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हिमाचल में बढ़ा ग्रीन कवर एरिया, क्लाइमेट चेंज बड़ी चुनौती, राज्यपाल ने दिया हरा सोना बचाने का संदेश - Himachal Forest

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 16, 2024, 11:02 AM IST

Green Gold of Himachal: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल कहा कि वनों के बिना धरती पर मनुष्य का जीवन संभव नहीं है. वन सिर्फ हवा और पानी का ही जरिया नहीं, ये हमारी रोजाना की जरूरतों का भी हिस्सा हैं. हिमाचल प्रदेश में का ग्रीन कवर एरिया भी बढ़ा है. देवभूमि के जंगलों में पेड़ों की सैकड़ों विभिन्न प्रजातियां मौजूद हैं.

GOVERNOR SHIV PRATAP SHUKLA MESSAGE TO SAVE HIMACHAL Forest
राज्यपाल ने हिमाचल में जंगलों को बचाने का दिया संदेश (File Photo)

शिमला: भारतीय वन सेवा के पहले बैच के 64 परिवीक्षार्थियों ने शिमला में अपने विषयगत दौरे के तहत बुधवार को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से भेंट की. इस अवसर पर राज्यपाल ने अधिकारियों के साथ संवाद के दौरान कहा कि प्रकृति ने हिमाचल को अपार प्राकृतिक सौन्दर्य से नवाजा है. उन्होंने कहा कि वनों के बिना धरती पर मनुष्य का जीवन संभव नहीं है. वन सिर्फ हवा और पानी का ही जरिया नहीं, ये हमारी रोजाना की जरूरतों का भी हिस्सा हैं. वन जलवायु और प्रकृति में संतुलन बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने वनों के महत्व को इस प्रकार परिभाषित किया है कि एक पेड़ लगाना दस संतान के समान है और अब इन वनों के संरक्षण और विकास का दायित्व आपका होगा.

पर्यावरण परिवर्तन बड़ी चुनौती

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि पर्यावरण परिवर्तन आज की सबसे बड़ी चुनौती है. मौसम में हो रहे बदलाव के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में हमें प्रकृति का संरक्षण करने के साथ वनों और वन्य प्राणियों का भी संरक्षण करना होगा. उन्होंने कहा कि पर्वतीय राज्यों में जंगलों में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. जिससे निपटने में आधुनिक तकनीक का उपयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. राज्यपाल ने कहा कि लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न विकासात्मक कार्यों करने की जरूरत है. उन्होंने हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में नौतोड़ व चारागाह भूमि आदि मुद्दों पर सहयोगात्मक रवैया अपनाने पर भी बल दिया.

Governor met 64 probationers of the first batch of Indian Forest Service
भारतीय वन सेवा के पहले बैच के परिवीक्षार्थियों से मिले राज्यपाल (ETV Bharat)

ग्रीन कवर 333 वर्ग किलोमीटर बढ़ा

फॉरेस्ट सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2015 से फरवरी 2019 के दौरान हिमाचल प्रदेश में 959.63 हेक्टेयर वन भूमि को गैर वानिकी कामों के लिए परिवर्तित किया गया. अभी 2019 के बाद की रिपोर्ट आनी है, लेकिन मौजूदा रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल का ग्रीन कवर 333 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है. रिपोर्ट बताती है कि हिमाचल में वर्ष 2017 के मुकाबले वनाच्छादित क्षेत्र में 333.52 वर्ग किलोमीटर का इजाफा हुआ. ग्रीन कवर बढ़ने का कारण हिमाचल का सघन पौधरोपण अभियान भी है. हिमाचल में 2017-18 में कैंपा सहित 9725 हेक्टेयर भूभाग में पौधरोपण किया गया. वर्ष 2019 में वन विभाग ने जनता, सामाजिक संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थाओं आदि के सहयोग से 25 लाख 34 हजार से अधिक पौधों को रोपा. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में फारेस्ट एरिया 37,033 वर्ग किमी है. इसमें से 1898 वर्ग किमी रिजर्व फारेस्ट है. इसके अलावा 33,130 वर्ग किमी संरक्षित व 2005 वर्ग किमी अवर्गीकृत वन क्षेत्र है. हिमाचल में संरक्षित वन क्षेत्र में 5 नेशनल पार्क, 28 वन्य प्राणी अभ्यारण्य तथा 3 प्रोटेक्टेड क्षेत्र हैं, अर्थात इन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों व प्राकृतिक वनस्पतियों को संरक्षित रखा गया है.

जंगलों में पेड़ों की 116 प्रजातियां

रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2017 में राज्य में फॉरेस्ट कवर 15433.52 वर्ग किमी था. यह राज्य के क्षेत्रफल का 27.72 प्रतिशत है. रिकॉर्डर फॉरेस्ट एरिया 37,033 वर्ग किलोमीटर है. यह प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 66.52 फीसदी है. प्रदेश के जंगलों में पेड़ों की 116 अलग-अलग प्रजातियां देखने को मिलती हैं. औषधीय प्रजातियों की संख्या 109 है और 99 प्रजातियों की झाडिय़ां अथवा छोटे पेड़ हैं. यदि फॉरेस्ट फायर यानी जंगल की आग के नजरिए से देखें तो हिमाचल के जंगलों का 4.6 फीसदी भाग अति संवेदनशील है. 220 वर्ग किमी से अधिक के जंगल दावानल के मामले में संवेदनशील है.

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