम होने के चलते यदि कान में दर्द हो रहा हो तो दर्द कम करने के लिए बिना चिकित्सीय सलाह कान में किसी भी प्रकार की ड्राप ना डालें.
  • कई बार संक्रमण के दौरान ऐसा लगता है कि कान बंद है या कान में कुछ भरा हुआ है. ऐसा महसूस होने पर ईयर बड़ या किसी और माध्यम से कान की स्वयं सफाई करने का प्रयास ना करें.
  • कान में दर्द कम करने के लिए उसमें गर्म तेल बिल्कुल न डालें . ऐसा करने से संक्रमण के ज्यादा बढ़ने की आशंका रहती है.
  • नाक बंद होने, कफ होने या जुखाम के हद से ज्यादा होने पर नाक से कफ को बाहर निकालने के लिए जोर से ना सिनके. ऐसा करने से न सिर्फ नाक की अंदरूनी सतह क्षतिग्रस्त हो सकती है बल्कि कान की नसों पर भी जोर पड़ता है तथा कई बार कान बंद हो जाते हैं.

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